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Prime Minister Modi ने संगम नोज में कुम्भ कलश का किया कुम्भाभिषेक

Writer's picture: statetodaytvstatetodaytv



रत्न जड़ित, अष्ट धातु से बना विशिष्ट कुम्भ कलश


संत बोले पीएम और सीएम खुद संतो का आशीष लेने महाकुम्भ आए, महाकुम्भ दिव्य और भव्य होना तय


महाकुम्भ नगर, 13 दिसंबर। प्रयागराज महाकुम्भ के आयोजन से पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को त्रिवेणी संगम में पूजा अर्चना कर 13 जनवरी से शुरू हो रहे महाकुम्भ के सफल आयोजन की कामना की। इस दौरान पीएम मोदी ने कुम्भ कलश का भी कुम्भाभिषेक किया। यह कुम्भ कलश रत्नजड़ित है और अष्टधातु का बना हुआ है।


पीएम के पास भेजा जाएगा कुम्भ कलश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को महाकुम्भ नगर पहुंचे। इस दौरान त्रिवेणी पूजन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुम्भ कलश का कुम्भाभिषेक भी किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस कुम्भ कलश की पूजा की, वह रत्न जड़ित है। गंगा पूजन कराने आए तीर्थ पुरोहित दीपू तिवारी ने बताया कि प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने मोतियों से सजे इस अष्ठधातु से निर्मित इस कुम्भ कलश को अमृत रूपी कलश बनाने के लिए इसमें आम का पत्ता और नारियल भी रखा है। इसके साथ ही इसमें गऊशाला, तीर्थस्थलों की मिट्टी रखी गई। इसमें गंगाजल, पंचरत्न, दुर्बा, सुपारी, हल्दी रखी भी रखी गई। पीएम के पास इस कुम्भ कलश को भेजा जा रहा है।



संतों ने दिया आशीर्वाद, बोले- महाकुंभ दिव्य और भव्य होगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने त्रिवेणी पूजन से पहले साधु संतो से भी मुलाकात की। सभी 13 अखाड़ों से दो-दो प्रतिनिधि संगम नोज में आमंत्रित किए गए। इसके अलावा दंडी बाड़ा, आचार्य बाड़ा और खाक चौक व्यवस्था समिति से भी दो दो संत शामिल हुए। श्री पंचायती अखाड़ा महा निर्वाणी की तरफ से पीएम से मुलाकात के कार्यक्रम में शामिल हुए सचिव महंत जमुना पुरी का कहना है कि त्रिवेणी पूजन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी अखाड़े के साधु संतों से मुलाकात की। सबके हाल समाचार पूछे। कुशल क्षेम पूछने के बाद राष्ट्र के सर्वांगीण विकास के लिए प्रार्थना की। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने खुद ही सभी संतो का परिचय कराया।

कार्यकम में शामिल हुए श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के सचिव आचार्य देवेंद्र सिंह शास्त्री का कहना है कि प्रधानमंत्री ने संतों से मुलाकात कर कहा कि सभी आशीर्वाद दीजिए कि मेला दिव्य और भव्य हो। संतो ने उन्हें आशीर्वाद दिया।


 


ये महाकुम्भ बनेगा एकता का महायज्ञः पीएम मोदी


प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी ने प्रयागराज में महाकुम्भ से पहले 5500 करोड़ की 167 परियोजनाओं का किया लोकार्पण


रिमोट का बटन दबाकर पीएम मोदी ने बहुभाषिनी एआई चैटबॉट 'कुम्भ सहायक' का भी किया शुभारंभ


पीएम बोले- प्रयागराज की पावन धरा पर महाकुम्भ का आयोजन देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक पहचान को नए शिखर पर करेगा स्थापित


करोड़ों श्रद्धालुओं के स्वागत और सेवा की तैयारी, एक नया नगर बसाने का महा अभियान, प्रयागराज में रचा जा रहा एक नया इतिहासः पीएम


महाकुम्भ का वर्णन एक वाक्य में करना हो तो कहूंगा यह एकता का ऐसा महायज्ञ होगा जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में होगीः मोदी


महाकुम्भ हजारों वर्ष पहले से चली आ रही हमारे देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक यात्रा का पुण्य और जीवंत प्रतीकः पीएम मोदी


पीएम ने कहा- प्रयागराज केवल एक भौगोलिक भूखंड नहीं है, यह एक आध्यात्मिक अनुभव क्षेत्र है


बोले- यहां जातियों का भेद खत्म हो जाता है, संप्रदायों का टकराव मिट जाता है, करोड़ों लोग एक ध्येय, एक विचार से जुड़ जाते हैं


संगम में डुबकी लगाने वाला हर भारतीय एक भारत, श्रेष्ठ भारत की अद्भुत तस्वीर प्रस्तुत करता हैः पीएम मोदी


महाकुम्भ नगर, 13 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्री मोदी ने शुक्रवार को तीर्थराज प्रयागराज में 5500 करोड़ की 167 परियोजनाओं का लोकार्पण किया। इस अवसर पर पीएम ने बहुभाषिनी एआई चैटबॉट 'कुम्भ सहायक' का भी शुभारंभ किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि प्रयागराज की पावन धरा पर अगले साल महाकुम्भ का आयोजन देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक पहचान को नए शिखर पर स्थापित करेगा। उन्होंने कहा कि विश्व का इतना बड़ा आयोजन, हर रोज लाखों श्रद्धालुओं के स्वागत और सेवा की तैयारी, लगातार 45 दिनों तक चलने वाला महायज्ञ, एक नया नगर बसाने का महा अभियान, प्रयागराज की इस धरती पर एक नया इतिहास रचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वास और श्रद्धा के साथ कहता हूं कि अगर इस महाकुम्भ का वर्णन एक वाक्य में करना हो तो मैं कहूंगा यह एकता का ऐसा महायज्ञ होगा जिसकी चर्चा पूरी दुनिया में होगी। इससे पूर्व पीएम मोदी ने रिमोट का बटन दबाकर महाकुम्भ से संबंधित परियोजनाओं का लोकार्पण किया। इस दौरान, पीएम ने महाकुम्भ 2025 पर आधारित एक लघु फिल्म का भी अवलोकन किया।


