करीब दो साल हो गए जम्मू कश्मीर में धारा 370 और आर्टिकल 35 ए को खत्म हुए। इन दो वर्षों में केंद्र की तरफ से हर वो संभव कोशिश की गई जिससे जम्मू कश्मीर की जनता मुख्य धारा में शामिल हो सके।
महबूबा मुफ्ती, फारुख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और तमाम अलगाववादी नेताओं को पहले नजरबंद रखा गया। धीरे धीरे स्थिति सामान्य करने की कोशिश हुई। एनएसए अजीत डोबाल खुद जम्मू कश्मीर गए, लोगों से मिले, उनकी बातें सुनी, उन्हें हर प्रकार से आश्वस्त करने की भरसक कोशिश की।
जब नेताओं पर से नजरबंदी हटी, स्थिति को सामान्य किया गया तो एक बार फिर वही हुआ जो असल में कुत्तों की दुम के साथ होता है। जैसे ही फारुख, महबूबा जैसे नेता बाहर निकले फिर से जुबान टेढ़ी हो गई। सिर्फ जुबान ही टेढ़ी नहीं हुई फारुख अब्दुल्ला के घर पर घाटी के तमाम अलगाववादी और पाकिस्तान परस्त नेता इकट्ठा हुए और गुपकार संगठन बनाया। जो दरअसल पाकिस्तान के इशारे पर काम करता है और कश्मीर में फिर से धारा 370 और आर्टिकल 35 ए की वकालत करता है।
रह-रह कर घाटी समेत राज्य के अलग अलग हिस्सों में आतंकी घटनाएं होती रहती हैं। सुरक्षा बल आज भी चौकन्ने और मुस्तैद हैं।
इन सब वाकयों के बावजूद केंद्र सरकार ने बड़ा दिल दिखाया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जम्मू कश्मीर पर सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया है। केंद्र सरकार के तेवर फिर से गुलाटी मारने के लिए मौका पाने की चाहत लिए जम्मू कश्मीर के गुपकार गठबंधन ने बैठक में शामिल होने में ही भलाई समझी है।
जम्मू कश्मीर में अलगाववादियों और पाकिस्तान की भाषा बोलने वाली कांग्रेस का कहना है कि बैठक के न्योते के साथ इसका एजेंडा भी साथ में होता तो बेहतर होता। कांग्रेस भी इस बैठक में शामिल होगी।
सतर्क केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर पर पैनी निगाह जमाए भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने इस बैठक से पहले हर स्थिति को गंभीरता से टटोला है। आतंकियों की हरकतों को देखते हुए सुरक्षा बलों के लिए जम्मू कश्मीर मे 48 घंटे का हाई अलर्ट का एलान किया गया है। 24 को इंटरनेट सेवा को सस्पेंड किया गया है।
क्या चाहता है गुपकार संगठन
पीपुल्स एलायंस फार गुपकार डिक्लेरेशन (पीएजीडी) के घटक नेशनल कांफ्रेंस और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी सरीखे संगठन पांच अगस्त 2019 से पहले की संवैधानिक स्थिति की बहाली और देश की विभिन्न जेलों में बंद कश्मीरी बंदियों की तत्काल रिहाई का मुद्दा उठाने की बात कही है।
क्या कहना है महबूबा मुफ्ती का
आतंकवादियों और अलगाववादियों से पीडीपी के रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं। पीडीपी तो पाकिस्तान की गोदी में झूला झूलता है। इसलिए पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने केंद्र से पाकिस्तान के साथ भी वार्ता की प्रक्रिया शुरू करने की मांग की है।
किस तरह की रणनीति है जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दलों की
