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अनुभव क्या होता है इसे साबित किया है सेवानिवृत डिप्टी एसपी एसटीएफ पी.के.मिश्रा ने।
पीजीआई इलाके में वृंदावन कॉलोनी के रहने वाली उद्योगपति अविनाश सिंह की हत्या का राज़ शायद कभी ना खुलता अगर पी.के.मिश्रा का तजुर्बा यहां काम ना आया होता।
दरअसल अविनाश का शव दरोगा खेड़ा के पास जंगल में एक पेड़ से लटकता मिला था। अविनाश सिंह सरोजनीनगर के इंड्स्ट्रियल एरिया में नमकीन की फैक्ट्री चलता थे। 30 जनवरी की शाम वो फैक्ट्री से घर के लिए निकले लेकिन पहुंचे नहीं। देर रात अविनाश की पत्नी निधि कटियार ने पुलिस कंट्रोल रुम को सूचना दी। रविवार की सुबह अविनाश का शव एक पेड़ से लटकता मिला।
चूंकि हत्या को आत्महत्या का रुप दिया गया था इसलिए स्थानीय पुलिस के लिए मामला टेढ़ी खीर हो गया। ऐसे में पीजीआई पुलिस ने सेवानिवृत डिप्टी एसपी एसटीएफ पीके मिश्रा से सहयोग मांगा। जिसके बाद एसटीएफ की टीम पीके मिश्रा के नेतृत्व में जुट गई।
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अपने जमाने के धाकड़ पुलिस अधिकारी रहे पीके मिश्रा ने कड़ियों को जोड़ा और चुटकियों में केस साल्व कर दिया।
छानबीन में पता चला कि अविनाश की पत्नी के मौसेरे भाई सुमित कटियार ने ही उसकी हत्या कराई थी। हत्या के लिए सुमित ने तीन लाख की सुपारी भी दी थी। वारदात का खुलासा बीती 9 फरवरी को एसटीएफ की टीम ने सुमित कटियार समेत चार को गिरफ्तार कर किया था। उनके पास से एक कार, डेढ़ लाख रुपए, तीन एटीएम कार्ड, सात मोबाइल, सिमकार्ड, दो आधार कार्ड के अलावा एक बाइक भी बरामद की गई।
रिटायरमेंट के बाद भी अपने फर्ज को प्राथमिकता देने वाले पीके मिश्रा को लखनऊ के कमिश्नर डीके ठाकुर ने प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया है।
टीम स्टेट टुडे
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