यह है हमारा तीर्थराज प्रयाग

पीएम ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमारा भारत पवित्र स्थलों और तीर्थों का देश है। यह गंगा, यमुना, सरस्वती, कावेरी, नर्मदा जैसी अनगिनत पवित्र नदियों का देश है। इन नदियों के प्रवाह की जो पवित्रता है, इन अनेकानेक तीर्थों का जो महत्व है उनका संगम, उनका समुच्चय, उनका योग, उनका सहयोग, उनका प्रभाव, उनका प्रताप, यह प्रयाग है। यह केवल तीन पवित्र नदियों का ही संगम नहीं है, प्रयाग के बारे में कहा गया है कि माघ मकरगत रवि जब होई, तीरथ पतिहिं आव सब कोई...अर्थात जब सूर्य मकर में प्रवेश करते हैं, सभी दैवीय शक्तियां, सभी तीर्थ, सभी ऋषि, महर्षि, मनीषी प्रयाग में आ जाते हैं। यह वह स्थान है जिसके प्रभाव के बिना पुराण पूरे नहीं होते। प्रयागराज वह स्थान है, जिसकी प्रशंसा वेद की ऋचाओं ने की है। प्रयाग वह है जहां पग-पग पर पवित्र स्थान है, जहां पग पग पर पुण्य क्षेत्र हैं। त्रिवेणीं माघवं सोमं भरद्वाजं च वासुकिम्, वंदेऽक्षयवटं शेषं प्रयागं तीर्थनायकम्...अर्थात त्रिवेणी का त्रिकाल प्रभाव, वेणी माधव की महिमा, सोमेश्वर के आशीर्वाद, ऋषि भारद्वाज की तपोभूमि, नागराज वासुकि का विशेष स्थान, अक्षय वट की अमरता और शेष की अशेष कृपा, यह है हमारा तीर्थराज प्रयाग। तीर्थराज प्रयाग यानी चारी पदारथ भरा भंडारू, पुष्ण प्रदेश देश अतिचारू...अर्थात जहां धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष चारों पदार्थ सुलभ हैं, वह प्रयाग है।


जो व्यक्ति प्रयाग में स्नान करता है, वह हर पाप से मुक्त हो जाता है

पीएम बोले, महाकुम्भ हजारों वर्ष पहले से चली आ रही हमारे देश की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक यात्रा का पुण्य और जीवंत प्रतीक है। एक ऐसा आयोजन जहां हर बार धर्म, ज्ञान, भक्ति और कला का दिव्य समागम होता है। संगम में स्नान से करोड़ तीर्थ के बराबर पुण्य मिल जाता है। जो व्यक्ति प्रयाग में स्नान करता है, वह हर पाप से मुक्त हो जाता है। राजा महाराजाओं का दौर हो या फिर सैकड़ो वर्षों की गुलामी का कालखंड, आस्था का यह प्रवाह कभी नहीं रुका। इसकी एक बड़ी वजह यह रही है की कुम्भ का कारक कोई बाहरी शक्ति नहीं है, किसी बाहरी व्यवस्था के बजाय कुम्भ मनुष्य के अंतर्मन की चेतना का नाम है। यह चेतना स्वतः जागृत होती है। यही चेतना भारत के कोने-कोने से लोगों को संगम के तट तक खींच लाती है। गांव, कस्बों, शहरों से लोग प्रयागराज की ओर निकल पड़ते हैं। पीएम मोदी ने कहा कि प्रयागराज केवल एक भौगोलिक भूखंड नहीं है, यह एक आध्यात्मिक अनुभव क्षेत्र है।



महाकुम्भ में खत्म हो जाते हैं जाति और पंथ के भेद

महाकुम्भ के महत्व के बारे में पीएम मोदी ने कहा कि महाकुम्भ जैसी सामूहिकता की शक्ति, समागम शायद ही कहीं और देखने को मिले। यहां आकर संत, महंत, ऋषि, मुनि, ज्ञानी, विद्वान, सामान्य मानवीय सब एक हो जाते हैं। सब एक साथ त्रिवेणी में डुबकी लगाते हैं। यहां जातियों का भेद खत्म हो जाता है, संप्रदायों का टकराव मिट जाता है, करोड़ों लोग एक ध्येय, एक विचार से जुड़ जाते हैं। इस बार भी महाकुम्भ के दौरान यहां अलग-अलग राज्यों से करोड़ों लोग जुटेंगे, उनकी भाषा अलग होगी, जातियां अलग होंगी, मान्यताएं अलग होंगी, लेकिन संगम नगरी में आकर वह सब एक हो जाएंगे। इसीलिए कहता हूं कि यह महाकुम्भ एकता का महायज्ञ है, जिसमें हर तरह के भेदभाव की आहुति दी जाती है। यहां संगम में डुबकी लगाने वाला हर भारतीय एक भारत, श्रेष्ठ भारत की अद्भुत तस्वीर प्रस्तुत करता है।


देश को दिशा दिखाते हैं कुम्भ जैसे आयोजन

पीएम मोदी ने कहा कि महाकुम्भ की परंपरा का सबसे अहम पहलू यह है कि इस दौरान देश को दिशा मिलती है। कुम्भ के दौरान संतो के वाद में, संवाद में, शास्त्रार्थ में, शास्त्रार्थ के अंदर देश के सामने मौजूद विषयों पर, देश के सामने मौजूद चुनौतियों पर व्यापक चर्चा होती है और फिर संत जन मिलकर राष्ट्र के विचारों को एक नई ऊर्जा देते हैं, नई राह भी दिखाते हैं। संत महात्माओं ने देश से जुड़े कई महत्वपूर्ण निर्णय कुम्भ जैसे आयोजन स्थल पर ही लिए हैं। जब संचार के आधुनिक माध्यम नहीं थे, तब कुम्भ जैसे आयोजनों ने बड़े सामाजिक परिवर्तन का आधार तैयार किया था। कुम्भ में संत और ज्ञानी लोग मिलकर समाज के सुख-दुख की चर्चा करते हैं, वर्तमान और भविष्य को लेकर चिंतन करते हैं। ऐसे आयोजनों से देश के कोने-कोने में समाज में सकारात्मक संदेश जाता है, राष्ट्र चिंतन की यह धारा निरंतर प्रवाहित होती है। इस आयोजन के नाम अलग-अलग होते हैं, पड़ाव अलग-अलग होते हैं, मार्ग अलग-अलग होते हैं, लेकिन यात्री एक होते हैं, मकसद एक होता है।



श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं जुटाना डबल इंजन सरकार का दायित्व

पीएम मोदी ने कहा कि कुम्भ और धार्मिक यात्राओं का इतना महत्व होने के बावजूद पहले की सरकारों के समय इन पर ध्यान नहीं दिया गया। श्रद्धालु ऐसे आयोजनों में कष्ट उठाते रहे, लेकिन तब की सरकारों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। इसकी वजह थी भारतीय संस्कृति से भारत की आस्था से उनका लगाव नहीं था, लेकिन आज केंद्र और राज्य में भारत के प्रति आस्था, भारतीय संस्कृति को मान देने वाली सरकार है। इसलिए कुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं जुटाना डबल इंजन की सरकार अपना दायित्व समझती है। इसलिए यहां केंद्र और राज्य सरकार ने मिलकर हजारों करोड़ों की योजनाएं शुरू की हैं। सरकार के अलग-अलग विभाग जिस तरह महाकुम्भ की तैयारी में जुटे हैं, वह बहुत ही सराहनीय है। देश-दुनिया के किसी कोने से कुम्भ तक पहुंचने में कोई दिक्कत ना हो, इसके लिए यहां की कनेक्टिविटी पर विशेष फोकस किया गया है।


