कैसे दिखेगा राममंदिर। हर रामभक्त के दिल में यही बात है कि राममंदिर जिसका भूमिपूजन पांच अगस्त को होने जा रहा है वो बनने के बाद कैसा लगेगा। स्टेट टुडे आपको मंदिर के उस भव्यतम स्वरुप का दर्शन कराएगा जिसकी पहली ईंट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रखेंगे।
राममंदिर निर्माण से पहल राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट की तरफ से प्रस्तावित मंदिर मॉडल की तस्वीरें जारी हो गई हैं। मंदिर का यह डिजाइन वास्तुकार निखिल सोमपुरा ने तैयार किया है। रामलला के मंदिर के लिए इससे पहले वीएचपी का पुराना मॉडल हमारे सामने था। इसे निखिल के पिता चंद्रकांत सोमपुरा ने तैयार किया था। अब पुराने डिजाइन में कुछ बदलाव किया गया है। मंदिर के नए मॉडल में ऊंचाई, आकार, क्षेत्रफल और बुनियादी संरचना में भी काफी परिवर्तन है।
समयबद्ध निर्माण
मंदिर निर्माण के लिए साढ़े तीन साल का लक्ष्य रखा गया है। मंदिर तीन मंजिला होगा और यह वास्तुशास्त्र के हिसाब से बनाया जाएगा।
परिसर की भव्यता
मंदिर के शिखर की ऊंचाई बढ़ाकर 161 फुट की गई है। इसके साथ ही गुंबदों की संख्या तीन से बढ़ाकर पांच की गई है। मंदिर के जमीन का आकार भी बढ़ा दिया गया है।
गर्भगृह के ऊपर होगी मंदिर का शीर्ष
जहां रामलला का गर्भगृह बनेगा, उसके ऊपर के हिस्से को ही शिखर बनाए जाएगा। वहीं पांचों गुंबदों के नीचे के हिस्से में चार हिस्से होंगे। इसमें सिंहद्वार, नृत्य मंडप, रंगमंडप बनेगें। यहां श्रद्धालुओं के बैठने विचरण करने और विविध कार्यक्रम आयोजित करने के लिए जगह रहेगी।
चमकाए जा रहे हैं पत्थर
मंदिर की भव्यता बढ़ाने के लिए इसका जमीनी क्षेत्रफल भी बढ़ाया गया है। मंदिर में पत्थर वही लगेंगे जो राम मंदिर कार्यशाला में तराश कर रखे गए हैं। इन पत्थरों की साफ सफाई कर चमकानें का काम दिल्ली की कंपनी कर रही है।
नींव की गहराई
मिट्टी परीक्षण की रिपोर्ट के आधार पर मंदिर के लिए नींव की खुदाई होगी। यह 20 से 25 फीट गहरी हो सकती है। प्लैटफॉर्म कितना ऊंचा होगा इस पर निर्णय राम मंदिर ट्रस्ट करेगा। अभी 12 फीट से 14 फीट तक की ऊंचाई की बात चल रही है।
पत्थरों के ब्लॉक से होगा तेज निर्माण
आपको जानकर आश्चर्य होगा कि राममंदिर निर्माण के लिए बीते तीन दशकों से पत्थर तराशने का काम चल रहा है। हर पत्थर में ऊपर की ओर बेलन और नीचे की तरफ गहरा छेद बनाया गया है। ये पत्थर एक के ऊपर एक ऐसे रखे जाएंगे जैसे बच्चे ब्लॉक्स के जरिए बिल्डिंग गेम खेलते हैं। ये उस रणनीति का हिस्सा था जिसमें मंदिर निर्माण त्वरित गति से पूर्ण करने का संकल्प लिया गया था।
टीम स्टेट टुडे
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