लखनऊ, 24 दिसंबर 2023 : कांग्रेस ने आने वाले लोकसभा चुनाव से पहले उत्तर प्रदेश में एक और बड़ा प्रयोग किया है। प्रियंका वाड्रा की उत्तर प्रदेश से बढ़ती दूरियों के बीच नए प्रदेश प्रभारी के पद पर अरविंद पांडेय की नियुक्ति कर पार्टी सवर्ण वोट बैंक, खासतौर पर ब्राह्मणों को साधने के अपने पुराने फार्मूले पर लौटने का प्रयास करती दिख रही है। पार्टी का मानना है कि भाजपा से नाराज ब्राह्मण उसकी ओर आकर्षित हो सकते हैं।
झारखंड व राजस्थान के प्रभारी रह चुके अरविंद पांडेय को संगठन व उप्र का पुराना अनुभव है। वर्ष 2012 में जब दिग्विजय सिंह उप्र कांग्रेस के प्रभारी थे, तब पांडेय सह प्रभारी थे। पांडेय वर्ष 2019 में भी कुछ समय के लिए उप्र कांग्रेस के सह प्रभारी की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं और उप्र से भलिभांति परिचित हैं।
राज्यसभा सदस्य भी रह चुके हैं
महाराष्ट्र के नागपुर निवासी पांडेय राज्यसभा सदस्य भी रहे हैं। कांग्रेस ने इससे पूर्व अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर सवर्ण वर्ग को खास संदेश देने का प्रयास किया था। पार्टी के विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा मोना हैं। नए प्रभारी की नियुक्ति के बाद प्रदेश में कांग्रेस के तीन महत्वपूर्ण पदों पर सवर्ण नेता तैनात हो गए हैं।
प्रदेश प्रभारी रहीं प्रियंका वाड्रा की लगभग डेढ़ वर्ष से उप्र से दूरी बढ़ गई थी। वह इस दौरान दूसरे राज्यों में हुए चुनावों में व्यस्तता के चलते यूपी आई भी नहीं।
वह इस पद से हटने की इच्छा पहले ही जता चुकी थीं, जिसके बाद लंबे समय से प्रदेश में नए प्रभारी की तैनाती की चर्चाएं थीं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि प्रियंका पहले ही प्रदेश प्रभारी का जिम्मा छोड़ चुकी थीं। उनको हटाए जाने की घोषणा की औपचारिकता भर ही शेष बची थी। प्रियंका को 2019 लोकसभा चुनावों के पहले यूपी का प्रभारी बनाया गया था। तब प्रियंका पूर्वी उप्र की और ज्योतिरादित्य सिंधिया पश्चिमी उप्र के प्रभारी बनाए गए थे।
2019 में कांग्रेस का बेहद खराब रहा प्रदर्शन
2019 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा था। राहुल गांधी अमेठी की सीट से चुनाव हार गए थे और केवल सोनिया गांधी रायबरेली की एक सीट पर जीत दर्ज कर सकी थीं। इसके बाद ज्योतिरादित्य किनारे हो गए थे और प्रियंका को पूरे उप्र का प्रभार सौंप दिया गया था।
2022 विधानसभा चुनाव में पार्टी ने प्रियंका काे ही पूरा जिम्मा सौंपा और उन्होंने भी कई प्रयाेग किए। लड़की हूं लड़ सकती हूं के नारे के साथ प्रियंका ने चालीस प्रतिशत सीटों पर महिला उम्मीदवार उतारे पर उनका यह प्रयोग भी असफल रहा। विधानसभा चुनाव में लचर प्रदर्शन के बाद ही प्रियंका की उप्र से दूरियां बढ़ गई थीं। चर्चा यह भी है कि आने वाले लोकसभा चुनाव में वह उत्तर प्रदेश से चुनाव मैदान में उतर सकती हैं।
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