विकास के साथ विरासत को समृद्ध बनाने पर फोकस

पीएम मोदी ने कहा, हमारी सरकार ने विकास के साथ-साथ विरासत को भी समृद्ध बनाने पर फोकस किया है। आज देश के कई हिस्सों में अलग-अलग टूरिस्ट सर्किट विकसित किए जा रहे हैं। रामायण सर्किट, श्री कृष्ण सर्किट, बुद्धिस्ट सर्किट... इनके माध्यम से हम देश के उन स्थानों को महत्व दे रहे हैं जिन पर पहले फोकस नहीं था। प्रदेश दर्शन योजना हो या प्रसाद योजना हो, इनके माध्यम से तीर्थ स्थलों पर सुविधाओं का विकास किया जा रहा है। अयोध्या के भव्य राम मंदिर ने पूरे शहर को कैसे भव्य बना दिया है, हम सब इसके साक्षी हैं। विश्वनाथ धाम, महाकाल महालोक की चर्चा आज पूरे विश्व में है। यह अक्षय वट कॉरिडोर, हनुमान मंदिर कॉरिडोर, भारद्वाज ऋषि आश्रम भी इसी विजन का प्रतिबिंब है। श्रद्धालुओं के लिए सरस्वती कूप, पातालपुरी, नाग वासुकि मंदिर, द्वादश माधव मंदिर का कायाकल्प किया जा रहा है।


आने वाली पीढ़ियों को समता और समरसता का संदेश देगी भगवान राम और निषाद राज की प्रतिमा

पीएम मोदी ने भगवान राम और निषादराज की मित्रता के प्रतीक श्रग्वेरपुर धाम के लोकार्पण पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि हमारा यह प्रयागराज निषादराज की भी भूमि है। भगवान राम के मर्यादा पुरुषोत्तम बनने की यात्रा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव श्रग्वेरपुर का भी है। भगवान राम और केवट का प्रसंग आज भी हमें प्रेरित करता है। केवट ने अपने प्रभु को सामने पाकर उनके पैर धोए थे, उन्हें अपनी नाव से नदी पार कराई थी। इस प्रसंग में श्रद्धा का अनन्य भाव है। इसमें भगवान और भक्त की मित्रता का अध्याय है। इस घटना का यह संदेश है कि भगवान भी अपने भक्त की मदद ले सकते हैं। प्रभु श्री राम और निषाद राज की इसी मित्रता के प्रतीक के रूप में श्रंग्वेरपुर धाम का विकास किया जा रहा है। भगवान राम और निषाद राज की प्रतिमा भी आने वाली पीढियों को समता और समरसता का संदेश देती रहेगी।



सफाई कर्मियों के पैर धोना मेरे जीवन का यादगार अनुभव

स्वच्छ महाकुम्भ को लेकर पीएम मोदी ने कहा कि कुम्भ जैसे भव्य और दिव्य आयोजन को सफल बनाने में स्वच्छता की बहुत बड़ी भूमिका है। महाकुम्भ की तैयारी के लिए नमामि गंगे कार्यक्रम को तेजी से आगे बढ़ाया गया है। प्रयागराज शहर के सैनिटेशन और वेस्ट मैनेजमेंट पर फोकस किया गया है। लोगों को जागरूक करने के लिए गंगा दूत, गंगा प्रहरी और गंगा मित्रों की नियुक्ति की गई है। इस बार कुम्भ में 15000 से ज्यादा मेरे सफाई कर्मी भाई बहन स्वच्छता की बागडोर संभालने वाले हैं। कुम्भ की तैयारी में जुटे हुए अपने सफाई कर्मी भाई बहनों का अग्रिम आभार भी व्यक्त करूंगा। करोड़ों लोग यहां पर जिस पवित्रता, स्वच्छता, आध्यात्मिकता के साक्षी बनेंगे, वह आपके योगदान से ही संभव होगा। इस नाते यहां हर श्रद्धालु के पुण्य में आप भी भागीदार बनेंगे। जैसे भगवान कृष्ण ने जूठे पत्तल उठाकर संदेश दिया था कि हर काम का महत्व है, वैसे ही आप भी अपने कार्य से इस आयोजन की महानता को और बड़ा करेंगे। 2019 में भी कुम्भ आयोजन के समय यहां की स्वच्छता की बहुत प्रशंसा हुई थी। इसलिए आपके पैर धुलकर मैंने अपनी कृतज्ञता दिखाई थी। हमारे स्वच्छता कर्मियों के पैर धोने से मुझे जो संतोष मिला, वह मेरे लिए जीवन भर का यादगार अनुभव बन गया है।


आर्थिक सशक्तिकरण का माध्यम बनेगा महाकुम्भ

पीएम मोदी ने महाकुम्भ में आर्थिक प्रगति को लेकर भी बात की। उन्होंने कहा कि हम सभी देख रहे हैं कि कैसे कुम्भ से पहले इस क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आ रही है। यहां हर रोज लाखों की संख्या में लोग आएंगे, पूरी व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रयागराज में बड़ी संख्या में लोगों की जरूरत पड़ेगी। 6000 से ज्यादा हमारे नाविक साथी, हजारों दुकानदार साथी, पूजा पाठ और स्नान ध्यान करने में मदद करने वाले सभी का काम बहुत बढ़ेगा। यानी यहां बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर तैयार होंगे। सप्लाई चेन को बनाए रखने के लिए व्यापारियों को दूसरे शहरों से सामान मंगाना पड़ेगा। प्रयागराज कुम्भ का प्रभाव आसपास के जिलों पर भी पड़ेगा। देश के दूसरे राज्यों से आने वाले श्रद्धालु ट्रेन या विमान की सेवाएं लेंगे, इससे भी अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी। यानी महाकुंभ से सामाजिक मजबूती तो मिलेगी ही लोगों को आर्थिक सशक्तिकरण भी होगा।


ज्यादा से ज्यादा लोगों को डाटा और टेक्नोलॉजी के इस संगम में जोड़ा जाए

पीएम मोदी ने डिजिटल कुम्भ को लेकर कहा कि पहली बार कुम्भ में एआई का प्रयोग होगा। एआई चैटबॉट 11 भारतीय भाषाओं में संवाद करने में सक्षम है। मेरा यह भी सुझाव है कि डाटा और टेक्नोलॉजी के इस संगम में ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ा जाए, जैसे महाकुम्भ से जुड़े फोटोग्राफी कंपटीशन का आयोजन किया जा सकता है। महाकुम्भ को एकता के महाकुम्भ के तौर पर दिखाने वाली फोटोग्राफी की प्रतियोगिता भी रखी जा सकती है। इस पहल से युवाओं में कुम्भ का आकर्षण बढ़ेगा। कुम्भ में आने वाले ज्यादा से ज्यादा श्रद्धालु इसमें हिस्सा लेंगे। अध्यात्म और प्रकृति से जुड़ी प्रतियोगिता का आयोजन कर सकते हैं। पीएम ने कहा कि आज देश एक साथ विकसित भारत के संकल्प की तरफ तेजी से बढ़ रहा है। पूरा विश्वास है कि इस महाकुम्भ से निकली आध्यात्मिक और सामूहिक शक्ति हमारे संकल्प को और मजबूत बनाएगी। महाकुम्भ स्नान ऐतिहासिक हो, अविस्मरणीय हो, मां गंगा, मां यमुना और मां सरस्वती की त्रिवेणी से मानवता का कल्याण हो, हम सबकी यही कामना है।


