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अयोध्या में Ramlala का "सूर्यतिलक" जानिए कैसे होगा - जब आकाश से उतर कर रामलला के ललाट तक पहुंचेंगी सूर्यकिरणें

 



सूर्यवंशी प्रभु श्रीराम का उनके जन्मोत्सव यानी रामनवमी के दिन तिलक करने स्वयं सूर्य देव रामलला की प्रतिमा तक पहुंचेंगे। हिंदू नववर्ष विक्रम संवत 2081 की शुरुआत के साथ अयोध्या में राम मंदिर में रामनवमी पर्व को ऐतिहासिक बनाने की तैयारियां भी चल रही हैं। नव्य-भव्य राम मंदिर का उद्घाटन के बाद अब राम मंदिर में विज्ञान का चमत्कार भी रामनवमी को देखने को मिलेगा, जिसमें प्राकृतिक रचना और मानवीय संरचना का अनूठा संगम होगा।


राम मंदिर तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने राम नवमी की खास तैयारी की है। 17 अप्रैल राम नवमी को राम जन्मोत्सव के दिन को दोपहर ठीक 12:00 बजे राम लला का सूर्य अभिषेक किया जाएगा।


ट्रस्ट ने इसकी सूर्य तिलक के प्रबंधन व संयोजन का दायित्व रुड़की के सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों को सौंपा है। इस आयोजन को प्रोजेक्ट ‘सूर्य तिलक’ का नाम दिया गया है। वैज्ञानिकों ने एक पद्धति विकसित की, जिसमें मिरर, लेंस व पीतल का प्रयोग हुआ है। इसके संचालन के लिए बिजली या बैटरी की भी आवश्यकता नहीं होगी। प्रत्येक वर्ष रामनवमी पर रामलला का सूर्य तिलक होगा।


सूर्य तिलक के लिए आईआईटी रुड़की सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट ने एक खास ऑप्टोमैकेनिकल सिस्टम तैयार किया है। इसमें मंदिर के सबसे ऊपरी तल (तीसरे तल) पर लगे दर्पण पर ठीक दोपहर 12 बजे सूर्य की किरणें पडे़ंगी। दर्पण से 90 डिग्री पर परावर्तित होकर ये किरणे एक पीतल के पाइप में जाएंगी। पाइप के छोर पर एक दूसरा दर्पण लगा है। इस दर्पण से सूर्य किरणें एक बार फिर से परावर्तित होंगी और पीतल की पाइप के साथ 90 डिग्री पर मुड़ जाएंगी।

 

दूसरी बार परावर्तित होने के बाद सूर्य किरणें लंबवत दिशा में नीचे की ओर चलेंगी। किरणों के इस रास्ते में एक के बाद एक तीन लेंस पड़ेंगे, जिनसे इनकी तीव्रता और बढ़ जाएगी। लंबवत पाइप जाती है। लंबवत पाइप के दूसरे छोर पर एक और दर्पण लगा है।  बढ़ी हुई तीव्रता के साथ किरणें इस दर्पण पर पड़ेंगी और पुन: 90 डिग्री पर मुड़ जाएंगी। 90 डिग्री पर मुड़ी ये किरणें सीधे राम लला के मस्तक पर पड़ेंगी। इस तरह से राम लला का सूर्य तिलक पूरा होगा।


सूर्य किरणों का यह तिलक 75 मिमी का गोलाकार रूप में होगा। दोपहर 12 बजे सूर्य किरणें रामलला के मस्तक पर पड़ेंगी। ढाई मिनट से पांच मिनट के बीच सूर्य किरणें रामलला के मुख मंडल को प्रकाशमान करेंगी। राममंदिर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि श्रीराम लला का सूर्य तिलक करने की तैयारी संपूर्ण परिश्रम से हो रही है। संभव है कि राम नवमी पर वैज्ञानिकों का प्रयास फलीभूत हो जाए। तकरीबन 100 एलईडी स्क्रीन के माध्यम से इसका सीधा प्रसारण किया जाएगा।


सूर्य तिलक तय समय पर हो इसके लिए इस सिस्टम में 19 गियर लगाए गए हैं। ये गियर्स सेंकंडों में दर्पण और लेंस पर किरणों की चाल बदलेंगे। ये पूरा सिस्टम बिना बिजली के काम करेगा।


सूर्य तिलक मैकेनिज्म का उपयोग पहले से ही कुछ जैन मंदिरों और कोणार्क के सूर्य मंदिर में किया जा रहा है। हालांकि, उनमें अलग तरह की इंजीनियरिंग का प्रयोग किया गया है। राम मंदिर में भी मेकेनिज्म वही है, लेकिन इंजीनियरिंग बिलकुल अलग है। निर्धारित समय पर तिलक करना बड़ी चुनौती थी।

 

जानकारों का मानना है कि दुनिया में बहुत ही कम मंदिर ऐसे हैं, जहां भगवान की मूर्ति पर सूर्य किरण से तिलक होता हो। भगवान राम की जन्मस्थली अयोध्या में राम मंदिर को भव्यातिभव्य बनाने के लिए श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इसकी परिकल्पना बहुत पहले कर ली थी।


अयोध्या में रामलला का सूर्य तिलक एक अलौकिक क्षण होगा।

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