पीलीभीत, 20 नवंबर 2022: स्वामी दिव्यानंद महाराज (ब्रह्मलीन) के आध्यामिक उत्तराधिकारी देवेंद्र मोहन भैया के साथ साथ हजारों की संगत उस वक्त हैरान रह गई जब स्वामी दिव्यानंद जी महाराज द्वारा शामली में स्थापित संत कृपाल योग साधना आश्रम में दिव्यानंद स्पिरिचुअल फाउंडेशन के डायरेक्टर्स ने उनका सत्संग नहीं होने दिया।
शामली, स्वामी दिव्यानंद जी महाराज की जन्मस्थली है। शामली में शुगर मिल ग्राउंड के पास दयानंद नगर में संत कृपाल योग साधना आश्रम की स्थापना स्वयं स्वामी दिव्यानंद जी महाराज ने की थी। वर्ष 2001 में जब स्वामी जी ने भैया जी को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया उसके बाद कई बार इसी आश्रम में भैया जी के सत्संग हुए। अब इस आश्रम और आश्रम संपत्तियों पर दिव्यानंद स्पिरिचुअल फाउंडेशन के डायरेक्टर्स की नीयत खराब हो गई है। जिसके चलते आश्रम में भैया जी का सत्संग तक नहीं होने दिया गया। बावजूद इसके संगत के प्रति अथाह स्नेह रखने वाले देवेंद्र मोहन भैया जी ने सत्संगियों की भावनाओं का सर्वोपरि रखते हुए आश्रम से अलग स्थान का चयन कर अपना सत्संग दिया।
हजारों सत्संगियों के आत्मबल और मनोबल को बढ़ाते हुए देवेंद्र मोहन भैया ने शामली में ही सिटी ग्रीन बैंक्वेट हॉल, दिल्ली रोड का चयन कर अपना सत्संग दिया। भैया जी ने कहा कि जब एक बार मनुष्य गुरु की शरण में आ जाता है तो गुरु हमेशा सानिध्य बना कर रखता है। अक्सर लोग दुख तकलीफ, बुरे दौर या परेशानी में यह भूल जाते हैं कि जब गुरु ने उनकी जिम्मेदारी ले ली है तो उनका बेड़ा भव से पार होना निश्चित है। काल का चक्र कैसे भी घूमे गुरु के रहते भयभीत होने की जरुरत नहीं।
भैया जी ने कहा कि स्वामी दिव्यानंद जी महाराज कहते थे - मानव सेवा ही प्रभु भक्ति है। हर मनुष्य की आत्मा में परमात्मा का वास है। जिसे आत्मबोध का ज्ञान हो गया समझो वो परमात्मा से जुड़ गया। आत्मबोध, गुरु के द्वारा मिलने वाले ज्ञान से ही संभव है। आत्मा का परमात्मा से मिलन बिना गुरु के संभव नहीं। इसीलिए आध्यामिक गुरु की आवश्यकता होती है।
भक्तिभाव से भरे सत्संगियों के बीच स्वामी जी को याद करते हुए भैया जी ने कहा कि जब कोई इंसान गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है तो सांसारिक कर्मों में फंस जाता है। मन परेशान होता है। बनते काम भी बिगड़ने लगते हैं। ऐसी स्थिति में ध्यान योग साधना के जरिए एक गृहस्थ अपनी शक्तियों को सही दिशा में ला सकता है। परंतु आपके भीतर वो शक्तियां क्या हैं, आपको अपना मन कहां एकाग्र करना है ये ध्यान योग साधना गुरुकृपा से ही संभव है।
भैया जी ने कहा कि गुरु की शिक्षा से ही आत्मिक विकास होता है और हर मनुष्य के आत्मिक विकास से ही सामाजिक विकास भी सुनिश्चित होता है। इस पूरे कार्यक्रम की रुपरेखा तैयार करने और आयोजन को सफल बनाने में योगेश गोयल. धरमपाल गुप्ता, प्रेम सागर, महक सिंह, महेश भाई के साथ साथ शामली के सत्संग और अधिकारियों का बड़ा योगदान रहा। इस मौके पर डाक्टर सुधा गर्ग जयपुर से, गेंदन लाल वैश्य, बरेली से, बीआर चौहान जी कानपुर से और शामली के जिला प्रचारक दिव्यांशु जी की गरिमामयी उपस्थिति रही।
रिपोर्टर-रमेश कुमार
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