google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0
top of page
Writer's picturestatetodaytv

@myogiadityanath इतने शानदार आंकड़े देने वालों से पूछिए कि जनता क्यों रुठी है, वो क्या चाहती है जो उसे नहीं मिल पा रहा !!



जनधन अकाउंट खुलवाने में यूपी अव्वल, महिलाओं की संख्या सर्वाधिक

 

- केंद्र की योजनाओं को प्रदेश में लागू करने के मामले में उत्तर प्रदेश सबसे आगे

 

- प्रदेश में 9.33 करोड़ जनधन खाताधारक, 6.14 करोड़ को जारी हो चुका है रूपे कार्ड

 

- उत्तर प्रदेश में लगभग 5 करोड़ महिलाएं हैं जनधन खाताधारक

 

- देश में जनधन खाताधारकों की सर्वाधिक 18 प्रतिशत संख्या यूपी में

 

- प्रदेश के 91 प्रतिशत जनधन खातों के आधार सीडिंग का कार्य भी पूरा

 

लखनऊ, 09 जून। केंद्र सरकार की ओर से संचालित तमाम गरीब कल्याणकारी योजनाओं को मिशन मोड में धरातल पर उतारने के मामले में उत्तर प्रदेश शीर्ष पर है। सीएम योगी आदित्यनाथ की सतत मॉनीटरिंग के कारण योजनाओं को न केवल गुणवत्तापूर्ण और समयबद्ध ढंग से धरातल पर उतारा जा रहा है, बल्कि इस आधार पर तेज गति से विकास का यूपी मॉडल स्थापित हो रहा है। वित्त मंत्रालय की ताजा रिपोर्ट के अनुसार प्रधानमंत्री जनधन योजना में भी यूपी शीर्ष पर है। देश में जनधन खाताधारकों की संख्या जहां 52 करोड़ से ऊपर है, वहीं यूपी में ये संख्या 09.33 करोड़ हो चुकी है। यह राज्यों के स्तर पर सर्वाधिक संख्या है। वहीं सबसे सुखद बात यह है कि इसमें भी लगभग 05 करोड़ जनधन खाताधारक महिलाएं हैं।

 

रूपे कार्ड धारकों की संख्या भी यूपी में सर्वाधिक


केंद्रीय वित्त मंत्रालय के डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंशियल सर्विसेज़ की ओर से जारी ताजा आंकड़ों के अनुसार यूपी में प्रधानमंत्री जनधन योजना के अंतर्गत कुल 09 करोड़ 33 लाख 66 हजार 265 खाताधारक हैं। 29 मई 2024 तक के इन आंकड़ों पर नजर डालें तो इनमें 06 करोड़ 71 लाख 78 हजार 705 खाताधारक ग्रामीण और अर्धशहरी इलाकों के निवासी हैं, जबकि 02 करोड़ 61 लाख 87 हजार 560 खाताधारक शहरी और मेट्रो सिटी में रहने वाले गरीब हैं। इन 09.33 करोड़ खाताधारकों के खातों में कुल 47,427.21 करोड़ रुपए जमा हुए हैं। वहीं प्रदेश में रूपे कार्डधारकों की संख्या 06 करोड़ 14 लाख 39 हजार 064 है, जो देश में सर्वाधिक है। इसके अलावा देश में महिला जनधन खाताधारकों की संख्या जहाँ 29.11 करोड़ है, वहीं यूपी में यह संख्या लगभग 05 करोड़ है जोकि प्रदेश में कुल खाताधारकों की संख्या के आधे से अधिक है।

 

एक साल में खुले 65 लाख नये अकाउंट


बीते वित्तीय वर्ष 2023-24 में प्रदेश में 65 लाख के करीब नए प्रधानमंत्री जनधन अकाउंट खोले गये हैं। इनमें से अब तक 91 प्रतिशत से अधिक जनधन खातों के आधार सीडिंग का भी कार्य पूरा हो चुका है। बता दें कि मार्च 2023 तक प्रदेश में जनधन खातों की संख्या 08.68 करोड़ थी जोकि मार्च 2024 में बढ़कर 09.28 करोड़ पहुंच गयी। ताजा आंकड़ों के अनुसार 29 मई 2024 तक यह संख्या 09.33 करोड़ हो चुकी है।

