google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0
top of page
Writer's picturestatetodaytv

आदि-अनंत-अयोध्या - "अगस्त" का महीना भारतीय इतिहास में क्यों है इतना महत्वपूर्ण



रवि पाराशर




भारत ने 5 अगस्त को रचा नया इतिहास, जिसे दुनिया हाथ जोड़कर और झुक कर हमेशा याद रखेगी

राम-राम जी! दिन और तारीखें सामान्य रूप से आते-जाते रहते हैं। लेकिन कुछ तारीखें इतिहास बनने या बदलने की स्थाई गवाह हो जाती हैं, तो पूरी दुनिया उन्हें मुद्दत तक याद रखती है। ऐसी ही एक तारीख है 5 अगस्त। इस तारीख को इतिहास के कुछ अविस्मरणीय पन्ने रचे गए हैं। 1945 में 5 अगस्त को दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश कहे जाने वाले अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा पर परमाणु बम गिरा कर दुनिया में दहशत का नया अध्याय लिखा था। दुनिया को पता चला कि एक अतिसूक्ष्म परमाणु के अंदर कितनी ऊर्जा छिपी होती है। उसका सकारात्मक उपयोग बाद में हालांकि दुनिया के लिए वरदान भी साबित हुआ, लेकिन उस समय अमेरिका ने परमाणु बम गिराकर विध्वंस का नया इतिहास ही पहली बार लिखा था। अब तो भारत समेत कुछ दूसरे देश भी परमाणु शक्ति से लैस हैं। परमाणु परीक्षणों के माध्यम से दुनिया ने भारत की शक्ति संपन्नता की धमक एकाधिक बार देखी है।


अमेरिका ने भले ही 5 अगस्त को जापान पर परमाणु हमला कर उसे इंसानियत के लिए बेहद काला दिन बना दिया हो, लेकिन भारत ने 5 अगस्त का दिन दुनिया में दिव्य रचनात्मकता के अमरत्व भरे उदय के भव्य अवतरण का दिन बना दिया है। एक वर्ष पहले 5 अगस्त, 2020 को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू करते हुए वैदिक विधि-विधान से भूमिपूजन संपन्न किया गया। समय बीतते पता नहीं चलता। लग रहा है जैसे पलक झपकते ही अयोध्या में भव्य राम मंदिर के भूमिपूजन को पूरा एक वर्ष हो गया। लग रहा है कि जैसे कल की ही बात है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की उपस्थिति में मंदिर निर्माण प्रक्रिया शुरू की गई थी। जिस तरह पूरी निष्ठा और लगन से मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा है, उससे लगता है कि राम मंदिर निर्माण समिति द्वारा नियत की गई समय सीमा यानी वर्ष 2025 तक का समय भी पंख लगाकर पल भर में उड़ जाएगा और युगों-युगों तक भारत की कीर्ति पताका पूरे विश्व में हिंदुत्व के गौरवशाली बोध के साथ फहराने वाला भगवान श्रीराम का कालजयी पवित्र स्मारक हम सब के लिए दर्शनों के लिए उपलब्ध हो जाएगा।



मंदिर ट्रस्ट घोषणा कर चुका है कि संपूर्ण राम मंदिर परिसर 2025 से पहले ही विकसित हो जाएगा। गर्भगृह में भव्य स्वरूप में रामलला के दर्शन तो 2023 से ही सुलभ हो जाएंगे। राम मंदिर के साथ ही पूरा अयोध्या नए स्वरूप में दुनिया को चमत्कृत करेगा, इसकी तैयारी भी जोर-शोर से चल रही है। मंदिर परिसर में तीर्थयात्री सुविधा केंद्र, संग्रहालय, अभि!लेखागार, अनुसंधान केंद्र, गौशाला, यज्ञशाला, प्रशासनिक भवन इत्यादि का निर्माण कार्य भी हो रहा है। मंदिर परिसर के अलावा अयोध्या को वैश्विक पर्यटन केंद्र के तौर पर विकसित किया जा रहा है। राम के दर्शन के लिए अयोध्या आने वालों को सभी सुविधाएं मिलें, इसकी तैयारी व्यापक भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण से की जा रही है।


