महाराष्ट्र के गृहमंत्री से वसूली मंत्री बने अनिल देशमुख ने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया। इस इस्तीफे से पहले देशमुख ने शरद पवार से मुलाकात की। सूत्र बता रहे हैं कि देशमुख और पवार के बीच सौदेबाजी हुई है। आपको याद दिला दें कि कुछ दिन पहले केंद्रीय गृहमंत्री से पवार की मुलाकात ने खूब सुर्खियां बटोंरी थीं। ऐसा बताया जा रहा है कि शरद पवार को कुछ और दिन रियायत देने के ऐवज में देशमुख का इस्तीफा हुआ है। आपको याद होगा खुद शरद पवार का नाम भी कई घोटालों में जुड़ा रहा है। देश का सबसे बड़े स्टैंप पेपर स्कैंडल में अब्दुल करीम तेलगी ने नार्को टेस्ट में शरद पवार का नाम बतौर बॉस लिया था। लेकिन उस समय महाराष्ट्र और केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी जिससे ना सिर्फ मामले को दबाया गया बल्कि नार्को टेस्ट की रिकार्डिंग को भी तहस-नहस किया गया।
जानिए घटनाक्रम
वर्तमान में मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के आरोपों में घिरे महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। वैसे देशमुख ने मुख्यमंत्री को दिए अपने इस्तीफे में कहा है कि बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश के बाद उनका गृह मंत्री के पद पर बने रहना उचित नहीं है इसलिए वह अपना इस्तीफा सौंप रहे हैं।
अदालत में थी सुनवाई
बॉम्बे हाईकोर्ट ने CBI को मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह द्वारा महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के आरोपों की 15 दिनों के भीतर प्रारंभिक जांच शुरू करने के लिए कहा है।
एनसीपी की सफाई
महाराष्ट्र सरकार में मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि हाईकोर्ट के ऑर्डर के बाद गृह मंत्री अनिल देशमुख ने शरद पवार और पार्टी नेताओं से मुलाकात कर कहा कि वह अपने पद पर नहीं रहना चाहते हैं। वह अपना इस्तीफा सौंपने के लिए मुख्यमंत्री के पास गए थे। पार्टी ने मुख्यमंत्री से उनका इस्तीफा स्वीकार करने का अनुरोध किया है। आपको याद दिला दें कि देशमुख के इस्तीफे से बहुत पहले शरद पवार खुद उसके बचाव में उतरे थे। सिर्फ बचाव ही नहीं पवार ने देशमुख के कारनामों पर पर्दा डालने के लिए उसके मुंबई से बाहर होने, कोरोना होने, अस्पताल में भर्ती होने से लेकर तमाम दलीलें दी थी। जो बाद में झूठी साबित हुईं।
100 करोड़ की एक चिट्ठी
मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने जिस तरह से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर गृहमंत्री अनिल देशमुख पर गंभीर आरोप लगाए हैं, उसके बाद से महाराष्ट्र की सियासत में भूचाल आया हुआ था। परमबीर सिंह ने उद्धव ठाकरे को लिखे पत्र में कहा था कि गृह मंत्री देशमुख ने हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली की डिमांड रखी थी। हालांकि परमबीर सिंह के आरोपों को अनिल देशमुख ने खारिज कर दिया था और राज्य के मुख्यमंत्री से सभी आरोपों की जांच करने को कहा था। उन्होंने कहा कि जब आरोपों की जांच होगी तो दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।
इस मामले में आज बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। मामले की सुनवाई करते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा, क्योंकि अनिल देशमुख गृहमंत्री हैं इसलिए पुलिस इस मामले में निष्पक्ष जांच नहीं कर पाएगी। ऐसे में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाती है।
परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख पर क्या लगाए आरोप
मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह ने दावा किया है कि अनिल देशमुख ने सचिन वाझे को 100 करोड़ रुपये की वसूली का टारगेट दिया था। परमबीर सिंह ने अपनी चिट्ठी में लिखा है कि 100 करोड़ रुपये टारगेट को पूरा करने के लिए मुंबई के बार, पब और रेस्टोरेंट से वसूली करने को कहा गया था। चिट्ठी के मुताबिक, इस टारगेट पर सचिन वाझे ने कहा था कि वो 40 करोड़ रुपये तो पूरा कर सकते हैं लेकिन 100 करोड़ बहुत ज्यादा है। परमबीर सिंह ने दावा किया कि 100 करोड़ का टारगेट पूरा करने के लिए अनिल देशमुख ने सचिन वाझे को दूसरे तरीके ईजाद करने के लिए कहा था।
अंबानी के घर विस्फोटक रखने के बाद दगी सरकार
एंटीलिया केस में मुंबई के पुलिस अधिकारी सचिन वाजे की गिरफ्तारी के बाद परमबीर सिंह को ट्रांसफर कर दिया गया था। इस मामले में पूर्व कमिश्नर ने मुख्यमंत्री ठाकरे को पत्र लिखा था। इसमें दावा किया था कि अनिल देशमुख ने सचिन वाजे को 100 करोड़ रुपए वसूली का टारगेट दिया था।
हमलावर हुई बीजेपी
भाजपा ने इस घटनाक्रम पर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए उनसे इस्तीफा मांगा है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने सोमवार को कहा कि भ्रष्टाचार के आरोपों पर सीबीआई जांच का आदेश दिए जाने के बाद उद्धव ठाकरे ने शासन करने का नैतिक अधिकार खो दिया है।
केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि महाराष्ट्र गृह मंत्री ने इस्तीफा दे दिया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे इस मामले में खामोश हैं। शरद पवार कहते हैं कि मंत्री के बारे में फैसला मुख्यमंत्री करते हैं। कांग्रेस और शिवसेना कहती है कि अनिल देशमुख के बारे में फैसला एनसीपी करेगी। अनिल देशमुख ने शरद पवार से मिलकर मुख्यमंत्री को इस्तीफा दिया है। रविशंकर प्रसाद ने सवाल किया कि जिस मुख्यमंत्री की अगुवाई में इतनी बड़ी-बड़ी घटनाएं हो रही हैं क्या उनका कोई नैतिक दायित्व नहीं बनता है?
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख का इस्तीफा तभी हो जाना चाहिए था जिस समय उनपर आरोप लगे थे। उच्च न्यायालय ने मामले में हस्तक्षेप किया उसके बाद गृह मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा है। सबसे बड़ी बात यह कि इस पूरे प्रकरण में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे खामोश क्यों हैं?
आरपीआई से अठावले ने संभाली कमान
वहीं केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने कहा कि महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख को इस्तीफा देनी की ज़रूरत थी। उन्हें NCP और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा बचाने की कोशिश की गई थी। शरद पवार ने अनिल देशमुख को इस्तीफा देनी की इजाज़त दे दी है, यह अच्छी बात है।
अठावले ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र सरकार का कार्यकाल पूरा होगा ऐसा लगता नहीं है। पूरे देश में कोरोना के 60-65 फीसद मामले महाराष्ट्र से आ रहे हैं। कानून व्यवस्था बिगड़ गई है। मैंने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर कहा है कि महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लागू होना चाहिए।
तौल रही है नए मंत्री के नाम को एनसीपी
महाराष्ट्र में सत्ताधारी किस कदर जल्दी में हैं इसका अंदाजा इसी बात से लगाइये कि एक तरफ अदालत का फैसला आया, दूसरी तरफ इस्तीफा हुआ तो तीसरी तरफ नए मंत्री के नाम का ऐलान करने के लिए एनसीपी ने जरा भी देर नहीं लगाई। फिलहाल दिलीप पाटिल का नाम इस रेस में सबसे आगे चल रहा है। हालांकि कई और नाम भी हैं लेकिन मुहर उसी के नाम पर लगेगी जो एनसीपी की झोली भरता रहे।
टीम स्टेट टुडे
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