कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने हालही में वायनाड का दौरा किया है। जहां उनकी एक मुलाकात के बाद कांग्रेस पार्टी आतंकी संगठनों से सांठगांठ के संदेह के घेरे में आ गई है। भारत सरकार में विदेश राज्य मंत्री वी मुरलीधरन ने कांग्रेस का आतंकी संगठनों के साथ जुड़े होने की संभावना जताई है। वी मुरलीधरन ने कहा कि राहुल गांधी की वायनाड यात्रा के तुरंत बाद जमात ए इस्लामी संगठन के साथ कांग्रेस चर्चा कर रही है। कांग्रेस पार्टी आतंकवादी संगठनों के साथ चुनावी तालमेल करने की कोशिश कर रही है। यह सीधे तौर पर वोट बैंक की राजनीति है और उसकी निगाह मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण पर है।
केरल में स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं और उसी के चलते कांग्रेस ने जमात-ए-इस्लामी के साथ गठबंधन कर लिया है। कांग्रेस के इस सियासी चाल पर सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (LDF) के मुख्य धड़े भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPM) ने कांग्रेस की आलोचना की है।
सीपीएम ने इस गठबंधन के लिए कांग्रेस पर धर्मनिरपेक्षता के मूल्यों को ताक पर रखने का आरोप लगाया है। इस बारे में सीपीएम के पोलित ब्यूरो मेंबर और राज्य सचिव कोडियेरी बालाकृष्णन ने कहा, 'इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) पहले जमात-ए-इस्लामी का विरोध करता था लेकिन अब उसे काम करने में कोई दिक्कत नहीं है। कांग्रेस ने वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया (WPI) के साथ आने का फैसला किया है, जिसके परिणाम गंभीर होंगे।
बालाकृष्णन ने कहा कि जमात-ए-इस्लामी देश में इस्लामिक राज स्थापित करना चाहती है। जमात ने इस्तांबुल में हागिया सोफिया म्यूजियम को मस्जिद में बदले जाने का समर्थन भी किया था। पहले यूडीएफ की अगुवाई ओमान चांडी, पी.के. कुनहालीकुट्टी, के. मणि जैसे नेता करते थे। लेकिन अब इसकी चाबी एम.एम. हसन और जमात के आमिर जैसे लोगों के हाथों में आ गई है।
किससे मिले राहुल
कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर संगीन आरोप लगाते हुए भाजपा प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा था कि सिद्दीकी कप्पन जो पीएफआई का सदस्य है, जिस पर संगीन अपराध का आरोप है और वो जेल में है। उनके परिवारजनों से मिलने राहुल गांधी गए और उनसे मिले भी। ये सामने भी आया था कि राज्य के एक पदाधिकारी ने कहा कि जब राहुल गांधी मिले तो उन्होंने परिवार को आश्वासन दिया है कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी जेल में बंद कप्पन सिद्धकी को पूरी मदद देगी।
कौन है कप्पन सिद्दीकी
बीजेपी नेता गौरव भाटिया ने बताया है कि कप्पन सिद्दीकी हाथरस में भड़काने की कोशिश कर रहा था। वह PFI का मेंबर है। शाहीन बाद में हुए प्रदर्शन की फंडिंग PFI से आई. दिल्ली के दंगों में भी PFI का ही नाम आया है।
वैसे तो वामदलों की गतिविधियां भी देश में संदिग्ध रही हैं लेकिन कांग्रेस और राहुल खुली आलोचना का भी राजनीतिक कारण है। जानकारों की माने तो केरल के ईसाई संगठनों में हागिया सोफिया वाले मुद्दे के साथ ही जमात के साथ गठबंधन को लेकर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के प्रति नाराजगी है और इसीलिए सीपीएम गठबंधन की आलोचना कर इस नाराजगी को भी भुनाने की कोशिश में लगी है।
केरल में मुस्लिम और ईसाई आबादी बहुतायत में है। ईसाई और मुस्लिम वोटबैंक ही लेफ्ट और कांग्रेस की सियासत का आधार है। सिर्फ इतना ही नहीं मुस्लिम लीग जिसने जिन्ना की अगुवाई में हिंदुस्तान के दो टुकड़े करवाए थे वो भी केरल में वामदलों और कांग्रेस की रहनुमाई में ना सिर्फ पाली पोसी गई बल्कि उसके प्रतिनिधि चुनाव लड़ कर विधानसभा और संसद तक पहुंच चुके हैं। पाकिस्तान में मुस्लिम लीग का कोई नामलेवा नहीं रहा लेकिन भारत में इंडियन मुस्लिम लीग के नाम से इसे ना सिर्फ जिंदा रखा गया है बल्कि अब इसकी कमान आतंकियों के हाथ में बताई जा रही है।
क्या है जमात-ए-इस्लामी
जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर में अलगाववादी विचारधारा एवं आतंकवादी मानसिकता के प्रसार के लिए प्रमुख जिम्मेदार संगठन है। गृह मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक जमात-ए-इस्लामी आतंकियों को ट्रेंड करना, उन्हें फंड करना, शरण देना, लॉजिस्टिक मुहैया करना आदि काम करता रहा है। जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर का मिलिटेंट विंग है और इसे आतंकवादी घटनाओं के लिए जिम्मेदार माना जाता है। अपनी अलगाववादी विचारधारा और पाकिस्तानी एजेंडे के तहत कश्मीर घाटी में काम करता रहा है जिसने अपनी जड़े देश के अलग अलग राज्यों के साथ साथ दक्षिण के केरल राज्य में कुछ ज्यादा ही गहरी की हैं। ये संगठन अलगाववादी, आतंकवादी तत्वों का वैचारिक समर्थन करता है। उनकी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में भी भरपूर मदद देता रहा है। यह भी जानकारी मिली है कि वो भारत से अलग धर्म पर आधारित एक स्वतंत्र इस्लामिक राज्य की स्थापना के लिए प्रयास कर रहा है। जमात-ए-इस्लामी की इन हरकतों की वजहों से ही उसपर बैन लगाया गया है।
पुलवामा हमले के बाद केंद्र सरकार आतंकवाद पर नकेल कसने के लिए लगातार प्रयास कर रही है और एक के बाद एक अहम कदम उठाए जा रहे हैं। इसी क्रम में सरकार ने जमात-ए-इस्लामी पर 5 साल तक के लिए प्रतिबंध लगाया है। गृह मंत्रालय ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी के बाद यह फैसला लिया गया था।
टीम स्टेट टुडे
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