वाराणसी, 13 फरवरी 2023 : काशी के विश्वप्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर गंगा की आरती में सोमवार की शाम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु शामिल हुईं। उनके साथ प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी थे। आरती स्थल पर नमो मंच पर बैठीं राष्ट्रपति को सबसे पहले ब्राह्मणों द्वारा शुद्धि मंत्र पढ़कर संकल्प दिलाया गया। इसके बाद राष्ट्रपति ने अक्षत, धूप, दीप गंगा को समर्पित किया।
राष्ट्रपति ने सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामया का संकल्प लिया। उसके बाद गंगा तरंग रमणीय शिव स्तोत्र पढ़कर भगवान शिव की स्तुति की गई। गंगा व लक्ष्मी जी की भी स्तुति की गई। षोडश विधि से पूजन कार्य हुआ। राष्ट्रपति द्वारा गंगा आरती के बाद भगवान विष्णु के नाम अच्युतं केशवं राम नारायणम कृष्ण दामोदरं, व गोविंद बोलो हरि गोपाल बोलो, राधा रमण हरि गोपाल बोलो जैसी स्तुति के साथ ईश स्मरण किया गया।
इसके साथ ही राधे-कृष्ण की सामूहिक अनुगूंज से आरती स्थल नारायणमय हो गया। इस दौरान मंच पर राष्ट्रपति समेत मुख्यमंत्री तालियां बजाते भगवान का स्मरण करते दिखे। रामजनम योगी ने अविरल शंख वादन कर आरती की परंपरा का निर्वाह किया। आगे नौ चौकियों पर उतनी ही संख्या में भूदेव और उसके पीछे 18 की संख्या में कन्याएं हाथ जोड़े मां गंगा की आरती कर रही थीं।
इस क्रम में धूप, गुगुल , कपूर और असंख्य दीपों से भुदेवों द्वारा आरती की गई। गंगा की आरती - जय गंगे माता, जो नर तुमको ध्याता पार उतर जाता की गूंज से गंगा का तट अनुगुंजित हो रहा था। इसके साथ ही देवी सुरेश्वरि भगवति गंगे जैसा कर्णप्रिय गीत अलौकिक क्षण निर्मित कर रहा था। इस सुखद क्षण का आनंद लेते भारतीय गणतंत्र की सर्वोच्च पद राष्ट्रपति का एकटक से निहारना इस अद्भुत वातावरण को द्विगुणित कर रहा था। इस पूरे नैसर्गिक वातावरण में बगल के डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद घाट पर खड़ी जनता भी शामिल होकर कृतकृत्य हो रही थी।
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