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दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर अराजकता और हिंसा: मुखौटा आंदोलन, नकली नेता, गद्दारों की टोली



कृषि कानूनों के खिलाफ बीते दो ढाई महीने से दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले लोगों का असली चेहरा गणतंत्र दिवस पर सबसे सामने आ गया। किसानों के नाम पर किसानों के भेष में बैठे गद्दारों ने भारत के सबसे बड़े राष्ट्रीय पर्वों में से एक गणतंत्र दिवस पर कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ा दीं। जिस दिन भारत का संविधान लागू हुआ, जिस दिन भारत के संविधान के तहत कानूनों का अनुपालन सुनिश्चित हुआ ठीक उसी ट्रैक्टर रैली के नाम पर कृषि कानूनों का विरोध कर रही गद्दारों की टोली ने अपनी असलियत दुनिया के सामने उजागर कर दी।



दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर हिंसा और अराजकता के लिए किसान नेता कहलाने वाले यही गद्दार जिम्मेदार हैं। पुलिस को अंधेरे में रखकर दिल्ली में ट्रैक्टर लेकर घुसे किसानों ने कानून व्यवस्था की धज्जियां उड़ाई। दिल्ली पुलिस ने ट्रैक्टर परेड के लिए संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं के साथ छह दौर की वार्ता के बाद तीन रूट तय किए थे।



सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बार्डर से दिल्ली की सड़कों पर ट्रैक्टर परेड के लिए तीनों रूट भी खुद किसान संगठनों ने दिए थे, मगर खुद को किसान नेता बताने वाले ये बहरुपिए अपनी टोली के उपद्रवियों को रोकने में नाकाम रहे। कहीं भी ऐसा दिखाई नहीं दे रहा था कि किसान संगठनों की तरफ से उपद्रवियों को रोकने के लिए कोई प्रयास किए गए हों।


पुलिस की चेतावनी को भी किया अनसुना


किसान आंदोलन के नाम पर उपद्रव करने की बाबत दिल्ली पुलिस को लगातार पाकिस्तान की सक्रियता के साक्ष्य मिल रहे थे। इन्हीं साक्ष्यों के आधार पर दिल्ली पुलिस ने किसान संगठनों से हर दौर की वार्ता में यही अपील की थी कि वे केजीपी और केएमपी एक्सप्रेस वे पर ही ट्रैक्टर परेड निकालें, लेकिन तथाकथित किसान संगठनों ने एक नहीं मानी। नतीजा सबके सामने है। किसान न सिर्फ तय रूट से बल्कि अन्य मार्गो से भी दिल्ली में ट्रैक्टर लेकर घुसे। दिल्ली की सड़कों पर हिंसा व अराजकता को अंजाम दिया।



पुलिस के समझाने पर भी किसान नहीं माने। इतना ही नहीं दिल्ली पुलिस के साथ वार्ता में किसान संगठनों ने अपनी तरफ से तीनों रूट पर ट्रैक्टर परेड में व्यवस्था बनाए रखने के लिए पांच हजार कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपने की बात कही थी, लेकिन ये कार्यकर्ता भी कहीं नजर नहीं आए। खुद को किसानों का नेता बताने वाले संगठनों की तरफ से योगेंद्र यादव, बलदेव सिंह राजेवाल, हन्नान मौला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, दर्शनपाल, शिवकुमार शर्मा कक्का जी सहित गुरनाम सिंह चढ़ूनी भी इन वार्ताओं में शामिल रहे।




बेशर्म नेता अब भी दिखा रहे हैं अकड़


दिल्ली को हिंसा की आग में झोंकने वाले तथाकथित किसान नेता भरपूर अराजकता के बाद मासूम चेहरा लेकर सामने आ रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने बीते दिनों कहा था कि 26 जनवरी को हम बक्कल खोल देंगे। सरकार हम पर लाठियां चलाए गोलियां बरसाए दम हो तो हमें हटाए। दिल में छिपी मंशा आज देश ने देख ली।



कक्का जी नाम का तथाकथित किसान नेता अब कह रहा है कि मैं 70 मुकदमें झेल चुका हूं। मैं केंद्र सरकार के मुकदमें से नहीं डरता, लेकिन दिल्ली में जो कुछ हुआ उसमें संयुक्त किसान मोर्चा के किसान नहीं थे। सिंघु बार्डर से जब किसान ट्रैक्टर लेकर दिल्ली के अंदर घुस रहे थे तब पुलिस को रोकना चाहिए था। हम हिंसा के लिए दुखी हैं, शर्मिंदा हैं, लेकिन यह पुलिस की नाकामी है। दिल्ली पुलिस के साथ रूट तय करने में किसान मोर्चा के नेता शामिल नहीं थे। यह रूट जिन्होंने तय किया था, उनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।


