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देश में तारीख पर तारीख का दौर खत्म, संसद के दोनों सदनों में पास हुआ नया आपराधिक कानून विधेयक - पीएम मोदी हुए प्रसन्न



लोकसभा और राज्यसभा से नए आपराधिक कानून विधेयक पास होने पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने खुशी जताई। पीएम मोदी ने कहा कि भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता- 2023, भारतीय न्याय संहिता- 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम- 2023 का पारित होना हमारे इतिहास में एक ऐतिहासिक पल है।

'औपनिवेशिक युग के कानूनों के अंत का प्रतीक'

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि ये विधेयक औपनिवेशिक युग के कानूनों के अंत का प्रतीक हैं। उन्होंने कहा कि लोगों के लिए केंद्रित कानूनों के साथ एक नए युग की शुरुआत होती है। ये परिवर्तनकारी विधेयक सुधार के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का प्रमाण हैं। ये प्रौद्योगिकी और फोरेंसिक विज्ञान पर ध्यान देने के साथ हमारी कानूनी, पुलिस और जांच प्रणालियों को आधुनिकता को बढ़ावा देगा।


संगठित अपराध और आतंकवाद पर कड़ा प्रहारः पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा कि ये विधेयक गरीबों, हाशिए पर रहने वाले लोगों और वंचितों के लिए सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। साथ ही ये विधेयक संगठित अपराध और आतंकवाद पर कड़ा प्रहार करता है। उन्होंने कहा कि हमने राजद्रोह कानूनों को भी खत्म कर दिया।

 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया ऐतिहासिक दिन

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि आज का दिन देश के लिए ऐतिहासिक दिन है, क्योंकि आज भारत को अपने नए आपराधिक न्याय कानून मिले हैं। इस गौरवपूर्ण क्षण पर सभी भारतवासियों को बधाई। आज संसद में पारित तीनों विधेयक, अंग्रेजों द्वारा लागू किए गए कानूनों की जगह लेंगे और एक स्वदेशी न्याय प्रणाली का दशकों पुराना स्वप्न साकार होगा।

उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सबको साथ लेकर चलने के संकल्प से प्रेरित ये कानून, नागरिकों के अधिकारों को सर्वोपरि रखते हुए महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देंगे। अत्याधुनिक तकनीकों से सशक्त नए भारत की यह नई न्याय प्रणाली देशवासियों को पारदर्शी और त्वरित न्याय प्रदान करने का काम करेगी।

वह बोले, नए आपराधिक कानूनों के लागू होने से 'तारीख पे तारीख' युग का अंत सुनिश्चित होगा। तीन साल में न्याय मिलेगा।

पुराने आपराधिक कानूनों की जगह लेने वाले इन तीन बिलों में भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 शामिल हैं। राज्यसभा ने आज आईपीसी, सीआरपीसी और साक्ष्य अधिनियम की जगह तीन आपराधिक विधेयक - भारतीय न्याय (द्वितीय) संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा (द्वितीय) संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य (द्वितीय) विधेयक 2023 पारित किए। इसके पहले लोकसभा इन ब‍िलों पर मुहर लगा चुका है।

 

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को कहा कि तीन आपराधिक कानूनों के स्थानों पर लाए गए विधेयकों के संसद से पारित होने के बाद भारत के आपराधिक न्याय प्रक्रिया में नई शुरुआत होगी। यह पूरी तरह भारतीय होगी। भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) विधेयक, 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य (बीएस) विधेयक, 2023 पर राज्यसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए शाह ने यह भी कहा कि इन विधेयकों का उद्देश्य पिछले कानूनों की तरह दंड देने का नहीं बल्कि न्याय मुहैया कराने का है।

न्‍याय के भारतीय दर्शन को दिया गया स्‍थान...

शाह बोले, ‘इस नए कानून को ध्यान से पढ़ने पर पता चलेगा कि इसमें न्याय के भारतीय दर्शन को स्थान दिया गया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने भी राजनीतिक न्याय, आर्थिक न्याय और सामाजिक न्याय को बरकरार रखने की गारंटी दी है। संविधान की यह गारंटी 140 करोड़ के देश को यह तीनों विधेयक देते हैं।’

उन्होंने कहा, ‘इन कानूनों की आत्मा भारतीय है। पहली बार भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद से बनाए गए कानून से हमारी आपराधिक न्याय प्रक्रिया चलेगी। इसका मुझे बहुत गौरव है।’ शाह के अनुसार, इन कानूनों की आत्मा भी भारतीय है, सोच भी भारतीय है और ये पूरी तरह से भारतीय हैं।

पुराने कानूनों का उद्देश्‍य भी बताया...

उन्होंने कहा कि भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम... इन तीनों कानूनों को 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों के शासन की रक्षा के लिए बनाया गया था। इनका उद्देश्य सिर्फ और सिर्फ अंग्रेजों के शासन की सुरक्षा करना था। इसमें कहीं भारत के नागरिक की सुरक्षा, उसके सम्मान और मानव अधिकार की सुरक्षा नहीं थी।

अमित शाह बोले, इन कानूनों के लागू होने के बाद देश में ‘तारीख पे तारीख’ का दौर चला जाएगा। तीन साल में किसी भी पीड़ित को न्याय मिल जाए, ऐसी प्रणाली देश में स्थापित होगी। उन्होंने कहा, ‘यह विश्व की सबसे आधुनिक और वैज्ञानिक न्याय प्रणाली होगी।’

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