 



11 भाषाओं में श्रद्धालुओं के लिए मददगार होगा एआई चैटबॉट


सीएम योगी के विरासत और विकास के विजन को साकार करेगा कुम्भ सहायक


नेवीगेशन, पार्किंग व रुकने के स्थान समेत हर जानकारी देगा एआई जेनरेटिव चैटबॉट


महाकुम्भनगर, 13 दिसंबर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल महाकुम्भ की संकल्पना को साकार करते हुए शुक्रवार को चैट बॉट कुम्भ सहायक लॉन्च कर दिया है। इस चैट बॉट का उद्देश्य महाकुम्भ में देश विदेश से आने वाले 45 करोड़ श्रद्धालुओं की यात्रा को सरल और सुविधाजनक बनाना है। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस बार महाकुम्भ को पहले की तुलना में अधिक दिव्य और भव्य बनाना चाहते हैं। इसी के साथ उन्होंने अफसरों को डिजिटल महाकुम्भ को प्राथमिकता के साथ आगे बढ़ाने का निर्देश दिया है। इसी क्रम में शुक्रवार को महाकुम्भ से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चैट बॉट कुम्भ सहायक का शुभारंभ किया।


11 भाषाओं को श्रद्धालुओं को देगा मदद

चैट बॉट कुम्भ सहायक देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को महाकुम्भ से जुड़ी सभी जानकारियां पलक झपकते उपलब्ध करा देगा। यह कुम्भ सहायक 11 भाषाओं में श्रद्धालुओं का मददगार साबित होगा। यह श्रद्धालुओं को नेवीगेशन, पार्किंग व रुकने के स्थान समेत हर जानकारी सेकेंडों में उपलब्ध कराने में सक्षम है। इसे आसानी से अपने मोबाइल में डाउनलोड किया जा सकता है। इससे बोलकर या लिखकर अपने सवाल पूछ सकते हैं। साथ ही जवाबों को अपनी भाषा में सुन भी सकते हैं।


इन 11 भाषाओं में देगा श्रद्धालुओं के सवालों का जवाब

हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम, गुजराती, मराठी, पंजाबी, बंगाली, उर्दू



प्रमुख विशेषताएं


1. व्यक्तिगत कुम्भ तस्वीर को बना सकते हैं यादगारः श्रद्धालु अपनी तस्वीर अपलोड करके महाकुम्भ की पृष्ठभूमि के साथ एक व्यक्तिगत तस्वीर प्राप्त कर सकते हैं। जिसे वे कुम्भ मेले के यादगार के रूप में सहेज एवं शेयर सकते हैं।


2. आध्यात्मिक गुरुओं से जुड़ी विस्तृत जानकारी ले सकते हैंः श्रद्धालु महाकुम्भ का ऐतिहासिक, सांस्कृतिक व धार्मिक महत्व, प्रमुख तिथियां भी इसकी मदद से जान सकते हैं। साथ ही आध्यात्मिक गुरुओं से जुड़ी विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकेंगे।


 

पीएम मोदी और सीएम योगी के डिजिटल महाकुम्भ का संकल्प हुआ साकार


महाकुम्भ में स्वास्थ्य, सुविधा और सुरक्षा के डिजिटलाइजेशन का सपना हुआ पूरा


एआई बेस्ड कैमरे, चैटबॉट, साइबर थाना और गूगल नेविगेशन बने टर्निंग पॉइंट


महाकुम्भनगर, 13 दिसंबर : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को महाकुम्भ से ठीक एक माह पहले तीर्थराज आकर दुनिया के सबसे बड़े सांस्कृतिक समागम का शंखनाद कर दिया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने डिजिटल महाकुम्भ के अपने संकल्प को भी साकार किया। पीएम मोदी ने के मार्गदर्शन और सीएम योगी के नेतृत्व में महाकुम्भ पहला ऐसा बड़ा आयोजन होने जा रहा है, जहां डिजिटलाइजेशन का व्यापक पैमाने पर उपयोग हो रहा है। खास तौर पर श्रद्धालुओं की सुविधा, सुरक्षा और स्वास्थ्य से जुड़ी सेवाओं में डिजिटल को विशेष महत्व दिया जा रहा है।



डिजिटल सुविधा

पीएम नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को 11 भाषाओं में श्रद्धालुओं की मदद करने वाले एआई चैटबॉट को लॉन्च किया है। सीएम योगी आदित्यनाथ के विरासत और विकास के विजन को यह कुम्भ सहायक साकार करेगा। इसके साथ ही देश विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी यह कारगर साबित होने जा रहा है। एआई जेनरेटिव चैटबॉट नेवीगेशन, पार्किंग व रुकने के स्थान समेत हर जानकारी बस कुछ पल में उपलब्ध करा देगा।

डिजिटल स्वास्थ्य

श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य के लिहाज से देश में पहली बार महाकुम्भनगर में हाईटेक एआई मैसेजिंग फ्लो सिस्टम का प्रयोग किया जा रहा है। इसके अलावा डॉक्टरों और मरीजों के बीच आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस संवाद स्थापित करने में सहयोग करेगा। योगी सरकार की इस नई पहल से एआई मरीजों की इंटेंसिव केयर में भी मददगार साबित होगा। महाकुम्भनगर में बने अस्थाई अस्पतालों में आने वाले मरीजों के साथ डॉक्टर्स के संवाद में भाषा किसी प्रकार की बैरियर नहीं बनेगी। एआई 22 रीजनल व 19 इंटरनेशनल लैंग्वेज को समझकर डॉक्टर्स को मरीज की बात समझा सकेगा। जिससे महाकुम्भ में आने वाले श्रद्धालुओं को काफी सहूलियत मिलने वाली है।


डिजिटल सुरक्षा

प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल महाकुम्भ के विजन को सीएम योगी आदित्यनाथ ने साकार किया है। इस बार महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिहाज से ऐसा साइबर थाना तैयार किया गया है, जो एआई, डार्क वेबसाइट और सोशल मीडिया स्कैमर्स से बचाने में सक्षम है।महाकुम्भ में श्रद्धालुओं की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए योगी के योद्धा पूरी तरह से तैयार हैं।

एआई, एक्स, फेसबुक और गूगल का किसी प्रकार से दुरुपयोग इस बार नहीं हो सकेगा। साथ ही ठगों के फर्जी लिंक के सभी हथियार बेकार कर दिए जाएंगे। इसके लिए प्रदेश के चुनिंदा एक्सपर्ट की टीम महाकुम्भनगर पहुंच चुकी है। इसके अलावा 2750 सीसीटीवी कैमरा और आई ट्रिपल सी के माध्यम से पूरे मेला क्षेत्र की निगरानी की जा सकेगी। साथ ही टीथर्ड ड्रोन से भी गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी।