हिंसा के बाद पलट रहे हैं किसानों के तथाकथित नेता



प्रदर्शनकारी किसान यूनियनों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने राष्ट्रीय राजधानी में भड़की हिंसा में शामिल लोगों से मंगलवार को खुद को अलग कर लिया। किसान मोर्चा ने घटना की निंदा करते हुए आरोप लगाया कि गणतंत्र दिवस ट्रैक्टर रैली में असामाजिक तत्वों ने घुसपैठ कर ली। नहीं तो उनका आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा था।



संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने एक बयान में कहा कि हम अवांछनीय और अस्वीकार्य घटनाओं की निंदा करते हैं। कुछ किसान समूहों की ओर से पहले से तय रास्ता बदलने के बाद ट्रैक्टर रैली हिंसक हो गई है। संयुक्त किसान मोर्चा में किसानों के 41 संघ हैं। वह दिल्ली की कई सीमाओं पर केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ हो रहे प्रदर्शन की अगुवाई कर रहा है।


क्या हुआ दिल्ली में गणतंत्र दिवस पर



गणतंत्र दिवस (Republic Day 2021) परेड के बीच राजधानी में अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। भारी संख्या में प्रदर्शनकारी ट्रैक्टरों के साथ लाल किला पर पहुंच गई। इसके बाद प्रदर्शनकारी किसान लाल किले के भीतर घुस गए। प्रदर्शनकारियों ने लाल किले की प्राचीर से अपना पीले रंग का झंडा लहराया। राजधानी में आईटीओ में प्रदर्शनकारी किसान टैक्टरों से बैरिकेड तोड़ दिया। हंगामा बढ़ने पर पुलिस ने यहां किसानों पर लाठीचार्ज कर दिया। हालात को देखते हुए गृह मंत्री अमित शाह के घर पर उच्च स्तरीय बैठक हुई। यह बैठक करीब 2 घंटे तक चली। जानकारी के मुताबिक तकरीबन 80 से ज्यादा पुलिसवालों के घायल होने की खबर आ रही है।


लालकिले से निकाले गए आंदोलनकारी



ट्रैक्टर परेड के दौरान हुए बवाल के बीच आंदोलनकारी लालकिले में भी घुस गए थे। कुछ ने वहां धार्मिक झंडा भी फहरा दिया था। फिलहाल खबर आ रही है कि पुलिस ने इन प्रदर्शनकारियों को लालकिले से बाहर कर दिया है। आपको बता दें कि देर शाम तक बड़ी संख्या में आंदोलनकारी लालकिले के परिसर में मौजूद थे।


शरद पवार ने किसानों से घर लौटने की अपील की



तेलगी स्टांप पेपर घोटाले के आरोपी रहे पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने आज की घटना के मद्देनजर सरकार पर बरसते हुए किसानों से घर लौटने की अपील की है। उन्होंने कहा- 'आज जिस तरह से आंदोलन को हैंडल किया गया वह खेदजनक है। हम सभी विपक्ष में बैठे लोग किसानों का समर्थन करते हैं और मैं अपील करता हूं कि अब आप किसानों को अपने-अपने गांवों में शांति से वापस चले जाना चाहिए और सरकार को ऐसा कोई मौका नहीं देना चाहिए जिससे आप पर दोष मढ़ा जाए।'




हिंसा में कई जवान घायल


आज हुई हिंसा में कई जवान घायल हुए हैं। पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े। भीड़ को काबू करने के दौरान पांच-छह पुलिसकर्मी जख्मी हो गए। वहीं, प्रदर्शनकारियों की तरफ से पुलिसवालों पर ट्रैक्टर चढ़ाने की कोशिश की गई। झड़प के बीच दो मीडियाकर्मी भी घायल हो गए हैं। वहीं कई प्रदर्शनकारियों को चोटें आई हैं।



एनएच-24 पर भी किसान रास्ते में बैरिकेड तोड़ अक्षरधाम मंदिर की तरफ बढ़े । रास्ते में प्रदर्शनकारियों ने हुड़दंग भी किया। इन लोगों पुलिस की गाड़ियों के शीशे भी तोड़ डाले। राजधानी के करनाल बाईपास पर प्रदर्शनकारी किसानों के साथ ही घुड़सवार निहंग पुलिस बैरिकेड पर टूट पड़े। किसानों व निहंगों ने पुलिस बैरिकेड तोड़फोड़ करते हुए खूब हंगामा किया। वहीं, पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।


