इस बार आतंक फैलाने में माहिर आईएसआई का जो खेल खुला है उससे सबके होश उड़ गए हैं। एक ही तीर से पाकिस्तान की आईएसआई ने कई निशाने साधे।
धर्मांतरण के जरिए भारत में मुस्लिमों की संख्या बढ़ाना
मूक-बधिरों को मुस्लिम बनाकर मानव बनाना
हिंदुओं को ही मुसलमान बनाकर सबूत और साजिश का नामोनिशान मिटा देना
अगर यूपी एटीएस ने धर्मपरिवर्तन कराने वाले जहांगीर और उमर को ना पकड़ा होता तो पूरे भारत में सीरियल बम ब्लास्ट होते। इन्हें अंजाम देने वाला कोई बाहरी नहीं वो मूक और बधिर छात्र होते जिनका धर्म परिवर्तन नोएडा सेक्टर-117 स्थित डेफ सोसायटी में किया गया।
सिर्फ भारत ही नहीं इन मूक बधिरों को मानव बम बनाकर दुनिया भर में भेजने की साजिश चल रही थी। जिससे ना सिर्फ दुनिया भर में भारत पर आतंकवाद का ठप्पा लगता बल्कि हिंदू धर्म को भी गहरी चोट पहुंचती। क्योंकि अगर कहीं भी ये मूक बधिर पकड़े जाते तो गहराई से तफ्तीश होने पर धर्मपरिवर्तन से पहले इनके हिंदू होने के चलते हिंदू शब्द चर्चा में आ जाता।
2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद धर्म परिवर्तन कराने वाले इस रैकेट की सक्रियता और बढ़ गई थी। 2017 में यूपी में योगी सरकार बनने के बाद इस संगठन ने हर तरह के ट्रायल शुरु कर दिए थे ऐसी जानकारी सूत्र दे रहे हैं। इनका निशाना यूपी चुनाव भी था।
डेफ सोसाइटी के संचालक उमर और जहांगीर मूकबधिर छात्रों को इसलिए निशाना बना रहे थे क्योंकि ऐसे लोग न तो सुन सकते हैं और न ही बोल सकते हैं। एक बार झांसे में आने के बाद छात्रों के मूल धर्म के प्रति दुर्भावना, घृणा पैदा कर एवं इस्लाम धर्म के प्रति विश्वास और पक्का कर उसका मतांतरण कराया जाता है। इसके बाद छात्र अपने मूल धर्म से नफरत करने लगते थे। इन्हीं छात्रों को मानव बम के रूप में इस्तेमाल करके देश को दहलाने की साजिश रची गई थी।
जानकारी के मुताबिक देश में विदेश से भारी-भरकम फंडिंग की जा रही है। मुख्य रूप से यह फंडिंग पाकिस्तान और अरब देशों से हो रही थी। खुफिया एजेंसियों ने 100 से अधिक बैंक खाते रडार पर लिए गए हैं। इनमें से करीब तीन दर्जन खातों को खंगाला गया है।
इस खेल में कई सफेदपोश के जुड़े होने का अंदेशा है। ये लोग पर्दे के पीछे से कट्टरपंथी संगठनों और धर्मातंरण कराने वाले गिरोह का सहयोग कर रहे हैं। ये संगठन देश के विभिन्न हिस्सों में अपने पैर जमाए हुए हैं।
डासना शिवधाम मंदिर में जो संदिग्ध पकड़े गए वो इसी आतंकी ट्रायल का हिस्सा था।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा एनएसए के तहत हो कार्रवाई
उत्तर प्रदेश में हजार के अधिक लोगों के मतांतरण के मामले में गिरफ्तार आरोपित पर बेहद सख्त कार्रवाई होगी। सीएम योगी आदित्यनाथ का मतांतरण के खिलाफ रुख बेहद सख्त है । उनके निर्देश पर लखनऊ से सोमवार को गिरफ्तार मोहम्मद उमर गौतम पुत्र स्वर्गीय धनराज सिंह गौतम और मुफ्ती काजी जहांगीर आलम कासमी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत कार्रवाई होगी, जबकि उनकी संपत्ति भी जब्त की जाएगी।
दोनों आरोपितों के साथ आइडीसी संस्था व अन्य के विरुद्ध उत्तर प्रदेश एटीएस के लखनऊ थाने में धोखाधड़ी, आपराधिक षड्यंत्र, धार्मिक उन्माद भड़काने, राष्ट्रीय एकता को प्रभावित करने व उप्र विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश-2020 समेत अन्य धाराओं में एफआइआर दर्ज की गई है।
यह भी पता लगाने का प्रयास करेगी कि उत्तर प्रदेश के किन जिलों में इनका गिरोह अभी भी बेहद सक्रिय है।
इस संगठित गिरोह ने वाराणसी, गौतमबुद्धनगर, मथुरा, कानपुर व कुछ अन्य जिलों के अलावा दिल्ली, महाराष्ट्र, हरियाणा, केरल व आंध्र प्रदेश तक में मतांतरण कराया है। इस पूरे मामले में उमर गौतम मी संस्था इस्लामिक दावा सेंटर (आइडीसी) की अहम भूमिका है। उमर ने खुद 1984 में मतांतरण किया था और एक मुस्लिम महिला से विवाह कर लिया था।
विश्व हिंदू परिषद ने भी जताई चिंता
धर्मांतरण के इस रैकेट के खुलासे को विश्व हिंदू परिषद ने भी गंभीरता से लिया है। विहिप के संयुक्त महामंत्री सुरेंद्र जैन ने कहा कि जामिया नगर से पकड़े गए लोगों से यह स्पष्ट हो गया कि षड्यंत्र गहरा, व्यापाक घिनौना और राष्ट्रव्यापी है।
विहिप ने इशारा करते हुए कहा कि कुछ लोग इन्हें निरापराध बताने में जुट गए हैं। संभव है कि कुछ दल या संगठन मोटी फीस देकर इन आतंकियों को बचाने के लिए बड़े-बड़े वकीलों की फौज खड़ी कर दें। पूरे मामले में स्पष्ट होता है कि साजिश के तहत धर्मांतरण करने वालों को विदेशों से पैसा मिलता है और मुस्लिम समाज का एक बड़ा वर्ग इनका साथ भी देता है।
टीम स्टेट टुडे
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