आपको याद होगा बिकरु कांड का आरोपी विकास दुबे जब मध्यप्रदेश से यूपी लाया जा रहा था तो गाड़ी पलट गई थी। भागने की कोशिश करने पर एनकाउंटर हुआ और वो मारा गया।
अब कानून को धता बताकर हर गुनाह करने वाला मुख्तार अंसारी फिलहाल हर वो जतन कर रहा है जिससे जिंदा रह सके। शातिर मुख्तार पंजाब की रोपड़ जेल में बंद है दो हफ्ते के भीतर यूपी आना है फिर भी फितरत से बाज नहीं आ रहा। मुख्तार अंसारी को मोहाली की कोर्ट में जब पेश किया गया तो उसे एक निजी एंबुलेंस से लाया गया। इस एंबुलेंस पर (यूपी 41 एटी 7171) नंबर प्लेट लगी थी। मामला सुर्खियों में आया तो जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। एंबुलेंस सवालों के घेरे में है सिर्फ इसलिए नहीं कि नंबर प्लेट पर यूपी का नंबर है बल्कि इसलिए भी क्योंकि ये बुलेटप्रूफ है।
ये एंबुलेंस बाराबंकी के श्याम संजीवनी अस्पताल के नाम पर पंजीकृत बताई जा रही है। हकीकत ये है कि इस नाम का अस्पताल ही नहीं है। सिर्फ इतना ही नहीं बाराबंकी के सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय यानी एआरटीओ में पंजीकृत एंबुलेंस की फाइल गुम है। अब यह एंबुलेंस रहस्य बन गई है।
बाराबंकी के जिस अस्पताल के नाम पर एंबुलेंस पंजीकृत है वह मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय में न तो पंजीकृत है और न ही इससे संबंधित कोई दस्तावेज वहां हैं। अस्पताल का जो पता दिया गया है, उस गली में उसका कोई नामोनिशान तक नहीं है। इसके बावजूद दिसंबर 2013 में उस पते पर एंबुलेंस का पंजीकरण होना आश्चर्य की बात है। एआरटीओ कार्यालय में बताया गया कि इसके पंजीकरण की फाइल गुम हो गई है, जिसकी तलाश जारी है। हैरत की बात है कि वर्ष 2017 से यह एंबुलेंस बिना इंश्योरेंस और फिटनेस वैधता के सड़कों पर दौड़ रही थी। इस पर कोई कार्रवाई भी नहीं की गई।
बुलेट प्रूफ बनाया गया एंबुलेंस को
जानकारी के मुताबिक ये एंबुलेंस मऊ जिले की डॉ. अलका राय की है और एंबुलेंस की आरसी में दर्ज मोबाइल नंबर भी मऊ के व्यक्ति का बताया जा रहा है। फिटनेस वैधता और इंश्योरेंस समाप्त होने के बावजूद एंबुलेंस पांच साल तक कहां रही इसकी जानकारी परिवहन और स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं थी। उत्तर प्रदेश से एंबुलेंस पंजाब पहुंच गई लेकिन इसका कभी कहीं चालान नहीं हुआ। इस एंबुलेंस को बुलेट प्रूफ बनाया गया इसलिए इसे फिटनेस के लिए भी नहीं लाया गया।
कौन है डाक्टर अलका राय
श्याम संजीवनी अस्पताल के नाम पर एंबुलेंस पंजीकृत है वह मऊ में है। इस अस्पताल की संचालिका बीजेपी नेता डॉ. अलका राय हैं। जिनका कहना है कि उनके अस्पताल की कोई शाखा बाराबंकी में नही हैं। मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। डॉ. अलका राय ने कहा कि कुछ वर्ष पहले विधायक मुख्तार अंसारी के प्रतिनिधि ने उनके अस्पताल के लिए एंबुलेंस दिलाने को कागजात की मांग की थी जिसको उनके भाई ने उपलब्ध कराया था। 2013 में अंसारी के प्रतिनिधि ने विधायक निधि से अस्पताल को एंबुलेंस देने के लिए कुछ कागजों पर अस्पताल के डायरेक्टर व मेरे भाई से दस्तखत कराए थे। इसके अलावा उन्हें इस विषय में उन्हें कोई जानकारी नहीं है।
बताया जा रहा है कि मुख्तार अंसारी का बाराबंकी में तगड़ा नेटवर्क है। यहां से वो अपनी गैर कानूनी गतिविधियां नेपाल तक आपरेट करता है। बाराबंकी, बहराइच, नानपारा और नेपाल के रास्ते में मुस्लिम आबादी भी बहुतायत में है। एक तरफ मुख्तार मुसलमान होने का फायदा उठाता है दूसरी तरफ नेतागिरी करके सियासी पकड़ बनाए रखता है तो तीसरी तरफ इसने बाहुबल का लालच देकर हिंदू आबादी और खास तौर से ब्राह्मण जाति के युवाओं को गुमराह किया जिससे अलग अलग सरकारों में ये अपने गैंग के जातीय समीकरण के सहारे अपना सुरक्षा कवच बनाए रख सके। पूर्वांचल में अतीक और मुख्तार ने योजनाबद्ध तरीके से मुस्लिम आबादी को वोटबैंक की गणित के हिसाब से स्थापित किया।
अब जब योगी सरकार में अपराधी बिना जाति-धर्म देखे अपने अंजाम को पा रहे हैं तो मुख्तार को भी अपना अंजाम डरा रहा है। दो साल से पंजाब की जेल में कांग्रेस सरकार का मेहमान बना बैठा मुख्तार अंसारी को सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी लाया जाना तय है। इस बीच ये शातिर बुलेटप्रूफ गाड़ियों में चलने लगा है।
आपको यह भी बता दें कि हरियाणा , पंजाब में साधारण गाड़ी को बुलेटप्रूफ बनाने का काम बड़े पैमाने पर होता है। ये भी संभव है कि इस एंबुलेंस को पंजाब में ही बुलेटप्रूफ तैयार कराया गया हो।
पूर्व डीजीपी का बड़ा खुलासा
पूर्व डीजीपी बृजलाल के मुताबिक ये एंबुलेंस मुख्तार अंसारी का चलता फिरता किला है। इस एंबुलेंस में सेटेलाइट फोन से लेकर हथियार, गुर्गे भी रहते हैं। एंबुलेस का ड्राइवर सलीम है जो मुहम्मदाबाद का रहने वाला है। यह एंबुलेंस यूपी में भी जब मुख्तार जेल में था तो वहीं खड़ी रहती थी। बृजलाल का कहना है कि मुख्तार जेल में रहकर भी इस एंबुलेस के सहारे अपने कारनामों को अंजाम देता रहा है।
टीम स्टेट टुडे
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