कहावत है धोबी का कुत्ता ना घर का ना घाट का।
भारत में हिंदुओं का धर्म परिवर्तन एक सोची समझी साजिश के तहत हो रहा है। हिंदुओं को मुसलमान बनाने से मुस्लिम संख्याबल तो बढ़ ही रहा है साथ साथ आतंकवादियों की नई फौज देश के भीतर ही बहुत सलीके से तैयार की जा रही है।
इरादे इतने खतरनाक है कि अब जब किसी को इस्लाम विरोधी बताकर सिर कलम करने का फतवा निकलता है तो इन्ही कन्वर्टेड मुस्लिमों को ये काम सौंपा जाने लगा है।
सिर्फ इतना ही नहीं हिंदू से मुसलमान बने ये फिदायीन अगर पकड़े जाते हैं तो मस्जिदों और इस्लामिक सेंटर्स में बैठे मुल्ले मौलवी अपने ज्ञान की किताबों की रौशनी में इन्हें मुसलमान मानने से ही इंकार कर देते हैं। बाकी सामान्य दिनों में इन्हीं के जरिए अपने इस्लामी रैकेट को मजबूत करते हैं।
इससे भी बड़ा दंश ये है कि जब ये फिदायीन या आतंकी मुसलमान पुलिस के हत्थे चढ़ते हैं तो जांच एंजेसियों की तफ्तीश में इनके पूर्व में हिंदू होने का पता चलता है। इस तरह आतंकवाद और अपराध के साथ साथ ना चाहते हुए भी हिंदू शब्द जुड़ जाता है।
ऐसे परिवर्तित हिंदुओं को मुल्ले मौलवी मुसलमान मानने से जब इंकार कर देते हैं तो फिर इनकी मूल पहचान के साथ ही मामले आगे बढ़ाने की नौबत आती है। ऐसे में हिंदुओं और हिंदू समाज को बदनाम करने का ये पूरा षडयंत्र रचा गया है।
और छोड़िए आने वाले दिनों की प्लानिंग तो इतनी खतरनाक है कि आपके होश फाख्ता हो जाएंगे। हिंदू से मुसलमान बन रही इसी फौज के सहारे आईएसआई और अरब में बैठे इस्लामी कट्टरपंथी भारत में गृहयुद्ध की तैयारी कर रहे हैं।
छोटे-छोटे आंदोलनों के बाद अब सीएए-एनआरसी जैसे मामलों पर तंबू कनात लगाकर प्रदर्शन, भारत में हिंदू दलितों के आंदोलनों को हाईजैक कर उसे दलित-मुस्लिम का आंदोलन बताना, जय भीम के साथ जय मीम के नारे लगवाना इसी षडयंत्र का हिस्सा है।
कैसे खुला है ये षडयंत्र
हिंदुओं को मुस्लिम बनाने का जो धंधा देश में चल रहा है उसमें छिपी साजिशें भी अब सामने आ रही है। उमर और जहांगीर जो हिंदुओं को मुसलमान बनाने का रैकेट चलाते पकड़े गए हैं अब राज़ उगल रहे हैं। इस काम में इनके दावाह संगठन की मदद पाकिस्तान की आईएसआई और अरब देशों से हो रही थी। इन दोनों के अलावा इस रैकेट से जुड़े सदस्यों के साथ साथ जिन लोगों का धर्म परिवर्तन हुआ उन्हें विदेशों से मोटी फंडिग के सबूत भी मिल रहे हैं। बाकयदा रजिस्टर बनाया गया है जिसमें अलग अलग तरीके के हिसाब-किताब का ब्यौरा है।
ये सब कुछ एक दिन में नहीं हुआ। उमर और जहांगीर के ही मामले को अगर नजीर मान लें तो आप हैरान रह जाएंगे। उमर गौतम 1984 में मुसलमान बना। उसका असली नाम श्याम प्रताप सिंह था। इसके बाद उमर ने अन्य हिंदुओं को भी मुसलमान बनाना शुरु किया। इसके लिए उमर ने खुद के मुस्लिम बनने की एक कहानी तैयार की जो अक्सर वो भोले-भाले हिंदुओं को सुनाता था।
गाजियाबाद के डासना शिवधाम में यति नरसिम्हानंद के खिलाफ फतवा जारी हो चुका है। उन पर हमले के कई प्रयास हो चुके हैं। डासना धाम ने जो संदिग्ध पकड़े गए थे वो भी कन्वर्टेड मुस्लिम थे। उन्हीं से पूछताछ में इस पूरे रैकेट का पता चला है। इसलिए शक की कोई गुंजाइश भी नहीं रह जाती।
इसके साथ साथ लखनऊ में हुआ कमलेश तिवारी मर्डर केस भी आपको याद होगा। मिलने के बहाने हिंदू बन कर पहुंचे मुसलमानों ने कमलेश की घर में घुस कर हत्या कर दी। यति नरसिम्हानंद पर भी इसी तरह के हमले की तैयारी थी। पकड़े गए संदिग्धों के पास से कई सर्जिकल ब्लेड और अन्य हथियार भी बरामद हुए हैं।
मूक-बधिर की लाचारगी, महिलाओं के साथ लवजेहाद, होली-दीवाली में हिंदुओं के साथ घुलमिल कर सांस्कृतिक जेहाद और बाकी बचा काम मुस्लिम अलतकैया (ऐसे मुसलमान जो घरों में देवी देवताओं की तस्वीरें लगाकर रखते हैं) पर छोड़कर बेहद संगठित तरीके से हिंदुओं को मुस्लिम बनाने का खेल चल रहा है।
मामला सिर्फ इतना भर नहीं है। धर्मपरिवर्तन की आड़ में आईएसआई और मुस्लिम कट्टरपंथी ऐसा घिनौना खेल चला रहे हैं जिससे पूरा हिंदू समाज छिन्न भिन्न किया जा सके। हिंदू समाज को दुनिया भर में कठघरे में खड़ा करने की तैयारी चल रह है। आतंक और अपराध से जुड़े ऐसे काम जिसके लिए मुसलमान दुनिया भर में बदनाम है उसमें हिंदू शब्द लाने का बहुत बारीक काम किया गया है आईएसआई की तरफ से।
टीम स्टेट टुडे
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