 


मां सरस्वती का दुग्धाभिषेक कर पीएम ने ‘निर्मल-अविरल जलधारा’ के संकल्प को किया साकार


प्रधानमंत्री मोदी ने सरस्वती कूप स्थित मां सरस्वती की प्रतिमा का किया पूजन-अर्चन और दुग्धाभिषेक


सरस्वती कूप में शहद व पुष्प भी किए अर्पित, पीएम मोदी ने सरस्वती कूप कॉरिडोर का लोकार्पण कर जनसामान्य के लिए दर्शन को बनाया सुलभ


सरस्वती कूप कॉरिडोर का किया अवलोकन, श्रद्धालुओं को सुलभ दर्शन उपलब्ध कराने के लिए हो रहे प्रयासों की ली जानकारी


महाकुम्भनगर, 13 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तीर्थराज प्रयागराज में संगम तट पर पूजन-अर्चन तथा अक्षय वट, बड़े हनुमान मंदिर व सरस्वती कूप में दर्शन-पूजन के साथ ही इनसे जुड़े कॉरिडोर्स का निरीक्षण व लोकार्पण किया। प्रधानमंत्री मोदी ने सरस्वती कूप आकर यहां स्थापित मां सरस्वती की प्रतिमा का जल व गो-दुग्ध से विधिवत अभिषेक किया। उन्होंने दीप अर्पित करते हुए माता सरस्वती की प्रतिमा को शहद व पुष्प अर्पित किए।


प्रधानमंत्री मोदी की प्रेरणा और योगी सरकार के कुशल क्रियान्वयन के जरिए पूर्ण हुए सरस्वती कॉरिडोर का भी अवलोकन कर इसे जनमानस के लिए लोकार्पित किया।


स्वच्छता के प्रतिमानों के अनुरूप पवित्र जलधारा में स्नान कर सकेंगे श्रद्धालु

यह सर्व विदित है कि तीर्थराज प्रयागराज में गंगा-यमुना व सरस्वती नदियों का पावन संगम होता है। इस संगम में धवल वर्णा गंगा तथा श्यामल-नील वर्णा यमुना का संगम तो स्पष्ट दिखता है, लेकिन सरस्वती अदृश्य रूप से इस त्रिवेणी संगम को पूर्ण करती हैं। सरस्वती नदी का स्वरूप सरस्वती कूप में विद्यमान है, जिसकी पूजा-आराधना सनातन संस्कृति का अभिन्न अंग है। तीनों ही मोक्षदायनी नदियों के पवित्र जल को स्वच्छता के प्रतिमानों के अनुरूप अविरल और महाकुम्भ में आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए सुलभ बनाने की अवधारणा को प्रधानमंत्री मोदी साकार कर रहे हैं।


उल्लेखनीय है कि मुगलकालीन किले के अंदर स्थित सरस्वती कूप का दर्शन काफी वर्षों से कुम्भ श्रद्धालुओं के लिए सुलभ नहीं था। वर्ष 2019 में योगी सरकार द्वारा आयोजित कुम्भ में पहली बार सरस्वती कूप का दर्शन श्रद्धालुओं के लिए सुलभ हो पाया। अब प्रधानमंत्री मोदी द्वारा सरस्वती कूप का लोकार्पण किया गया, जिसके जरिए आम जनता अब नवनिर्मित कॉरिडोर से होकर कूप के दर्शन कर सकेंगे।


स्वच्छता एवं ज्ञान का संगम स्थल है सरस्वती कूप

सरस्वती कूप को लेकर मान्यता है कि इसका दर्शन स्वच्छता के साथ ही जीवन में ज्ञान के बोध को विकसित करता है। अक्षयवट की तरह ही इस कूप को भी मुगलकाल में बने किले के माध्यम से अधिग्रहित कर लिया गया और अंग्रेजी शासनकाल में ऑर्डिनेंस डिपो की स्थापना के कारण इस कूप का दर्शन आम जनमानस के लिए निषिद्ध हो गया था। वर्ष 2019 में प्रयागराज में आयोजित कुम्भ में इसे आम जनता के लिए खोला गया और अब कॉरिडोर के जरिए महाकुम्भ- 2025 में आने वाले करोड़ों श्रद्धालु इस पवित्र कूप के दर्शन-पूजन का लाभ उठा सकेंगे।


 



पीएम ने 8 अफसरों से समझी स्वच्छ, डिजिटल, स्वस्थ और सुरक्षित महाकुम्भ की बारीकियां


- प्रधानमंत्री ने सीएम योगी के साथ देखा डिजिटल महाकुम्भ स्टूडियो

- पीएम ने महाकुम्भ प्रदर्शनी में समझी महाकुम्भ को लेकर योगी सरकार की संपूर्ण व्यवस्था

- अधिकारियों ने पीएम को महाकुम्भ के आयोजन से लेकर तमाम सुविधाओं की दी जानकारी

- पीएम मोदी ने श्रद्धालुओं की सुरक्षा, स्वच्छता और सुविधाओं के विषय में भी ली जानकारी


महाकुम्भनगर, 13 दिसंबर। महाकुम्भ को दिव्य, भव्य और अविस्मरणीय बनाने के लिए योगी सरकार युद्धस्तर पर तैयारियों में जुटी है, जिसका शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अवलोकन किया। महाकुम्भ प्रदर्शनी में प्रधानमंत्री को योगी सरकार के 8 अफसरों ने महाकुम्भ के दौरान श्रद्धालुओं को दी जाने वाली विशेष सुविधाओं की जानकारी दी। अधिकारियों ने सुरक्षा के इंतजाम, स्वच्छता और डिजिटल महाकुम्भ के विषय में विस्तार से बताया।


मुख्य सचिव ने दी 45 दिन तक चलने वाले आयोजन की पूरी जानकारी

मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने प्रधानमंत्री को 45 दिन तक चलने वाले महाकुम्भ के विषय में पूरी जानकारी दी। उन्होंने महाकुम्भ के प्रमुख स्नान पर्व के साथ अन्य तैयारियों के संबंध में ब्रीफ किया। पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव मुकेश मेश्राम ने पर्यटन से संबंधित विकास परियोजनाओं के विषय में विस्तृत जानकारी दी। प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने तेजी से हो रहे विकास कार्यों के विषय में प्रधानमंत्री को अवगत कराया।


प्रमुख सचिव पीडब्ल्यूडी अजय चौहान ने पीएम को पीडब्ल्यूडी की ओर से पूर्ण की गई परियोजनाओं के विषय में विस्तार से जानकारी दी। प्रयागराज के मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने पीएम मोदी को विकास कार्यों की जानकारी दी और नवीन योजनाओं के विषय में बताया।


स्वच्छता और सहूलियत के विषय में भी कराया गया अवगत

महाकुम्भ मेला की विशेष कार्याधिकारी आकांक्षा राना ने स्वच्छ महाकुम्भ को लेकर मेला प्राधिकरण की ओर से चलाई जा रही योजनाओं के विषय में बताया। श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए किए जाने वाले उपायों की जानकारी दी। एडीजी प्रयागराज भानु भास्कर ने पीएम को श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए किए जा रहे उपाय और आपात स्थितियों में पुलिस की तैयारियों से अवगत कराया।