 

अकाउंट में सीधे पहुंच रहा योजनाओं का लाभ, एक लाख का दुर्घटना बीमा भी शामिल


दरअसल, प्रधानमंत्री जनधन योजना एक राष्ट्रीय मिशन है। इसमें प्रत्येक परिवार के लिए कम से कम एक मूल बैंकिंग खाता, वित्तीय साक्षारता, ऋण की उपलब्धता, बीमा तथा पेंशन सुविधा सहित सभी बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराया जाना है। इसके अलावा, लाभार्थियों को रूपे डेबिट कार्ड दिया जाता है, जिसमें एक लाख रुपए का दुर्घटना बीमा कवर भी शामिल है। सबसे अहम बात यह कि इस योजना के अंतर्गत सभी सरकारी (केन्द्र, राज्य और स्थानीय निकाय से प्राप्त होने वाले) वित्तीय लाभों को लाभार्थियों के खातों में प्रत्यक्ष लाभांतरण (डीबीटी) के जरिए प्रदान किया जाता है। इससे लाभार्थियों को वित्तीय योजनाओं का लाभ शत प्रतिशत सीधे उनके बैंक अकाउंट में प्राप्त हो रहा है। इससे भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने में भी सफलता मिलती है।



 


यूपी में अबतक 6 हजार से अधिक युवाओं के उद्यम स्वीकृत

 

- मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना और मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना में प्रदेश की स्थिति

 

- उत्तर प्रदेश में अबतक 6259 युवाओं के उद्यम हुए स्वीकृत, 7500 का है लक्ष्य

 

- इंडस्ट्री के लिए 25 लाख और सेवा क्षेत्र के लिए 10 लाख रुपए देती है योगी सरकार

 

- योगी सरकार में स्वरोजगार के लिए 5648 चयनित युवाओं को वितरित की जा चुकी है धनराशि

 

- युवाओं को स्वरोजगार के लिए अबतक 14821 लाख रुपए प्रदान कर चुकी है योगी सरकार

 

- मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना में भी 90 प्रतिशत खातों को किया जा चुका है स्वीकृत

 

- 76 प्रतिशत खातों को मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना के अंतर्गत दी जा चुकी है धनराशि

 

लखनऊ, 9 जून। प्रदेश के युवाओं को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए शुरू की गई सीएम योगी आदित्यनाथ की फ्लैगशिप स्कीम 'मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना' (एमवाईएसवाई) और 'मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना' (एमएमजीआरवाई) ने शानदार प्रदर्शन किया है। प्रदेश में अब तक 6 हजार से अधिक युवाओं के छोटे बड़े उद्यमों को मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के अंतर्गत स्वीकृत किया जा चुका है। वहीं मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना के अंतर्गत स्वीकृत हुए 723 इकाइयों में से 605 को धनराशि प्रदान की जा चुकी है। हाल ही में प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र के सामने प्रस्तुत की गई राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की त्रैमासिक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी दी गई है।

 

