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बड़ी चर्चा है उन उपहारों की जो पीएम मोदी अपने साथ अमेरिका की यात्रा में ले गए हैं



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिका के दौरे पर हैं। जहां उनकी मुलाकात अमेरिकी राष्ट्रपति के अलावा दुनिया के कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों से होनी है। जाहिर है पीएम मोदी अपनी मुलाकात को बेमिसाल यादगार बनाने के लिए तोहफे भी ले गए हैं। ये तोहफे अब चर्चा का विषय बन गए हैं।


हालात ऐसे बने हैं कि अब अगर आपका कोई अपना अमेरिका, आस्ट्रेलिया या जापान में रहता है तो वो आपसे उन्हीं तोहफों की डिमांड कर सकता है जो पीएम मोदी अपने साथ ले गए हैं। ऐसा मत सोचिए कि पीएम मोदी जो तोहफे ले गए हैं उन्हें आप नहीं ले सकते। आप हैरान रह जाएंगे ये जानकर कि ये ऐसे उपहार हैं जो आपकी पहुंच से भी बाहर नहीं हैं। बस बात इतनी सी है कि अब तक आप उन उपहारों पर ध्यान ही नहीं देते थे।

ये बदलते भारत की वो कहानी है जो सड़क के फुटपाथ से शुरु होती है और दुनिया के सबसे मंहगें गिफ्ट शोरुम के शोकेस तक पहुंच जाती है।

जो उपहार पीएम मोदी लेकर गए हैं वे सभी उनके संसदीय क्षेत्र काशी की नायाब कारीगरी के नमूने हैं।


कमला हैरिस को भेंट की दादा की यादें


गुरुवार को पीएम मोदी और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की मुलाकात हुई। पीएम मोदी ने उन्हें उनके दादा पीवी गोपालन की पुरानी अधिसूचनाओं से संबंधित लकड़ी के फ्रेम की कॉपी भेंट की है। सरकारी अधिकारी के तौर पर पीवी गोपालन को यह फ्रेम उनके सराहनीय कार्यों के लिए दिया गया था। इस पर पीवी गोपालन से संबंधित पुरानी सूचनाएं अंकित हैं। पीवी गोपालन देश के एक वरिष्ठ और सम्मानित सरकारी अधिकारी थे जिन्होंने विभिन्न पदों पर कार्य किया।



ऑस्ट्रेलिया के पीएम को दिया चांदी का जहाज


पीएम मोदी ने ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन को एक चांदी का गुलाबी मीनाकारी जहाज उपहार में दिया गया था। यह जहाज भी विशिष्ट रूप से दस्तकारी और रंग में चमक वाला है। यह शाश्वत काशी की गतिशीलता को दर्शाता है।



चंदन की लकड़ी से बनी बुद्ध की प्रतिमा जापान के पीएम को भेंट


इसके अलावा जापान के प्रधानमंत्री योशीहिदे सुगा को चंदन की लकड़ी से बनी बुद्ध प्रतिमा भेंट की है। पीएम मोदी ने कहा कि भारत और जापान को साथ लाने में बौद्ध धर्म की भूमिका बहुत अधिक रही है।


सबसे दिलचस्प है शतरंज का सेट


पीएम मोदी ने वीपी हैरिस को गुलाबी मीनाकारी शतरंज का सेट भी भेंट किया। गुलाबी मीनाकारी का शिल्प काशी की परंपरा से जुड़ा हुआ है, दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक बनारस में गुलाबी मीनाकारी का काम भी काफी पुराना है।


इस विशेष शतरंज सेट पर प्रत्येक टुकड़े पर विशेष रूप से दस्तकारी की गई है। इसमें शा‍मिल चटख रंग काशी की जीवंतता को दर्शाते हैं।


पीएम मोदी क्वाड लीडर्स समिट में भाग लेने और संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित करने के लिए तीन दिवसीय अमेरिका दौरे पर हैं।


शतरंज की रंगबिरंगी बिसात


परंपरागत शतरंज के बोर्ड पर काले और सफेद रंग की सेना के प्रतीक राजा, मंत्री, हाथी, घोड़ा और ऊंट के अलावा प्‍यादे यानि सैनिक होते रहे हैं। मगर, पीएम ने जिस गुलाबी मीनाकारी वाले शतरंज को भेंट किया है उसका मामला थोड़ा अलग है।


इस शतरंज के सेट में काले की जगह नीला और सफेद की जगह हरा रंग का प्रयोग किया गया है। बेशकीमती लकड़ी के फ्रेम पर शतरंज का बोर्ड काले और सफेद की जगह काला और पीले रंग का प्रयोग किया गया है।

सेंट्रल कार्टेज इंडस्ट्रियल इंपोरियम के जरिए यह पीएमओ को भेजा गया था। इसे वाराणसी के कुंज बिहारी सिंह, राष्‍ट्रीय पुरस्‍कार प्राप्‍त मीनाकारी कलाकार की ओर से विशेष आर्डर पर तैयार करके भेजा गया था।

हजारों रुपये कीमत के यह शतरंज का सेट पूरी तर‍ह हाथ से निर्मित है। इसमें बेस पर गुलाबी मीनाकारी का रिंग बनाने के साथ ही किरदारों को भी गुलाबी रंगत से चटख किया गया है। कुल मिलाकर यह शतरंज संग्रहणीय सेट है।


गुलाबी मीनाकारी की पहचान


जब फ्रांस के राष्‍ट्रपति एमैनुअल मैक्रां वाराणसी अपनी पत्‍नी के साथ आए थे तो ट्रेड फैसिलिटेशन सेंटर में गुलाबी मीनाकारी का एक शानदार झुमका भेंट किया था। वाराणसी का यह जीआइ टैग प्राप्‍त उत्‍पाद विश्‍व भर में अपनी अनोखी पहचान रखता है। इस कला को वाराणसी के कारीगारों ने पुश्‍त दर पुश्‍त सदियों से सहेज रखा है।


राजे-रजवाड़ों के समय से मांग में रही गुलाबी मीनाकारी : पुराने समय में राजे-रजवाडों के मुकुट,और रत्‍नजड़‍ित आभूषण पहनने के चलन ने इस कला को बढ़ावा द‍िया। मुगलकाल में यह कला काशी नगरी में समृद्ध हुई। आभूषणों, सजावटी सामान विशेषकर हाथी, घोड़े, ऊंट, चिड़िया, मोर व सोने-चांदी के बर्तनों आदि पर की जाने लगी। पहले विशेष रंगों के स्टोन का बारीक पाउडर बनाया जाता है, फिर उसे अनार के दानों से तैयार गोंद में मिलाकर आभूषणों पर पेंट किया जाता है। पेंट सूखने के बाद आभूषण को भट्ठी में 1000 डिग्री के तापमान पर गर्म किया जाता है।


व‍िशेष गुलाबी रंग के चलते पड़ा नाम : सोना व अन्य धातुओं से तैयार पाउडर जर्मनी से मंगाए जाते हैं, जो करीब 400 रूपये प्रति ग्राम की दर से मिलता है। स्लेटी रंग के इस पाउडर को स्टोन पाउडर की तरह ही अनार के सूखे दाने से तैयार गोंद में मिलाकर आभूषणों पर पेंट किया जाता है। भट्ठी में सावधानीपूर्वक तपाने से इसका रंग गुलाबी हो जाता है।


टीम स्टेट टुडे


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