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बहराइच, 7 अगस्त 2023 : तकरीबन 24 साल पहले रिलीज़ हुई सुपरहिट फिल्म सूर्यवंशम में राधा ठाकुर के IAS बनने की कहानी तो हर किसी ने फिल्मी पर्दे पर देखी और सुनी होगी.लेकिन बहराइच जिले में तैनात डीएम मोनिका रानी की कहानी कोई फिल्मी नहीं बल्कि असल जिंदगी की रियल कहानी है. आईएएस मोनिका रानी के कड़े संघर्षों की कहानी साफ बयां कर रही है कि 'असल सूर्यवंशम' मोनिका रानी हैं.
बहराइच जिले में तैनात जिलाधिकारी मोनिका रानी 2010 बैच की तेज तर्रार महिला IAS अधिकारी हैं.जो कि हरियाणा प्रान्त के गुरुग्राम की निवासी हैं.
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आईएएस बनने से पहले सरकारी स्कूल में शिक्षिका के तौर पर टीचिंग का काम करती थीं.कड़े संघर्षों ने मोनिका रानी के हौसलों को जरा भी डगमगाने नहीं दिया. मोनिका रानी के आईएएस बनने के जुनून ने इस कदर हौसलों को परवान चढ़ाया की चौथे प्रयास में मोनिका रानी देश की सर्वोच्च परीक्षा UPSC को पास कर 70वीं रैंक हासिल कर आईएएस बन गयीं.
डीएम मोनिका रानी का कहना है कि (मान लो तो हार, और ठान लो तो जीत ) यही कामयाबी का असल मूलमंत्र है. आपको बता दें कि जिलाधिकारी मोनिका रानी की कार्यशैली का अलग ही अंदाज है. कभी ये अचानक स्कूल में पहुंच कर बच्चों को पढ़ाती नज़र आती हैं.तो कभी किसी दफ्तर में औचक निरीक्षण के लिये पहुंच जाती हैं.डीएम साहिबा न जाने कब किस आफिस में पहुंच जाए इस दहशत से सभी विभागों के अफसर अपनी ड्यूटी बजाने आफिस में राइट टाईम पहुंच जाते हैं,
दरअसल डीएम मोनिका रानी टाईम की बहुत पन्चुअल हैं. जनता जनार्दन की जनसुनवाई के लिये डीएम साहिबा सुबह 09.बजकर 25 मिनट पर अपने ऑफिस में कलेक्टर की कुर्सी पर बैठ जाती हैं.उसके बाद फील्ड विजिट आदि के साथ देर शाम तकरीबन 08 बजे तक आवाम की खिदमत के लिये सरकारी दायित्वों का पूरा कर्तव्य निभाती हैं.
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सादगी की बात करें तो डीएम मोनिका रानी का कोई जवाब नहीं... लापरवाहों के लिये मोनिका रानी जिलाधिकारी जितनी शख्त हैं, वहीं आवाम के लिये सादगी की नायाब मूरत हैं.. घर के बाहर जहाँ कलेक्टर का फर्ज निभाती हैं,वहीं घर में पहुंचते ही पारिवारिक जिम्मेदारियां भी बखूबी निभाती हैं.
डीएम मोनिका रानी के कड़े संघर्षो से जुड़ी आईएएस बनने की सफलता की कहानी बॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म सूर्यवंशम से हूबहू मेल खाती है...जिस फ़िल्म को मोनिका रानी अनगिनत बार देख चुकी हैं...और सूर्यवंसम को काफी पसंद भी करती हैं...
बहराइच की जिलाधिकारी की कहानी तमाम प्रतियोगियों के लिये किसी प्रेरणा से कम नहीं..मोनिका रानी ने शादी के बाद IAS की परीक्षा की पास. तीन बार की असफलता भी नहीं डगमगा पायी विश्वास,कड़े संघर्षों की कठिन तपस्या के बाद आखिर पूरा किया आईएएस बनने का ख्वाब.
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मोनिका रानी अपने चौथे प्रयास में 2010 में यूपीएससी परीक्षा उत्तीर्ण की। उस समय उनकी उम्र 29 वर्ष थी।
ये है आईएएस मोनिका रानी के संघर्षो की कहानी..
मोनिका रानी बचपन से ही सिविल सेवा परीक्षा पास करने की इच्छुक थीं, और अपने भाई से बहुत प्रेरित थीं, जिसे उन्होंने उसी की तैयारी में घंटों बिताते देखा था। लेकिन घटनाओं के क्रम में, मोनिका की 2005 में शादी हो गई, एक बच्चा हुआ, और वह दिल्ली के बिजवासन के एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका भी बन गई।
उन्होंने अभी भी अपने भीतर का धैर्य बनाए रखा और सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी तब शुरू की जब उनका बच्चा 8 महीने का था। वह सुबह जल्दी उठ जाती थी और घर के कामों में व्यस्त होने से पहले कुछ घंटे पढ़ाई के लिए समर्पित करती थी। स्कूल से वापस आने के बाद, उसने अपने बच्चे की देखभाल और अन्य घरेलू गतिविधियों में समय बिताया। अंत में, वह रात में कुछ घंटे पढ़ाई में बिताती थी, जब उसकी सास बच्चे की देखभाल करती थी।
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मोनिका रानी ने तैयारी के लिए कोई प्रशिक्षण नहीं लिया और ऊपर से अकेले ही अपने बच्चे की देखभाल करनी पड़ी क्योंकि उनके पति कोलकाता में तैनात थे।
मोनिका को पढ़ने के लिए प्रतिदिन 3-4 घंटे से अधिक का समय नहीं मिलता था, लेकिन फिर भी वह अपनी दिनचर्या पर सख्ती से टिकी रहती थी और अपने समय का सर्वोत्तम तरीके से प्रबंधन करती थी। परीक्षा शुरू होने से ठीक पहले, उसने स्कूल से छुट्टी ली, और अपने बेटे को माँ के पास भेज दिया, और अपना अधिकांश दिन तैयारी और पढ़ाई में लगाया.
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आईएएस के लिए मोनिका रानी का प्रयास सराहनीय था और उनकी जीवनी वास्तव में इसका प्रतीक है। उसके लगातार कई प्रयास किया ,अपने चौथे प्रयास में सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की.
डीएम मोनिका रानी को अपने पति और पूरे परिवार का लगातार समर्थन प्राप्त था, जिसने उन्हें अध्ययन और तैयारी के लिए सक्षम रूप से समय दिया। मोनिका के समय प्रबंधन, दृढ़ता और धैर्य ने परिणाम दिखाया और उसने अंततः परीक्षा में सफलता प्राप्त की।
2010 बैच की आईएएस अधिकारी मोनिका रानी ने यूपी के फर्रुखाबाद, चित्रकूट,में बतौर डीएम के रूप में अपनी सेवा दे चुकी हैं.मौजूदा समय में योगी सरकार ने इन्हें बहराइच का विकास करने की मंसा से बतौर जिलाधिकारी बनाकर भेजा है।जो आकांक्षात्मक जिले बहराइच का कायाकल्प करने के मिशन में पूरी शिद्दत से जुटी हुई हैं।
टीम स्टेट टुडे
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