7500 यूनिट्स को धनराशि प्रदान करने का लक्ष्य


उत्तर प्रदेश राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के संयोजक और बैंक ऑफ बड़ौदा के महाप्रबंधक समीर रंजन पांडा के अनुसार योजना का उद्देश्य प्रदेश के युवाओ को उद्यम शीलता के लिए प्रोत्साहित करने और अन्य युवाओं के लिए रोजगार का अवसर प्रदान करना है। इसके अंतर्गत राज्य सरकार युवाओ को वित्तीय सहायता उपलब्ध करा रही है, ताकि वे आत्मनिर्भर बन सके और अपने व्यवसाय का सफलतापूर्वक संचालन कर सकें। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश में मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के अंतर्गत 7500 यूनिट्स को धनराशि प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसके सापेक्ष अबतक 6259 इकाइयों को सरकार की ओर से स्वीकृति मिल चुकी है। वहीं अबतक 5648 इकाइयों को धनराशि वितरित की जा चुकी है। इसमें शुरुआत में कुल मार्जिन मनी 14550 लाख रुपए तय की गई थी, जिससे अधिक अबतक 16360 लाख रुपए को स्वीकृति मिल चुकी है, जबकि 14821 लाख रुपए युवाओं को वितरित भी किये जा चुके हैं। बात करें मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना की तो इसमें भी 800 इकाइयों को लाभान्वित करने का लक्ष्य रखा गया था, जिसमें से 90 प्रतिशत से अधिक यानी 723 इकाइयों को स्वीकृति मिल चुकी है और लक्ष्य का 76 प्रतिशन यानी 605 यूनिट्स को लाभान्वित किया जा चुका है। 

 

युवाओं के उद्यम के सपने को साकार कर रही योजना


बता दें कि उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, प्रदेश के युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश सरकार द्वारा प्रारंभ की गई एक फ्लैगशिप योजना है। इस योजना को सितंबर 2018 में शुरू किया गया था। योजना का उद्देश्य प्रदेश के बेरोजगार युवाओ को उनके उद्यम के सपने को साकार करने के लिए वित्तीय सहायता और अन्य सहयोग प्रदान करना है। इसके अंतर्गत राज्य सरकार पात्र आवेदकों को इंडस्ट्री लगाने के लिए रु. 25लाख तक और सेवा क्षेत्र के लिए रु. 10 लाख तक का ऋण उपलब्ध कराती है। इस योजना की नोडल एजेंसी डीआईसी, कानपुर है।

 

पात्रता के लिए 18 साल से ऊपर होनी चाहिए उम्र


मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के अंतर्गत पात्र लाभार्थी को उत्तर प्रदेश का निवासी होना चाहिए, जिसकी उम्र 18 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए। न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता न्यूतम हाई स्कूल होना चाहिए और वह किसी भी राष्ट्रीयकृत बैंक का डिफॉल्टर नहीं होना चाहिए। सभी स्रोतों से उसकी (ओबीसी, अल्पसंख्यक और सामान्य वर्ग) वार्षिक आय 2 लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए वहीं  एससी-एसटी श्रेणी के लिए ये लिमिट ढाई लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए।

 


परिषदीय विद्यालयों में स्काउट एवं गाइडिंग को प्रभावी ढंग से लागू करेगी योगी सरकार

 

छात्रों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए कक्षा 1 से 8 तक के विद्यालयों में स्थापित की जाएंगी स्काउट एंड गाइड की यूनिट

 

कक्षा एक से 5 तक के विद्यालयों में स्थापित प्रत्येक यूनिट में 24-24 तो कक्षा 6 से 8 तक के विद्यालयों में प्रत्येक यूनिट में होंगे 32-32 सदस्य 

 

नए सत्र से पहले इन यूनिटों की स्थापना करने के दिए गए निर्देश, यूनिट के गठन की जानकारी निदेशालय स्तर पर उपलब्ध कराई जाएगी

 

प्रत्येक जनपद व ब्लॉक स्तर पर तैयार किया जाएगा स्काउट गाइड का कम से कम एक बैंड, जनपद व अंतर्जनपद स्तर पर बैंड प्रतियोगिता का भी होगा आयोजन

 

