दक्षिण भारत की सियासत में अब एक ऐसा चेहरा कदम रख रहा है जो किसी परिचय का मोहताज नहीं। कोंकड़ रेलवे हो, दिल्ली मेट्रो या देश के किसी भी शहर की मेट्रो परियोजना। सिर्फ एक ही नाम सबकी जुबान पर आता है मेट्रोमैन ई.श्रीधरन।
चौंकिए मत। ईमानदारी और विकासशीलता जिसकी रगों में बहती है वो मेट्रोमैन श्रीधरन राजनीति में कदम रखेंगें। राज्य भी ऐसा जो यूडीएफ और एलडीएफ के झूले में दशकों से झूल रहा है। हम बात कर रहे हैं केरल की।
केरल विधानसभा चुनाव से पहले 21 फरवरी को कासरगोड़ में भाजपा की विजय यात्रा के मौके पर श्रीधरन पार्टी की सदस्यता ग्रहण करेंगे। श्रीधरन ने कहा कि वह भाजपा ज्वाइन करने जा रहे हैं। इससे पहले ई श्रीधरन ने आज कहा कि केरल में भाजपा को सत्ता में लाने के लक्ष्य के साथ राजनीतिक मैदान में प्रवेश कर रहा हूं, राज्य के हित के लिए काम करुंगा। उन्होंने कहा कि केरल में भाजपा के सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री पद संभालने के लिए तैयार हूं। श्रीधरन ने कहा कि अगर भाजपा केरल विधानसभा चुनाव में जीतती है तो राज्य को कर्ज के जाल से निकालने, आधारभूत संरचना विकसित करने पर ध्यान होगा।
केरल की एलडीएफ सरकार पर निशाना साधते हुए श्रीधरन ने कहा कि वे राज्य की जनता को बेहतर प्रशासन उपलब्ध नहीं करा सके।। उन्होंने आरोप लगाया कि सीपीएम का हित राज्य की जनता के हितों से ऊपर जान पड़ता है।
पीटीआई के मुताबिक श्रीधरन की राज्यपाल पद संभालने में दिलचस्पी नहीं है। उनका कहना है कि इस तरह के ‘संवैधानिक’ पद पर रहते हुए राज्य के लिए योगदान नहीं दे पाऊंगा, जिसके पास कोई अधिकार नहीं होता।
ऐतिहासिक मौके पर मौजूद होंगे योगी आदित्यनाथ
केरल भाजपा के अध्यक्ष के सुरेंद्रन की अगुवाई में 21 फरवरी को होने वाली विजय यात्रा के दौरान श्रीधरन औपचारिक रूप से भाजपा की सदस्यता लेंगे। इस यात्रा को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हरी झंडी दिखाएंगे।
कौन हैं श्रीधरन
श्रीधरन की छवि एक बेदाग नौकरशाह की रही है। उनका का जन्म 12 जून 1932 को केरल के पलक्कड़ में हुआ। वे दिल्ली मेट्रो समेत पहले फ्रैट कॉरिडोर को समय से पहले दौड़ाने के मामले में ख्याति बटोर चुके हैं। मेट्रो जैसे परिवहन की व्यवस्था में अहम योगदान के चलते श्रीधरन को पद्मश्री और पद्मभूषण से सम्मानित किया जा चुका है।
क्यों अहम है केरल
केरल भारत के दक्षिणी छोर का ऐसा राज्य है जहां वामपंथ का किला अभी बचा हुआ है। अदल बदल कर कांग्रेस और लेफ्ट की सरकारें आती जाती रहती है। उत्तरी केरल की स्थिति बेहद नाजुक है। इसे मिनी अरब तक कहा जाता है। केरल में आईएसआईएस नेटवर्क से जुड़े कई आतंकी भी पकड़े जा चुके हैं। हिंदू जनता पर अत्याचार, धर्मांतरण, लव जेहाद, जैसे तमाम मुद्दों पर ईसाई और मुस्लिमों के बीच होड़ रहती है। सिर्फ इतना ही नहीं यहां तिरंगा फहराने तक पर विवाद हो चुका है। संदिग्ध गतिविधियों के बीच सियासत क सबसे दिलचस्प पहलू ये है कि 2019 के आम चुनाव में जब कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी को अपनी परंपरागत और राजनीतिक लिहाज से काफी अहम उत्तर प्रदेश की अमेठी सीट पर जीतने का भरोसा डगमगाया तो वो सीधे केरल पहुंचे और वायनाड से चुनाव लड़ा। वायनाड मुस्लिम बहुल आबादी वाला इलाका है और वामपंथियों का गढ़ है। बावजूद इसके अमेठी में राहुल का किला ढह गया और वो वर्तमान में केरल के वायनाड से सांसद हैं।
टीम स्टेट टुडे
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