अंत में, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सतीश कुमार ने महाकुम्भ के मद्देनजर रेल मंत्रालय की ओर से श्रद्धालुओं को दी जाने वाली सुविधाओं के विषय में विस्तार से बताया।


 


पीएम मोदी ने किया 5500 करोड़ की 167 परियोजनाओं का शुभारंभ


- महाकुम्भ में यात्री सुविधाओं को लेकर शुरू की गईं परियोजनाओं का हुआ लोकार्पण

- 9 रेलवे स्टेशनों के अपग्रेडेशन और डेवलपमेंट के साथ 10 आरओबी फ्लाईओवर का उद्घाटन

- 61 सड़कों के चौड़ीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं सौंदर्यीकरण का भी हुआ शुभारंभ


महाकुम्भ नगर, 13 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को 5500 करोड़ की 167 परियोजनाओं का शुभारंभ किया। इसमें यात्री सुविधाओं के लिए रेलवे स्टेशनों के अपग्रेडेशन और डेवलपमेंट के साथ-साथ आरओबी फ्लाईओवर, सड़कों का चौड़ीकरण, सुदृढ़ीकरण और सौंदर्यीकरण की प्रमुख परियोजनाएं सम्मिलित रहीं। इसके अतिरिक्त, स्थायी घाटों, रिवर फ्रंट, सीवरेज, पेयजल सुविधाओं के साथ विद्युत आपूर्ति से जुड़ी परियोजनाओं का भी शुभारंभ हुआ। इन सभी परियोजनाओं के माध्यम से न सिर्फ श्रद्धालुओं को महाकुम्भ के दौरान सुविधा का लाभ प्राप्त होगा, बल्कि प्रयागवासी महाकुम्भ के बाद इन सभी सुविधाओं का उपयोग कर सकेंगे। यह परियोजनाएं प्रयागराज को प्रगति की नई दिशा दिखाएंगी।


इन विकास परियोजनाओं का हुआ लोकार्पण

- 1610 करोड़ से यात्री सुविधाओं के लिए 9 रेलवे स्टेशनों का उन्नयन एवं विकास

- 1376 करोड़ से 61 सड़कों का चौड़ीकरण, सुदृढ़ीकरण एवं सौंदर्यीकरण

- 1170 करोड़ से 10 आरओबी फ्लाईओवर

- 100 करोड़ से 4 नालों का अवरोधन, दिशा परिवर्तन एवं सुदृढ़ीकरण

- 304 करोड़ से 7 स्थायी घाटों एवं 8 नदी तट सड़कों का सुदृढ़ीकरण

- 215 करोड़ से 13 सीवरेज परियोजनाओं का उन्नयन, पेयजल सुविधाओं का विकास

- 203 करोड़ से 4 नए ट्रांसफॉर्मर, 2 सब स्टेशनों की स्थापना एवं विद्युत ढांचे का उन्नयन


इन प्रमुख कॉरिडोर का भी हुआ शुभारंभ

अक्षयवट कॉरिडोर : अक्षयवट, जिन्हें पुराणों में तीर्थराज प्रयागराज का क्षत्र कहा गया है। मान्यता है कि अक्षयवट का क्षय प्रलयकाल में भी नहीं होता। इनके दर्शन से मोक्ष की प्राप्ति होती है। त्रेतायुग स्वयं प्रभु श्रीराम ने माता सीता और लक्ष्मणजी के साथ अक्षयवट के दर्शन किए थे।


सरस्वती कूप : प्रयागराज की पुराणों में महिमा पुण्य पावन मां गंगा, यमुना और अदृश्य मां सरस्वती के त्रिवेणी संगम का होना बताई जाती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सरस्वती कूप वह पुण्य स्थान है, जहां आज भी मां सरस्वती के दुर्लभ दर्शन संभव हैं।


बड़े हनुमान मंदिर का कॉरिडोर : प्रयागराज संगम तट पर बड़े हनुमान या लेटे हनुमानजी का प्रसिद्ध मंदिर है। बड़े हनुमानजी का मंदिर पातालपुरी में अहिरावण का वध कर प्रभु श्रीराम और लक्ष्मणजी को उसकी कैद से मुक्त कराने वाले संकटमोचक हनुमानजी विशाल सिद्ध प्रतिमा है। सैकड़ों वर्षों से कोटि-कोटि श्रद्धालु उनका दर्शन और पूजन करते हैं।


भारद्वाज ऋषि आश्रम कॉरिडोर : ऋगवेद की ऋचाओं के द्रष्टा ऋषि भरद्वाज का आश्रम प्रयागराज में अवस्थित है। रामायण में वर्णन है कि प्रभु श्रीराम वनगमन के पहले मात सीता और लक्ष्मणजी के साथ भरद्वाज ऋषि का आशीर्वाद और मार्गदर्शन लेने आये थे। भरद्वाज आश्रम में रामायण काल में हजारों छात्र अध्ययन करते थे, मान्यता है कि ये विश्व का सबसे पहला विश्वविद्यालय माना जाता है।


श्रृंगवेरपुर धाम कॉरिडोर : श्रृंगवेरपुर का नाम इस क्षेत्र में श्रृंगी ऋषि की तपोस्थली होने के कारण पड़ा है। रामायण में इस क्षेत्र का वर्णन प्रभु श्रीराम और उनके बालसखा निषादराज के मिलन स्थल के रूप में भी है। यहां से ही केवट निषादराज ने प्रभु श्रीराम को नाव से गंगा पार करा कर प्रयागराज पहुंचाया था।


 

बड़े हनुमान जी के श्रीचरणों में नतमस्तक पीएम मोदी ने ‘भक्ति की शक्ति’ का किया आह्वान


पीएम मोदी ने बड़े हनुमान मंदिर में किया विधिवत पूजन-अर्चन, ज्ञान-भक्ति, शक्ति व सर्व सिद्धि प्रदाता प्रभु हनुमान के समक्ष झुकाया शीश


‘अगाध आस्था के अमृतकाल’ में सनातन शक्ति के जागरण, सनातन मूल्यों की स्थापना व सकल विश्व में सनातन हितों की रक्षा का किया आह्वान


महाकुम्भ-2025 को सफल बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने जल आचमन, सिंदूर-लाल चंदन, नैवेद्य व माला अर्पण कर की बड़े हनुमान की अराधना


पीएम ने लेटे हनुमान मंदिर के कॉरीडोर का किया निरीक्षण, 3डी मॉडल देखकर कॉरीडोर के लेआउट संबंधी विभिन्न पहलुओं के बारे में ली जानकारी