लखनऊ, 9 जून। परिषदीय विद्यालयों में छात्रों की शारीरिक एवं मानसिक योग्यताओं का पूर्ण विकास करने के लिए योगी सरकार कक्षा एक से कक्षा 8 तक के प्राथमिक विद्यालयों में स्काउट एवं गाइडिंग को प्रभावी ढंग से संचालित करने जा रही है। इसी क्रम में पूरे प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में स्काउट एंड गाइड की यूनिटें स्थापित की जाएंगी। नए सत्र से पहले इन यूनिटों की स्थापना करने के निर्देश दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि कब/बुलबुल तथा स्काउट/गाइड कार्यक्रमों द्वारा बच्चों में उच्च कोटि की नैतिकता, अनुशासन, राष्ट्रीय एकता की भावना तथा चरित्र निर्माण आदि गुणो का विकास होता है। अभी अधिकतर जगह पर कक्षा छह से आठ के विद्यालयों में यह यूनिटें स्थापित हैं। अब कक्षा एक से पांच के विद्यालयों में भी इस यूनिट की स्थापना की जाएगी।

 

नए सत्र से पहले होगा पंजीकरण व नवीनीकरण


शिक्षा निदेशक (बेसिक) प्रताप सिंह बघेल द्वारा सभी मंडलीय सहायक शिक्षा निदेशक (बेसिक) एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को इस संबंध में निर्देशित किया गया है। उन्होंने कहा है कि कक्षा एक से पांच तक के हर परिषदीय विद्यालयों में कम से कम एक यूनिट का पंजीकरण अवश्य होगा। प्रत्येक दल में 24-24 सदस्य होंगे। इसी प्रकार कक्षा 6 से कक्षा 8 तक संचालित प्रत्येक परिषदीय विद्यालय में भी कम से कम एक यूनिट स्थापित की जाए, जिसमें 32-32 सदस्य होंगे। विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की संख्या के आधार पर दलों की संख्या उसी अनुपात में बढ़ाई जा सकती है। इसके अतिरिक्त पूर्व से पंजीकृत यूनिट का नवीनीकरण भी अवश्य कराया जाए। ये भी निर्देश दिया गया है कि नए दलों का पंजीकरण व पुराने का नवीनीकरण नए सत्र से पहले कराया जाए।

 

यूनिट लीडर के रूप में शिक्षकों का होगा प्रशिक्षण


उन्होंने कहा है कि ऐसे परिषदीय विद्यालय जहां यूनिट लीडर के रूप में शिक्षक प्रशिक्षित नहीं हैं, उनका भारत स्काउट और गाइड उत्तर प्रदेश संस्था के माध्यम से प्रशिक्षण कराया जाए। 7 दिवसीय यह प्रशिक्षण आवासीय होगा। शुरुआत में इसके लिए हर जिले से 50-50 शिक्षकों को नामित किया जाए। इसके साथ ही डीबीटी की राशि से छात्र-छात्राओं के लिए एक सेट स्कूली ड्रेस और एक सेट स्काउट गाइड ड्रेस अभिभावकों से तैयार करवाने के भी निर्देश दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त स्काउट गाइड का कम से कम एक बैंड प्रत्येक जनपद ब्लॉक स्तर पर तैयार किया जाए तथा इस बैंड की प्रतियोगिता भी जनपदीय तथा अंतर्जनपदीय स्तर पर आयोजित की जाए। यही नहीं भारत स्काउट गाइड संस्था द्वारा जिले एवं प्रदेश स्तर पर आयोजित की जाने वाली बीएसजी ज्ञान प्रतियोगिता (2024-25) एवं जनपद/प्रादेशिक स्तर पर सर्वोत्तम कैडेट प्रतियोगिता में अधिक से अधिक छात्र-छात्राओं को प्रतिभाग कराया जाए। साथ ही कक्षा छह से आठ तक स्काउट गाइड का निर्धारित पाठ्यक्रम समय सारिणी के अनुसार चलाया जाए।


 

ग्रीन कोल प्रोजेक्ट से यूपी को आत्मनिर्भर बनाएगी योगी सरकार

 

- कचरे से बिजली बनाने को नोएडा में स्थापित होगा प्लांट

 

- बिजली उत्पादन को मिलेगी गति, कचरा निस्तारण की समस्या का भी होगा हल

 

- प्रतिदिन 200 टन ग्रीन कोल और 1000 मेगावाट बिजली का होगा उत्पादन

 

- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी प्रोजेक्ट की कर चुके हैं सराहना 