भवन निर्माण विशेषज्ञों की सलाह से यह प्रयास किया जा रहा है कि अयोध्या में राम मंदिर पूरे एक हजार साल तक सुरक्षित रहे। हालांकि इस बात की कोई लिखित गारंटी नहीं दी जा सकती। फिर भी समय-समय पर मंदिर की इमारत की सुरक्षा की समीक्षा के आधार पर इसे प्रतिबलित किया जाएगा, तो रामलला के रूप में भारतीय सनातन आस्था का अमिट संदेश पूरी दुनिया को बेहद लंबे समय तक मिलता रहेगा। करीब पांच सौ साल तक चली जद्दोजहद के बाद सुप्रीम कोर्ट के सर्वसम्मत निर्णय के बाद अब लग रहा है कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण उसी तरह सामान्य रूप से हो रहा है, जिस तरह हम जीवन के लिए कोई विशेष उपक्रम सायास किए बिना सांस लेते रहते हैं। लेकिन अगर गौर करें, तो हमें समझ में आता है कि राम जी का मंदिर हमारे जीवनकाल में बनना कितना महत्वपूर्ण विषय है।


रवि पाराशर (वरिष्ठ पत्रकार)

असल में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण विश्व इतिहास के पुनर्लेखन का नूतन अभिनव अध्याय है। हम भारतवासी सौभाग्यशाली हैं कि हम इस विराट इतिहास की पगध्वनि की धमक, उसकी आहट की अनुगूंज बहुत करीब से सुन पा रहे हैं। हम एक ऐसी परिघटना के गवाह बन रहे हैं, जो कई युगों में एक बार घटती है। दुनिया भर में फैलाए जा रहे तमाम दुष्चक्रों के बावजूद भगवान राम के प्रति भारतीय सनातन आस्था और बलवती हुई है, अयोध्या का राम मंदिर इसका जीवंत प्रतीक है। राम का नाम ही जब भारतीय जिजीविषा के प्रबलतम होने का प्रतीक है, तो फिर अयोध्या में जब रामलला पूरी निश्चिंतता के साथ साकार होंगे, तब तो कहने ही क्या!


राम मंदिर आंदोलन में विश्व हिंदू परिषद ने सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जन-जागरण में तो विहिप कार्यकर्ता लगे ही रहे और आगे भी लगे ही रहेंगे, उन्होंने जब आवश्यकता पड़ी, अपना लहू भी राम मंदिर के लिए बहाने में संकोच नहीं किया। अयोध्या में 2 नवंबर, 1990 को तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार ने भोले-भाले राम भक्तों पर गोलियां चलवाईं, तो वे छाती तान कर खड़े रहे। अपनी आस्था को उन्होंने किंचित भी भयभीत नहीं होने दिया। अपने आराध्य के लिए राम भक्तों ने सर्वोच्च बलिदान दिया, तो इसके पार्श्व में विश्व हिंदू परिषद की अदम्य प्रेरणा ही थी।


अब जबकि विहिप, बजरंग दल और समस्त हिंदू समाज का भव्य राम मंदिर का सपना साकार होने के करीब है, तब वातावरण पूरी तरह अनुकूल है, यह राम जी की ही कृपा है। केंद्र और उत्तर प्रदेश, दोनों में भारतीय जनता पार्टी की सरकारें हैं, तो यह सुखद संयोग ही है। राम मंदिर की राह एक न एक दिन तो सर्वोच्च न्यायालय से खुलनी ही थी, क्योंकि न्याय का यही तकाजा भी था। आक्रमणकारी आक्रांता प्रवृत्ति ने मुद्दत पहले नाइंसाफी की थी, इस बात पर इंसाफ की सबसे बड़ी मुहर लगनी ही थी।