नेशनल कांफ्रेंस पीडीपी, माकपा और अन्य आमंत्रित राजनीतिक दलों ने अपने अपने दल की नीतियों के मुताबिक भी पक्ष रखने का फैसला किया है। रणनीति ये है कि अपनी अपनी ढपली और अपना अपना राग अलाप कर गतिरोध को जारी रखते हुए ठीकरा केंद्र के सिर फोड़ सकें और अगर कोई ऐसी बात जो फायदे की लगे तो मान कर श्रेय भी लिया जा सके।
क्या है सर्वदलीय बैठक का आधार
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक माहौल बनाने और विधानसभा चुनाव की जमीन तैयार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निवास पर होने वाली बैठक के लिए प्रदेश के मुख्यधारा के सभी दलों को न्योता दिया गया है। इसमें पीएजीडी को नहीं बुलाया गया है, लेकिन नेकां, पीडीपी और माकपा तीनों ही इसके प्रमुख घटक हैं।
पीएजीडी के प्रवक्ता मोहम्मद यूसुफ तारीगामी ने कहा कि हम 24 जून की बैठक में वही मांगेंगे जो हमारा था और हमारा है, वह हमारे साथ ही रहना चाहिए। हम अनुच्छेद-370 और 35ए की बहाली की मांग करेंगे।
डोगरा एडवांस प्लान
प्रधानमंत्री मोदी के साथ होने वाली सर्वदलीय बैठक में एक स्थिति और बन सकती है। बीते सत्तर साल से 'गुपकार' या उनके विचारों से मिलते जुलते लोगों ने जम्मू-कश्मीर पर राज किया है। कभी जम्मू-कश्मीर पर 'डोगरा' समुदाय के लोग शासन करते थे। एक साजिश के तहत उनका शासन खत्म कर दिया गया। इस बात की संभावना है कि डोगरा समुदाया के साथ साथ भारतवर्ष में कहीं भी रह रहे कश्मीरी पंडितों को कश्मीर का नागरिक मानते हुए वोटिंग का अधिकार दिया जाए। चूंकि राज्य में मौजूद मुसलमान अभी भी कश्मीरी पंडितों की वापसी पर बंदूक ताने खड़े हैं इसलिए कश्मीरियत की बात तो बेमानी है लेकिन जम्हूरियत को कायम करने के लिए कश्मीरी पंडित एक बड़ा बिंदु हैं।
केंद्र सरकार जम्मू कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग पर सरकार कोई आश्वासन दे सकती है। राज्य में परीसीमन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसके बाद संभावना है कि केंद्र सरकार पूर्ण राज्य का दर्जा देकर चुनाव करा दे। अलगाववादी समूह भी अब पूर्ण सरकार के पक्ष में हैं।
आपको याद दिला दें कि जम्मू कशमीर की पैंथर्स पार्टी ने अनुच्छेद 370 समाप्त करने के फैसले का स्वागत किया था। जम्मू-कश्मीर पैंथर्स पार्टी के चीफ भीम सिंह ने कहा कि केंद्र से न्योता तो मिला है पर एजेंडा नहीं है। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी से तमाम मतभेद के बावजूद उन्होंने मीटिंग बुलाकर बहुत हिम्मत, समझदारी और सूझबूझ दिखाई है।
अंतिम बात
वैसे आपको बताते चलें कि जम्मू कश्मीर को लेकर केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नजरिया बिलकुल साफ है। एक एक इंच की रणनीति बहुत पहले से तैयार है। जिस तरह एक झटके में धारा 370 और आर्टिकल 35 ए हटा था उसी तरह जम्मू कश्मीर में कब क्या होना है कैसे होना है सब कुछ तयशुदा है। सही वक्त पर सही तरीके से आगे बढ़ना सरकार की प्राथमिकता है। इसलिए पाकिस्तान की भाषा बोल रहे कश्मीर के ऐसे तमाम नेता जो आज भी पुराने दिन लौटने के ख्वाब बुन रहे हैं वो इतनी तसल्ली जरुर कर लें कि अगर सरकार के साथ मिलकर जम्मू कश्मीर की भलाई के लिए काम करें तो बेहतर वर्ना भविष्य में उनकी अपनी खोज खबर लेने वाले भी तलाशे नहीं मिलेंगे।
टीम स्टेट टुडे
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