 

योगी सरकार ने भीषण गर्मी में बढ़ती बिजली डिमांड की शत प्रतिशत आपूर्ति करने एवं ऊर्जा के क्षेत्र में प्रदेश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए ग्रीन कोल प्रोजेक्ट की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत योगी सरकार द्वारा नोएडा में प्रतिदिन 900 टीपीडी क्षमता वाला प्लांट स्थापित किया जा रहा है, जहां पर कचरे से बिजली का उत्पादन किया जाएगा। इससे स्वच्छ भारत मिशन को भी रफ्तार मिलेगी। इस प्रोजेक्ट से प्रतिदिन 200 टन ग्रीन कोल और 1000 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा। बता दें कि स्वच्छ भारत मिशन को गति देने, बिजली सप्लाई को निर्बाध बनाये रखने और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने वाली इस परियोजना को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सराहना मिल चुकी है। वेस्ट टू एनर्जी के क्षेत्र में अग्रणी मैकॉबर बीके प्राइवेट लिमिटेड (एमबीएल) का यह प्रोजेक्ट भारत का सबसे बड़ा ग्रीन कोल प्रोजेक्ट है।

 

चार साल पहले बनी कचरे से टॉरिफाइड चारकोल बनाने की योजना


एनटीपीसी लिमिटेड ने लगभग चार साल नगर निगम के कचरे से टॉरिफाइड चारकोल बनाने की योजना बनाई थी। फिर, इसकी सहायक कंपनी एनटीपीसी विद्युत व्यापार निगम लिमिटेड ने मैकॉबर बीके को ईपीसी आधार पर परियोजना प्रदान की। ग्रीन कोल प्लांट की कुल क्षमता 900 टीपीडी कचरा प्रबंधन की होगी। यह संयंत्र 900 टीपीडी म्यूनिसिपल सॉलिड वेस्ट (एमएसडब्ल्यू) के इनपुट के साथ 200 टन ग्रीन कोल का उत्पादन करेगा। मैकॉबर बीके के ज्वाइंट मैनेजिंग डायरेक्टर गौतम गुप्ता ने बताया कि यह परियोजना मेक इन इंडिया पहल का एक प्रमुख उदाहरण है। हम ग्रेटर नोएडा में 900 टीपीडी की क्षमता वाला सबसे बड़ा वेस्ट ग्रीन कोल प्लांट स्थापित करेंगे। कंपनी ने नगरपालिका के ठोस कचरे को पर्यावरण-अनुकूल ग्रीन कोल में परिवर्तित करने के लिए एक अग्रणी समाधान विकसित किया है। स्वदेशी रूप से विकसित तकनीक कचरे को जीवाश्म ईंधन के व्यवहार्य विकल्प में बदल देती है, जिससे अपशिष्ट से संबंधित चुनौतियों का समाधान करते हुए ऊर्जा उत्पादन में एक नई क्रांति आई है। इससे वेस्ट के प्रबंधन की चुनौतियां का समाधान मिलता है। कोयला संबंधी लागत, खनन और कचरे के ढेर से जुड़े स्वास्थ्य खतरों को कम करके हर स्तर पर लाभ प्राप्त होता है।

 

पर्यावरण को मिलेगा लाभ


कंपनी के सीनियर जनरल मैनेजर प्रोजेक्ट्स बृजेश कुमार सिंह ने बताया कि इससे पर्यावरण संरक्षण, कार्बन न्यूट्रॅलिटी और आर्थिक लाभ होता है। इन ग्रीन कोल परियोजनाओं से पर्यावरण को भी लाभ होता है। यह भी महत्वपूर्ण है कि जीवाश्म कोयले के स्थान पर ठोस ईंधन के रूप में एक किलोग्राम ग्रीन कोल के उपयोग से जीवाश्म कोयले द्वारा प्रति किलोग्राम उत्पादित लगभग 2 किलोग्राम कार्बन डाई अाक्साइड (CO2)कम हो जाती है।

Comments


bottom of page
google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0