महाकुम्भनगर, 13 दिसंबर। उत्तर प्रदेश में महाकुम्भ-2025 के सफल आयोजन के लिए बतौर प्रमुख यजमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तीर्थराज प्रयागराज स्थित बड़े हनुमान मंदिर में जाकर प्रभु हनुमान के श्रीविग्रह के आगे शीश झुकाकर विधिवत पूजन-अर्चन किया। ज्ञान-भक्ति, शक्ति व सर्व सिद्धि प्रदाता चिरंजीवी प्रभु हनुमान के समक्ष महाकुम्भ-2025 को सफल बनाने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने जलाचमन, सिंदूर-लाल चंदन, नैवेद्य व माला अर्पण कर सनातन शक्ति के जागरण का आह्वान किया। उन्होंने धूप-दीप अर्पण के साथ ही रुद्राक्ष की माला भी प्रभु बड़े हनुमान के श्रीचरणों में अर्पित की। यह सर्व विदित है कि प्रत्येक वर्ष प्रभु हनुमान के इस चमत्कारी विग्रह का स्वयं मां गंगा स्नान करती हैं। ऐसे में, महाकुम्भ-2025 के सफल आयोजन को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने भक्ति की शक्ति को जागृत करने का कार्य तीर्थराज प्रयागराज में पूजन-अर्चन के जरिए किया।


'अगाध आस्था के अमृतकाल' में सनातन शक्ति जागरण का माध्यम बना पूजन

प्रधानमंत्री मोदी ने शुक्रवार को बड़े हनुमान मंदिर में सनातन संस्कृति के प्राण प्रभु श्रीराम की शाश्वत भक्ति के प्रतिमान हनुमान के समक्ष प्रार्थना की। ‘अगाध आस्था के अमृतकाल’ में सनातन शक्ति के जागरण, सनातन मूल्यों की स्थापना व सकल विश्व में सनातन हितों की रक्षा के उद्देश्य को लेकर प्रधानमंत्री मोदी ने प्रार्थना की। बड़े हनुमान मंदिर में प्रभु हनुमान के श्रीचरणों में बैठकर बतौर प्रमुख अर्चक प्रधानमंत्री मोदी ने विधिवत तरीके से पूजन-अराधना पूर्ण की। इस दौरान बड़े हनुमान मंदिर के महंत तथा श्रीमठ बाघंबरी पीठाधीश्वर बलबीर गिरि जी महाराज ने प्रधानमंत्री मोदी की अराधना प्रक्रिया को पूर्ण कराया। इस दौरान उन्होंने बड़े हनुमान को यज्ञोपवीत भी अर्पित किया और आरती उतारी। मंदिर की ओर से मोदी को प्रभु हनुमान के आशीर्वाद स्वरूप रुद्राक्ष की माला और अंगवस्त्र प्रदान किया गया।


मकरध्वज के भी होते हैं श्रीविग्रह में दर्शन

बड़े हनुमान मंदिर में स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा कई मायनों में विशिष्ट है। इस मूर्ति के दाहिने हाथ में गदा है। इससे काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मात्सर्य आदि विकारों को नष्ट करने का भाव लिया जाता है। मूर्ति के बाएं कंधे पर राम-लक्ष्मण हैं, जिससे हृदय में उनकी दृढ़ धारणा का भाव लिया जाता है। मूर्ति के दोनों नेत्र विशेष रूप से खुले हुए हैं जो जागृत होने और अधोगामी विचारों व प्रवृत्तियों से दूर रहने के भाव को प्रदर्शित करते हैं। दाएं पैर के पास उनके पुत्र मकरध्वज की मूर्ति है, जिन्हें अधोपाताल लोक का रक्षक बताया गया है। मकरध्वज के दर्शन एवं धारणा से अधोगामी विचारों से रक्षा होती है। बड़े हनुमान जी का बायां पैर उठा हुआ है जिसे अहिरावण वध तथा अधोलोक से ऊर्ध्व लोक में जाने और अधोगामी विचारों के शमन अथवा दमन की प्रेरणा से जोड़कर देखा जाता है।


पीएम ने कॉरीडोर का किया निरीक्षण, विभिन्न पहलुओं की ली जानकारी

प्रधानमंत्री मोदी ने बड़े हनुमान मंदिर के नवनिर्मित कॉरीडोर का भी निरीक्षण किया। इस कॉरीडोर में 38.19 करोड़ की लागत से पहले फेज का कार्य पूरा हो गया है। ऐसे में, उन्होंने 3डी मॉडल देखकर कॉरीडोर के लेआउट संबंधी विभिन्न पहलुओं की जानकारी ली। उन्होंने विशेषतौर पर महाकुम्भ के अवसर पर यहां दर्शन करने आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को सुगम दर्शन कराने को लेकर हुए प्रयासों की जानकारी ली और समस्त प्रक्रियाओं की विवेचना की। इस दौरान प्रयागराज विकास प्राधिकरण के वीसी अमित पाल शर्मा ने प्रधानमंत्री मोदी को ब्रीफ किया। बड़े हनुमान मंदिर पर पीएम मोदी के साथ ही पूजन-अर्चन प्रक्रिया में सीएम योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तथा डिप्टी सीएम केशव मौर्य व ब्रजेश पाठक उपस्थित रहे।


 

अक्षय वट पर शीश नवाकर पीएम मोदी ने मांगा जनकल्याण का वरदान


अक्षय वट पर पूजन-अर्चन के साथ ही पीएम मोदी ने की परिक्रमा, कॉरिडोर को लेकर हुए कार्यों को भी निहारा


तीर्थराज प्रयाग में महाकुम्भ-2025 के सफल आयोजन के लिए यजमान बने पीएम मोदी ने अक्षय वट के समक्ष सभी तीर्थों का किया आह्वान


अक्षय वट को माना जाता है भगवान वेणी माधव का साक्षात स्वरूप, पीएम मोदी ने संकल्प लेकर दीपक किया अर्पित


सर्व सिद्धि प्रदान करने वाली आध्यात्मिक शक्ति के केंद्र के तौर पर प्रसिद्ध अक्षय वट को माना जाता है तीर्थराज प्रयागराज की हृदयस्थली


समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में कल्पवृक्ष के अंश के रूप में है अक्षयवट की मान्यता, ब्रह्मा-विष्णु व महेश का माना जाता है वृक्ष में निवास


महाकुम्भ में आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को अक्षय वट के दर्शन सुलभ कराने की दिशा में हुए प्रयासों का किया पीएम मोदी ने अवलोकन


