भारत के दो टुकड़े करवाने वाली मुस्लिम लीग का भारतीय संस्करण जो केरल में सक्रिय है अब सुप्रीम कोर्ट पहुंची है वो भी विदेशी मुसलमानों को भारत की नागरिकता दिलाने के लिए।
केरल में सक्रिय इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। जिसमें केंद्र सरकार के तीन पड़ोसी देशों के गैर मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के फैसले को चुनौती दी गई है। याचिका में उस अधिसूचना को चुनौती दी है जिसमें पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को नागरिकता के लिए आवेदन देने की इजाजत दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट में मुस्लिम लीग ने इस अधिसूचना पर रोक लगाने की अपील की है। इससे पहले इसी मुस्लिम लीग यानी आईयूएमएल ने सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए), 2019 को चुनौती दी थी।
आपको बता दें कि गृह मंत्रालय द्वारा 28 मई को जारी इस अधिसूचना में गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, पंजाब और हरियाणा के 13 जिलों में रह रहे अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता का आवेदन करने का अधिकार दिया गया है। इससे पहले वर्ष 2016 में देश के 16 जिलाधिकारियों को नागरिकता अधिनियम,1955 के तहत नागरिकता के लिए आवेदन स्वीकार करने के लिए कहा गया था।
नागरिकता अधिनियम की धारा- 5 (1) (ए) (जी) पंजीकरण द्वारा योग्य लोगों को नागरिकता के लिए आवेदन करने की इजाजत देता है जबकि अधिनियम की धारा-6 किसी भी व्यक्ति (अवैध प्रवासी को छोड़) को प्राकृतिककरण के जरिए नागरिकता के लिए आवेदन करने की अनुमति देती है ।
मुस्लिम लीग का कहना है कि केंद्र सरकार ने एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से दो प्रावधानों की कम करने का प्रयास किया गया है, जो अवैध है। यह अधिसूचना संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता के अधिकार) की कसौटी पर खरा नहीं उतरता।
टीम स्टेट टुडे
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