शहर में "आसरा- दा हेल्पिंग हैंड्स" से अभियान शुरू किया है इसके तहत लोग पप्पी ( देसी कुत्तों) को गोद ले सकते हैं। इस अभियान का तीसरा शिविर रविवार को लखनऊ मोहत्सव स्थल पर दोपहर दो बजे से लेकर पांच बजे तक चलाया गया। इसमें देसी नस्ल के श्वानों को शामिल किया गया।
गली-मोहल्लों में भटकने वाले पप्पी को "आसरा- दा हेल्पिंग हैंड्स" ने इकट्टा किया है, ताकि उन्हें ठंड में इधर से उधर भटकने से बचाया जा सके और उनका पालन भी ठीक तरीके से हो सके।
इससे पहले भी संस्थान एडॉप्शन कैंप का आयोजन कर चुका है । श्वान को गोद लेने के इच्छुक लोगों को आधार कार्ड की फोटोकॉपी लेकर आना होगा। इसके लिए एक मोबाइल नम्बर 6388979130 जारी किया गया है। इस नंबर पर सम्पर्क करके आप भविष्य में भी देसी नस्ल के श्वानों को गोद ले सकते है। इस कार्यक्रम के आयोजक चारु खरे ने बताया कि यह लखनऊ में दूसरा शिविर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को स्वदेशी नस्ल के श्वान को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया है। क्योंकि उनके रखरखाव पर कम खर्च की आवश्यकता होती है और वे पहले से ही भारत की जलवायु के अनुकूल होते हैं। फिर भी समाज में देसी और विदेशी कुत्तों के बीच भेदभाव कम नहीं हो रहा है। जबकि ये हमारे मित्र की तरह ही रहते है अगर हम सब इन्हे अपनी ज़िम्मेदारी समझ लें तो इन बेजुबानों के साथ-साथ हम सबकी भी बहुत मदद होगी।
बता दें कि Aasra “The helping hands” दो बहनों पूर्णा व चारु खरे का एक ट्रस्ट है जिसे वो दोनों अपनी इनकम से चला रहीं हैं। आसरा ने 700 से अधिक बेज़ुबानो को अब तक मदद पहुँचाई है। साथ ही 70 से ज़्यादा बेज़ुबानो को घर दिलाने में मदद की है। ये संस्था न सिर्फ श्वानों के लिए बल्कि सभी प्रकार के बेसहारा जीव के लिए काम करती है। आसरा का उदेश्य है कि हम सब मिलकर एक दूसरे की इस तरह से मदद करें की कोई भी बेसहारा नहीं महसूस करें।
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