कोरोना का कहर हर घंटे पहले से ज्यादा हो रहा है। जो व्यवस्थाएं थीं वो देश के किसी भी हिस्से में कोरोना के मामले बढ़ने के साथ ही शुरुआती घंटों में ही ध्वस्त हो गईं।
संक्रमित मरीजों की बेतहाशा बढ़ोतरी के चलते स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गईं। देश भर के अस्पतालों में बेड, वेंटिलेटर, कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा रेमडेसिविर और ऑक्सीजन की भारी किल्लत चल रही है, जिसके चलते मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस बीच कोसना भी सरकार को है और उम्मीद भी सरकार से है।
जिंदगी की जंग जारी है। टूटती सांसों को उम्मीद का सहारा मिला है। केंद्र सरकार ने एक झटके में रविवार को 162 से ज्यादा ऑक्सीजन संयंत्र लगाने को मंजूरी दे दी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक 162 ऑक्सीजन संयंत्र में से 33 पहले ही स्थापित किए गए हैं जिसमें पांच मध्यप्रदेश में, चार हिमाचल प्रदेश में, तीन-तीन चंडीगढ़, गुजरात और उत्तराखंड में और दो-दो बिहार, कर्नाटक, और तमिलनाडु में हैं।
अब आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, दिल्ली हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, पुडुचेरी, पंजाब और उत्तर प्रदेश में एक-एक संयंत्र लगाया गया है।
विदेश से भी आयात होगी ऑक्सीजन
कोविड-19 के बढ़ते मामलों के चलते 50 हजार मीट्रिक टन ऑक्सीजन के लिए टेंडर मंगाए गए। जबकि इसके संसाधनों और उत्पादन क्षमता का अत्यधिक मामलों वाले 12 राज्यों की जरूरतों को पूरा करने के लिए चिह्नीकरण किया गया है।
इसे गृह मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किया जाएगा। महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में इसकी आवश्यकता सबसे ज्यादा महसूस की गई है।
पीजीआई में 20 हजार लीटर का प्लांट
इस बीच जानकारी मिली है कि लखनऊ पीजीआई में बीस हजार लीटर क्षमता का आक्सीजन प्लांट लगा दिया गया है जिससे किसी तरह की किल्लत से भर्ती मरीजों को ना जूझना पड़े।
टीम स्टेट टुडे
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