
मुजफ्फरनगर, 17 जुलाई 2023 : दिन रविवार, स्थान मीनाक्षी चौक, समय दिन के 2 बजे। वहां से गुजर रहे लोग एका एक उस समय ठिठक गए, जब उन्होंने सड़क पर नोट बिखरे देखे, इससे पहले वह नोटों को उठाने की हिमाकत करते, वहां तैनात ट्रैफिक पुलिस का कांस्टेबल बीच में आ गया। फिर क्या था, सड़क पर बिछे नोटों को बारे में जाने के लिए लोग व्याकुल हो गए। उन्हें जब यह पता चला कि नोट एक दिव्यांग भिखारी के है तो यह सुनते ही वह सकते में आ गए और फिर चुपचाप वहां से बिना कुछ कहे निकले गए।
चाय पीने आया था दिव्यांग भिखारी
दरअसल, मीनाक्षी चौक पर दिन में दो बजे एक दिव्यांग भिखारी चाय पीने के लिए आया था। चाय पीने के लिए वह डरते-डरते अपनी पोटली से पैसे निकाल रहा था। इस दौरान वह यह भी देख रखा था कि कहीं किसी की नजर उसकी पोटली पर तो नहीं है। डरा सहमे दिव्यांग भिखारी को देखकर वहीं पास में ड्यूटी दे रहे ट्रैफिक पुलिस के कांस्टेबल प्रदीप कुमार की नजर भी उसकी पोटली पर पड़ गई कि आखिर वह इतना डर क्यों रहा है। जैसे ही ट्रैफिक पुलिसकर्मी दिव्यांग भिखारी के पास पहुंचा तो वह कांपने लगा।
इशारों में बताया भीख मांगकर करता है गुजारा
कांस्टेबल प्रदीप कुमार ने जब उससे कुछ जानकारी करने का प्रयास किया तो वह कुछ इशारों में बात करने लगा, तभी चाय वाले ने कांस्टेबल को बताया, साहब...यह भिखारी है, जो भीख मांग कर अपना गुजारा करता है। इसके पास न तो घर है और न कोई रिश्तेदार। इसके पास पोटली में जो पैसे वह पिछले चार दिनों से हो रही बरसात में भीग गए हैं। कांस्टेबल प्रदीप कुमार ने काफी देर तक भिखारी को नोट सुखाने के लिए समझाया तो भिखारी ने विश्वास कर पोटली कांस्टेबल के सामने रखे दी।
नोट सुखाकर भिखारी को लौटाए
कांस्टेबल ने जैसे ही पोटली खोली तो उसके अंदर से 100, 50, 20 व 10 के नोट के अलावा 2, 5 व 10 के सिक्के भी थे, जो जंग खा चुके थे। कांस्टेबल ने पोटली से नोट निकालकर सुखाने के लिए सड़क पर बिछा दिए, क्योंकि रविवार को मौसम खुला हुआ था। नोट सूखने के बाद कांस्टेबल ने एकत्र कर फिर से भिखारी को दे दिए और भिखारी ने मुस्करा कर और हाथ जोड़ कर कांस्टेबल का शुक्रिया अदा किया।
कांस्टेबल प्रदीप कुमार ने बताया, भिखारी के पोटली में पांच हजार से अधिक रुपये थे। पहले वह डर रहा था लेकिन बाद में वह मान गया। वह बोलने में भी असमर्थ था, जिसके कारण वह अपना नाम भी नहीं बता पाया।
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