दिल्‍ली, नोएडा और गाजियाबाद में इंटरनेट बंद


किसानों की ट्रैक्‍टर रैली में हिंसा को देखते हुए इंटरनेट बंद कर दिया गया है। खबर के मुताबिक, उन सभी बॉर्डर एरियाज में जहां पर प्रदर्शन चल रहा है, रात 12 बजे तक इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई है। गृह मंत्रालय की तरफ से जारी आदेश के मुताबिक, सिंघु, गाजीपुर, टीकरी, मुकरबा चौक, नांगलोई और आसपास के इलाकों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है। कोई URL खोलने पर यह मैसेज आ रहा है क‍ि 'सरकार के निर्देशानुसार, आपके क्षेत्र में इंटरनेट सेवा अगली सूचना आने तक बंद कर दी गई हैं।' मोबाइल इंटरनेट सेवा चल रही है।



नांगलोई में प्रदर्शनकारी किसानों को रोकने के लिए पुलिसवाले खुद जमीन पर बैठ गए। यहां से किसानों के जत्थे नजफगढ़ की ओर तय रूट पर जाने की बजाय रोहतक रोड पर पीरागढ़ी की ओर बढ़ रहे हैं। बहादुरगढ़ से पीरागढ़ी मेट्रो सेवा तत्काल प्रभाव से बंद कर दी गई। पीरागढ़ी सहित इस रूट पर लगने वाले सभी स्टेशनों को बंद कर दिया गया है। प्रदर्शनकारी राजधानी के मकरबा चौक पर पुलिस के वाहन पर चढ़ गए। इसके बाद उन लोगों ने पुलिस के बैरिकेड हटा दिए।


दिल्ली मेट्रो ने इन स्टेशनों के गेट किए बंद


दिल्ली मेट्रो ने किसानों की ट्रैक्टर परेड और पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प के बाद अपने कई स्टेशनों के गेट बंद कर दिए हैं। दिल्ली मेट्रो ने ट्वीट कर बताया कि समयपुर बादली, रोहिणी सेक्टर 18/19, हैदरपुर बादली मोड़, जहांगीर पुरी, आदर्शनगर, आजादपुर, मॉडल टाउन, जीटीबी नगर, विश्वविद्यालय, विधानसभा और सिविल लाइन्स, इंद्रप्रस्थ मेट्रो स्टेशन पर एंट्री और एग्जिट बंद कर दिए हैं।




वहीं, दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे पर पांडव नगर के निकट भी प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। नोएडा के चिल्ला बॉर्डर पर स्टंट करने के दौरान एक ट्रैक्टर पलट गया। इसमें दो लोग घायल हो गए। बाद में लोगों ने मिलकर इसे सीधा खड़ा किया। ट्रैक्टर पलटने के बाद वहां कुछ देर के लिए अफरातफरी मच गई। इससे पहले ट्रैक्टर परेड निकाल रहे किसानों की सुबह दिल्ली पुलिस के साथ झड़प हो गई। प्रदर्शनकारी किसानों ने पुलिस की तरफ से लगाए गए बैरिकेडों को तोड़ दिया। इसके बाद किसान राजधानी में प्रवेश कर गए।


ट्रैक्टर पलटने से उपद्रवी की मौत



कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान दिल्ली के आईटीओ में एक किसान की मौत हो गई। किसानों का आरोप है कि पुलिस की ओर से चलाई गई गोली की वजह से किसान की मौत हुई है। वहीं पुलिस का कहना है कि किसान काफी तेज स्पीड में ट्रैक्टर चला रहा था, जिसकी वजह से ट्रैक्टर पलट गया और उसकी मौत हो गई। पुलिस ने अपने दावे के समर्थन में मौके का सीसीटीवी फुटेज भी जारी किया है।


राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने की घटना की घोर निंदा

तथाकथित किसानों के आदोंलन में जिस तरह हिंसा हुई उससे देश का आम आदमी भी दुखी हुआ है। कई संगठनों , नेताओं के साथ साथ आम लोगों ने दिल्ली की घटना की घोर निंदा की है।



राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरकार्यवाह सुरेश (भय्याजी) जोशी ने कहा कि गणतंत्र दिवस के पवित्र दिन आज दिल्ली में जो हिंसा एवं उपद्रव हुआ वह अत्यंत ही दुःखद एवं निंदनीय है। विशेषकर ऐतिहासिक स्थल लालकिले पर हुआ कृत्य देश की स्वाधीनता और अखंडता की रक्षा के लिए बलिदान देने वालों का अपमान है । लोकतंत्र में ऐसी अराजकता के लिए कोई स्थान नहीं है ।


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सभी देशवासियों से आह्वान करता है कि राजनैतिक एवं वैचारिक मतभेदों से ऊपर उठ कर प्राथमिकता से शांति के लिए प्रयास करें।


टीम स्टेट टुडे

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