सूर्यवंशी के दिव्य-भव्य मंदिर के निमित्त असंख्य दीपों नें स्वयं को प्रभु चरणों में समर्पित किया है। ऐसे ही एक दीप थे, पंडित जगदीश नारायण मिश्र। श्री राम मंदिर आंदोलन के दौरान लखनऊ महानगर में स्वर्गीय मिश्र ने भी अलख जगाए रखने में अपना योगदान किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निष्ठावान स्वयंसेवक होने के साथ ही शिक्षक व पत्रकार जगदीश जी इस आंदोलन के दौरान, 80 के दशक में लखनऊ में मीडिया समन्वय का दायित्व संभाल रहे थे। जिस तरह से मंदिर आंदोलन व्यापक रूप लेता जा रहा था, उस समय उसका पत्र-पत्रिकाओं के माध्यम से लोगों तक सकारात्मक रूप में पहुंचना बेहद जरूरी था। तत्कालीन सरकार इस आंदोलन की सहयोगी ना थी। उस समय आंदोलन से जुड़ी खबरों का सही रूप से प्रकाशित होना, एक बड़ी चुनौती थी। सरकार अपने अनुसार खबरों का प्रकाशन करने का दबाव प्रकाशकों पर बना रही थी, ऐसी स्थिति में मीडिया से समन्वय बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य था।
संघ के वरिष्ठ प्रचारक स्वर्गीय वीरेश्वर द्विवेदी जी के मार्गदर्शन और वरिष्ठ पत्रकार स्वर्गीय पी.के. राय जी व अन्य के सहयोग से जगदीश जी ने लखनऊ महानगर में आंदोलन को जन-जन तक पहुंचाने में अहम योगदान किया।
कई विद्यालयों के प्रबंधक होने के नाते स्वर्गीय मिश्रा जी को सभी आचार्य जी के नाम से संबोधित करते थे। उनके इस विराट सामाजिक संपर्क का लाभ आंदोलन के दौरान भी देखने को मिला। कारसेवकों के ठहरने के लिए विद्यालयों में व्यवस्था करना हो या उनके भोजन आदि की व्यवस्था करना, जगदीश जी बेहद विनम्रता और आत्मीय भाव के साथ किया करते। आंदोलन से जुड़ी बैठकों के लिए स्थान आदि में सहयोग भी महत्वपूर्ण काम था।
30 अक्टूबर 1990 की कारसेवा से पूर्व सरकारी दबाव में पुलिस आंदोलन से जुड़े लोगों को गिरफ्तार या नजर बंद कर रही थी, ऐसे में कार्यकर्ताओं के परिवारों की चिंता करना और पुलिस से रक्षा करने में जगदीश जी नें बड़ी भूमिका निभाई।
बड़े लोगों को भविष्य नज़र आता है, उस दौर में जगदीश जी हमेशा कहा करते, यह आंदोलन अवश्य सफल होगा और हम प्रभु श्री राम का भव्य मंदिर अयोध्या में बनते देखेंगे। वह शरीर रूप से तो आज हम लोगों के बीच नहीं हैं,पर सूक्ष्म रूप में वह इस अवसर के साक्षी हो अवश्य भाव विभोर हुए होंगे।
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