मोदी हों या योगी – बीजेपी सरकार का हर फैसला कसा जाता है जिसके फार्मूले पर आज उनकी पुण्यतिथि है।
11 फरवरी की तारीख राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, भारतीय जनता पार्टी और पूर्व में जनसंघ से जुड़े लोगों के लिए सबसे तकलीफ का दिन होता है। यही वो दिन है जब संघ के स्वयंसेवक और जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की हत्या हुई थी।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय ही वो शख्सियत है जिनके एकात्म मानवदर्शन पर भारतीय जनता पार्टी की हर सरकार चलती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वर्तमान सरकार जब भी कोई फैसला लेती है या कानून बनाती है तो उसे लागू करने से पहले उसे पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानवदर्शन के सिद्धांत की कसौटी पर कसा जाता है। अगर सरकार की योजना का लाभा देश के आखिरी आदमी तक पहुंचना सुनिश्चित होता है तभी सरकार आगे बढ़ती है अन्यथा उसमें संशोधन किए जाते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी के विचारक दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर पार्टी सांसदों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय के विचार आज भी प्रासंगिक हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सामाजिक जीवन में एक नेता को कैसा होना चाहिए, भारत के लोकतन्त्र और मूल्यों को कैसे जीना चाहिए, दीनदयाल जी इसके भी बहुत बड़ा उदाहरण हैं। इसके साथ ही पीएम मोदी ने देशवासियों से कहा कि आप एक लिस्ट बनाइए कि सुबह उठने से लेकर सोने तक कितनी स्वदेशी और कितनी विदेशी चीजों का इस्तेमाल करते हैं।
'दीनदयाल उपाध्याय एक नेता के लिए बहुत बड़ा उदाहरण'
पीएम मोदी ने कहा, 'मेरा अनुभव है और आपने भी महसूस किया होगा कि हम जैसे-जैसे दीनदयाल जी के बारे में सोचते हैं, बोलते हैं, सुनते हैं, उनके विचारों में हमें हर बार एक नवीनता का अनुभव होता है। एकात्म मानव दर्शन का उनका विचार मानव मात्र के लिए था। इसलिए, जहां भी मानवता की सेवा का प्रश्न होगा, मानवता के कल्याण की बात होगी, दीनदयाल जी का एकात्म मानव दर्शन प्रासंगिक रहेगा। सामाजिक जीवन में एक नेता को कैसा होना चाहिए, भारत के लोकतन्त्र और मूल्यों को कैसे जीना चाहिए, दीनदयाल जी इसके भी बहुत बड़ा उदाहरण हैं।
जनसंघ के अध्यक्ष थे पंडित दीनदयाल उपाध्याय
पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितंबर 1916 को उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुआ था. वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य थे और भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष भी रहे। उन्होंने देश को एकात्म मानवदर्शन जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी और कहा कि दुनिया को पूंजीवाद या साम्यवाद नहीं, बल्कि मानववाद की जरूरत है। दीनदयाल उपाध्याय का ये भी कहना था कि हिंदू कोई धर्म या संप्रदाय नहीं, बल्कि भारत की राष्ट्रीय संस्कृति है। वो राजनेता होने के साथ-साथ एक पत्रकार और लेखक भी थे। उन्होंने RSS द्वारा प्रकाशित साप्ताहिक पत्रिका पान्चजन्य की नींव रखी थी। इस पत्रिका के पहले संपादक देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी थे।
आज यानी 11 फरवरी को पंडित दीनदयाल जी के जीवन से जुड़ी एक डाक्यूमेंट्री आपके लिए विशेष रुप से स्टेट टुडे के माध्यम से दी जा रही है। इस डाक्यूमेंट्री का निर्माण और एंकर ज़ी न्यूज के वरिष्ठ पत्रकार शेखर त्रिवेदी ने किया है।
डाक्यूमेंट्री के लिए ज़ी न्यूज़ का आभार।
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