मंदिर की राह हमारे जीवनकाल में प्रशस्त हुई, यह हमारा सौभाग्य है। विहिप और हिंदू समुदाय मंदिर निर्माण के लिए प्रतिबद्ध था ही, लेकिन अगर केंद्र और उत्तर प्रदेश में अनुकूल सरकारें न होतीं, तो पक्ष में निर्विवाद निर्णय आने के बाद भी काम इतना सुगम न हो पाता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पांच अगस्त, 2020 को अयोध्या में भूमिपूजन किया, तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समय-समय पर मंदिर निर्माण की प्रगति की समीक्षा के लिए अयोध्या आते रहते हैं। एक वर्ष पूरा होने पर भी आदित्यनाथ का अयोध्या में मौजूद रहना उनकी प्रतिबद्धता को ही दर्शाता है।


लोकतंत्र और सामाजिक समरसता के सबसे बड़े प्रतीक भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण के लिए पूरे भारत ने निधि समर्पण अभियान में अपनी-अपनी हैसियत के अनुसार बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया। विश्व हिंदू परिषद की देखरेख में 10 लाख टोलियों में शामिल 40 लाख से अधिक कार्यकर्ताओं ने घर-घर जाकर संपर्क किया। देश भर में 15 जनवरी से शुरू हुआ निधि समर्पण अभियान 44 दिन तक चला और 27 फरवरी, 2021 को संपन्न हुआ। गरीब से गरीब और अमीर से अमीर व्यक्तियों ने अपनी इच्छा से राम मंदिर के लिए निधि समर्पित की। यह विश्व में अपनी तरह का सबसे बड़ा संपर्क अभियान साबित हुआ, जिसमें देश के कुल पांच लाख, 37 हजार गांव और बस्तियों में 12 करोड़, 73 लाख परिवारों से संपर्क स्थापित किया गया।



अयोध्या में राम मंदिर भारत के हर हिंदू के योगदान से बन रहा है। सामाजिक समरसता के इस सबसे बड़े प्रतीक को लेकर हर सच्चे भारतवासी को गर्व है। 5 अगस्त की तारीख को जहां अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के प्रारंभ के लिए सदैव याद किया जाएगा, वहीं 5 अगस्त को भारत के राजनैतिक इतिहास की मुक्ति के दिन के तौर पर भी हमेशा याद किया जाएगा। दो वर्ष पहले, 5 अगस्त, 2019 को भारत की संसद में जम्मू-कश्मीर से जुड़े संविधान के अनुच्छेद 370 और 35-ए को निष्प्रभावी कर दिया गया। भारत सरकार ने संसदीय शक्तियों का प्रयोग करते हुए जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित कर दिया। जम्मू-कश्मीर वंशवाद की नकारात्मक और विभाजनकारी राजनीति से मुक्त हुआ और पिछले दो वर्षों में आतंक पर भी करारा प्रहार कर पाकिस्तान को सबक सिखाया जा चुका है। जम्मू-कश्मीर में अब शांति और विकास के नए अध्याय लिखे जा रहे हैं।


उत्तर प्रदेश में 5 अगस्त की तारीख एक और कारण से भी याद की जाएगी। वर्ष 2018 में 5 अगस्त के ही दिन मुगलसराय जंक्शन का नाम बदलकर दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन रखा गया था। वैसे अगस्त का पूरा महीना ही अविस्मरणीय तारीखों से भरा पड़ा है। 1942 में 8 अगस्त को ‘अंग्रेजो भारत छोड़ो’ आंदोलन की शुरुआत की गई थी। 1947 में 15 अगस्त को भारत को अंग्रेजों के चंगुल से आजादी मिली थी। वर्ष 1964 में 29 अगस्त को विश्व हिंदू परिषद की स्थापना की गई थी, जिसने अयोध्या में राम मंदिर की मुक्ति का व्यापक अभियान सफलतापूर्वक चलाया। इसके साथ ही विहिप दुनिया भर में हिंदुत्व की अलख जगाए रखने, राष्ट्रीयता की पवित्र भावना की ज्योति जगमगाए रखने के लिए बहुत से सांस्कृतिक और सामाजिक अभियान चलाए हुए है।


लेखक - रवि पाराशर वरिष्ठ पत्रकार हैं।


विज्ञापन

#जयश्रीराम #हिंदू_गौरव_दिवस


32 views0 comments

Comments


bottom of page
google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0