महाकुम्भ नगर, 13 दिसंबर। उत्तर प्रदेश में महाकुम्भ-2025 के सफल आयोजन, वैश्विक कल्याण, विश्व शांति, भारत के अरुणोदय व तीर्थराज प्रयागराज आकर पुण्य की डुबकी लगाने वाले करोड़ों भक्तों, सनातन शक्तियों के सामर्थ्य व अक्षय पुण्य की वृद्धि के उद्देश्य से पीएम मोदी ने शुक्रवार को अक्षयवट का दर्शन कर पूजन-अर्चन किया। संगम नोज पर यजमान की भूमिका में संगम अभिषेक करने के उपरांत उन्होंने अक्षय वट के दर्शन किए। अक्षय वट पर भी महाकुम्भ-2025 के सफल आयोजन के लिए बतौर यजमान भूमिका निभाते हुए पीएम मोदी ने अक्षय वट पर शीश नवाया, संकल्प लेकर अभिषेक किया और समस्त तीर्थों का आवाहन करते हुए सकल मंगलकामनाओं की पूर्ति के लिए आस्था का दीप जलाया। इसके उपरांत उन्होंने अक्षय वट की प्रदक्षिणा की और समस्त विश्व के कल्याण की कामना की। पीएम मोदी ने न केवल इस परम पावन तीर्थ पर पूजा-अर्चना की, बल्कि कॉरीडोर को लेकर हुए कार्यों का आवलोकन भी किया। उन्होंने विशेषतौर पर महाकुम्भ के अवसर पर यहां दर्शन करने आने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को सुगम दर्शन कराने को लेकर हुए प्रयासों की जानकारी ली और समस्त प्रक्रियाओं की विवेचना की।


अक्षय वट पर की भारत के अक्षय पुण्य की कामना

अक्षय वट को तीर्थराज प्रयागराज के रक्षक श्रीहरि विष्णु के वेणी माधव का साक्षात स्वरूप माना जाता है। उल्लेखनीय है कि अक्षय वट को कॉरीडोर रूप में महाकुम्भ-2025 के पूर्व सुव्यवस्थित करने का कार्य पीएम मोदी के विजन और सीएम योगी के कुशल क्रियान्वयन में किया गया है। ऐसे में, शुक्रवार को पीएम मोदी ने अक्षय वट का पूजन-अर्चन करने के साथ ही भारत के अक्षय पुण्य की वृद्धि और विश्वगुरू के तौर पर उद्भव को अक्षुण्ण बनाने की कामना की।


प्रभु श्रीराम, माता जानकी व लक्ष्मण सहित ब्रह्मा, विष्णु महेश का होता है पूजन-अर्चन

अक्षय वट को लेकर ऐसी मान्यता है कि इसकी जड़ों में सृष्टि निर्माता ब्रह्मा, मध्य भाग में वेणी माधव स्वरूप श्रीहरि विष्णु तथा अग्र भाग में महादेव शिव-शंकर का वास है। इनकी पूजा के साथ ही समुद्र मंथन से प्राप्त 14 रत्नों में कल्पवृक्ष के अंश के रूप में भी अक्षय वट की मान्यता है। पुराणों में प्राप्त उल्लेख के अनुसार, सर्व सिद्धि प्रदान करने वाली आध्यात्मिक शक्ति के केंद्र के तौर पर प्रसिद्ध अक्षय वट ने मुगल काल व अंग्रेजों के शासन में पराभव का दंश झेला, मगर इसके बावजूद वह अक्षुण्ण बना रहा और आज सनातन धर्म के ध्वजवाहक के तौर पर सकल विश्व में अपनी पहचान को पुख्ता कर रहा है। अक्षय वट के बारे में यह भी प्रसिद्ध है कि प्रभु श्रीराम लंका विजय के उपरांत अयोध्या लौटने से पूर्व पुष्पक विमान से आते हुए अक्षय वट के दर्शन किए थे। उनके साथ माता सीता और भ्राता लक्ष्मण भी थे और अक्षय वट पर इन तीनों के ही विग्रह का पूजन होता है। पीएम मोदी के साथ ही अक्षय वट पूजन-अर्चन प्रक्रिया में सीएम योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी उपस्थित रहीं।


 

वैदिक मंत्रों के बीच पीएम मोदी ने किया संगम अभिषेक


त्रिवेणी संगम में अक्षत, चंदन, रोली, पुष्प और वस्त्र अर्पित कर पीएम मोदी ने की महाकुम्भ के सफल आयोजन की कामना


संगम नोज पर पीएम मोदी और सीएम योगी ने किया पूजन-अर्चन, उतारी त्रिवेणी की आरती


संगम नोज पर पूजा अर्चना से पहले पीएम मोदी ने प्रमुख साधु संतों से लिया आशीर्वाद


निषादराज क्रूज पर सवार होकर संगम नोज पर पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी


महाकुम्भ नगर, 13 दिसंबर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को तीर्थराज प्रयागराज की पावन धरा पर त्रिवेणी संगम में पूजा अर्चना कर 13 जनवरी से 26 फरवरी तक होने जा रहे महाकुम्भ के सफल आयोजन की कामना की। पीएम मोदी ने इस अवसर पर गंगा, यमुना और सरस्वती की त्रिवेणी की आरती कर वैश्विक कल्याण का भी संकल्प लिया। तीर्थ पुरोहितों के द्वारा वैदिक मंत्रों के बीच पूरा कार्यक्रम संपन्न कराया गया। इस दौरान पीएम मोदी ने त्रिवेणी में अक्षत, चंदन, रोली, पुष्प और वस्त्र भी अर्पित किए। इससे पूर्व पीएम मोदी ने प्रमुख साधु संतों का आशीर्वाद भी लिया। इस अवसर पर पीएम के साथ सीएम योगी और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी मौजूद रहीं।

निषादराज क्रूज से संगम तट पर पहुंचे पीएम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निषादराज क्रूज पर सवार होकर संगम नोज पर पहुंचे। किला घाट पर फ्लोटिंग जेटी से होते हुए वो क्रूज पर सवार हुए। व्हाइट कुर्ता-पजामा, ब्लू जैकेट, मैरून कलर की शॉल पहने पीएम मोदी ने क्रूज पर सवार होने के बाद डेक पर खड़े होकर यमुना की लहरों को निहारा। यहां से वह घूम-घूमकर पूरे क्षेत्र का अवलोकन भी करते नजर आए। इसके बाद रिवर क्रूज पर विहार का भी आनंद उठाया। संगम नोज पर सीएम योगी और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने एक बार फिर उनका स्वागत किया। इसके बाद पीएम मोदी ने साधु संतों से मुलाकात की और उनका अभिवादन किया। इस दौरान एक संत ने उन्हें मोतियों की माला भी भेंट की।


संगम की उतारी आरती, किया दुग्धाभिषेक

यहां से पीएम सीधे संगम नोज पर बने पंडाल में पहुंचे। यहां उपस्थित तीर्थ पुरोहितों ने उन्हें आसन ग्रहण कराया। पीएम के अगल-बगल में सीएम योगी और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने भी आसन ग्रहण किया। इसके बाद तीर्थ पुरोहितों के वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पीएम मोदी ने पूजा अर्चना की। तीर्थ पुरोहितों ने उनसे आचमन भी कराया। पीएम मोदी ने खड़े होकर त्रिवेणी का जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक किया। पीएम मोदी, सीएम योगी और राज्यपाल ने अक्षत, चंदन, रोली और पुष्पमाला के साथ ही त्रिवेणी में वस्त्र भी अर्पित किया। इसके बाद पीएम ने संगम आरती भी की। अंत में पीएम मोदी ने विशेष रूप से सजाए गए प्रांगण में फोटोशूट भी कराया।


इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के दौरान उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, ब्रजेश पाठक और मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह भी मौजूद रहे।



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