लखनऊ, 18 अगस्त 2022 : लगभग एक दशक से उत्तर प्रदेश की सत्ता से बाहर बहुजन समाज पार्टी को पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान भी किसी दानदाता ने 20 हजार रुपये से ज्यादा का चंदा नहीं दिया है। मायावती की पार्टी द्वारा इस संबंध में दिए गए ब्योरे को भारत निर्वाचन आयोग ने बुधवार को सार्वजनिक कर दिया।
मायावती के नेतृत्व वाली बसपा द्वारा भारत निर्वाचन आयोग को सौंपी गई वार्षिक चंदा रिपोर्ट में बताया गया है कि पार्टी को व्यक्तिगत दानदाताओं और संस्थाओं से वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान 20 हजार रुपये से ज्यादा की धनराशि का कोई चंदा नहीं मिला है। कई वर्षों से पार्टी को कम कमाई वाले लोगों से ही चंदा मिलता रहा है।
बता दें कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29 सी के तहत राजनीतिक दल को प्रत्येक वित्तीय वर्ष में किसी भी व्यक्ति या अन्य संस्थाओं से मिलने वाले 20 हजार रुपये से अधिक के चंदे के बारे में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर आयोग को देना होता है।
जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29 सी के मुताबिक किसी राजनीतिक दल के कोषाध्यक्ष या उसके द्वारा अधिकृत कोई अन्य व्यक्ति एक वित्तीय वर्ष में किसी भी व्यक्ति या अन्य संस्थाओं से पार्टी को प्राप्त 20,000 रुपये से अधिक के चंदे के बारे में एक रिपोर्ट तैयार करेगा। बसपा का बयान उसके कथित दावे के अनुरूप है कि उसे केवल कम कमाई वाले लोगों से ही धन मिलता है। मायावती के नेतृत्व वाली पार्टी ने पिछले कई सालों से यह रुख बनाए रखा है। निर्वाचन आयोग 20,000 रुपये की सीमा को खत्म करने पर जोर दे रहा था ताकि पार्टियों के लिए उन्हें मिले सभी स्वैच्छिक दान को उसके संज्ञान में लाना अनिवार्य हो, चाहे चंदे की रकम कुछ भी हो।
बता दें कि राजनीतिक दलों के लिए आय का प्रमुख स्रोत चंदा है। राजनीतिक दलों को मिले चंदे के ताजा आंकड़ों की बात करें तो वित्तीय वर्ष 2020-21 में देश की राष्ट्रीय पार्टियों को 3753 लोगों ने 20 हजार या उससे अधिक की रकम बतौर चंदा दी है। दलों को 20 हजार या उससे अधिक का चंदा ही 593 करोड़ 75 लाख रुपये मिला है।
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