जब भारत में कोरोना वाइरस आया था तब उस समय भारत में मास्क और सेनिटाइजर का उत्पादन लगभग ना के बराबर था। PPE किट के बारे में तो शायद हमने-आपने सुना भी नहीं था। हमारा देश इन सब चीजों के लिए विदेशी सहायता पर आश्रित था। लेकिन जैसे ही ये समझ आया कि कोरोना की लड़ाई में इन मूलभूत चीज़ों की आवश्यकता पड़ेगी तो भारत सरकार व तमाम छोटे-बड़े कारोबारियों ने उस नाज़ुक स्तिथि में भी असंभव को संभव करके दिखाया और चंद महीनों के भीतर ही भारत मास्क, सेनिटाइजर और PPE किट में विश्व का अग्रणी उत्पादक बन गया।
साथ ही कोरोना की पहली लहर जब आई तो भारत ये भी समझ गया था कि COVID-19 को हराने में वैक्सीन की अहम भूमिका रहेगी। भारत ने अथक प्रयासों द्वारा कोरोना से बचाव के लिए सालभर के भीतर वैक्सीन भी तैयार करली जो कि पूरे विश्व में गिने चुने देश ही ऐसा कर पाए। भारत ने दुनिया के बड़े-बड़े विकसित देशों से बेहतर और ज्यादा मात्रा में वैक्सीन का उत्पादन भी किया और कई देशों को वैक्सीन मदद के तौर पर भेजी और आज भी वैक्सीन उत्पादन का काम तेज़ी से जारी है।
आपको पिछले साल के मार्च में चीन के साथ हुआ मतभेद तो याद होगा ही। अब भारत ना केवल आंतरिक मसलों पर बल्कि बाहरी मसलों पर भी मजबूती से खड़ा है। अब वो भारत नहीं कि जो ये कहे कि बंजर ज़मीन से हमें कोई फायदा नहीं अगर उसे चीन ने ले भी लिया तो क्या !! किसी टूलकिट गैंग की सोच का तो नहीं कह सकता लेकिन अगर आप मौजूदा भारत को देखेंगे तो सच में ये मानेंगे कि आज का भारत आँखों में आँखें डालकर विरोधियों को मुँह तोड़ जवाब देना जानता है।
कोरोना की दूसरी लहर काफ़ी घातक रही। हम सबने अपने किसी प्रिय को ऑक्सिजन सिलिंडर ना मिल पाने या हस्पतालों में ऑक्सिजन आपूर्ति की कमी से खोया है। लेकिन आज हम देख पा रहे हैं कि रोज़ नए ऑक्सिजन प्लांट, ऑक्सिजन सिलिंडर बनाने के प्लांट खुल रहे हैं। जो सिलिंडर चारगुना दामों पर लोग कालाबाज़ारियों से लेने को मजबूर थे अब वो सरलता से उपलब्ध हो पा रहे हैं। मुझे लगता है कि शायद आने वाले समय में यही ऑक्सिजन सिलिंडर मेडिकल स्टोर पर मिल लगेंगे और हम उस स्तिथि में भी पहुँच जाएंगे जब हम ऑक्सिजन कॉन्सन्ट्रेटर विदेश में मदद के तौर पर भेज सकेंगे।
आज भारत में "Made In India" ढ़ेरों ऐसी दवाइयाँ बन चुकी हैं जो ऑक्सिजन की कमी का मुकाबला कर सकती हैं। DRDO की 2-DG बाज़ारों में आ चुकी हैं और आप देखेंगे कि कुछ ही महीनों में गली-नुक्कड़ की मेडिकल स्टोर पर शरीर में ऑक्सिजन की मात्रा को बढ़ाने वाली भारतीय दवाइयाँ मिल रही होंगी।
बाज़ारों में वैक्सीन के भी कई किस्में होंगी और लोग स्वेच्छा से अपनी पसंद की वैक्सीन लगवा पाएंगे।
साथियों कहना सिर्फ इतना ही है कि इस देश में मुसीबतें पहले भी आई थीं और इसमें कोई दो राय नहीं है, आगे भी आगे भी आएंगी। लेकिन अब वो समय नहीं जब भारत को विदेशी मदद पर आश्रित रहना पड़े।
कुछ राजनीतिक लाभ लेने वाले नेता या दल पहले भी थे जो मुसीबत के समय अपने ही देश के खिलाफ हो जाया करते थे। आजकल उनका भी नया वैरियंट "टूलकिट" वालों के नाम से ख़ासा प्रसिद्ध हो रहा है। वो लोग तो देश को बदनाम करेंगे वाइरस को भारतीय वैरियंट बताएंगे, वैक्सीन को भाजपा की वैक्सीन बताएंगे, कुंभ मेले के माध्यम से हिंदुओं निशाना बनाएंगे और ईद को " मंगल मिलन समारोह " की तरह प्रदर्शित करेंगे और इसी तरह की हज़ारों बातें बनाएंगे और आप लोगों को भरमाएँगे।
अब यहाँ पर आप सभी साथियों की जिम्मेदारी बढ़ जाती है कि किसकी बातों पर ग़ौर करना है और किन लोगों की बातों से किनारा करना है।
लेखक - अभिजात मिश्रा
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