नई दिल्ली, 4 जुलाई 2022 : दिल्ली विधानसभा का सत्र शुरू हो चुका है। इस सत्र में कुछ खास मुद्दों के साथ एक बड़ा मुद्दा विधायकों की सैलरी को बढ़ाने का भी है। पिछले काफी समय से दिल्ली सरकार इसको लेकर कोशिश कर रही है लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है। इस बार दिल्ली सरकार को फिर उम्मीद है कि सरकार के इस मसौदे पर उपराज्यपाल की अंतिम मंजूरी मिल जाएगी। यदि ऐसा हुआ विधायकों का वेतन 90000 तक हो जाएगा। विधायकों का ये वेतन सुनने में काफी अधिक जरूर लगता है। लेकिन, देश के दूसरों राज्यों के निर्वाचित विधायकों के आगे ये वेतन कुछ भी नहीं है।
आपको जानकर ताज्जुब होगा कि तेलंगाना के आगे इस वेतन का कोई मोल नहीं है। यहां के विधायकों का वेतन ढाई लाख रुपये है। हैरान करने वाली एक बात ये भी है कि इस राज्य के गठन को महज आठ वर्ष ही हुए हैं। 29वें राज्य के तौर पर 2 जून 2014 को ये राज्य अस्तित्व में आया था। यहां पर विधानसभा की कुल 119 सीटें हैं, जबकि विधानपरिषद की 40 सीटें हैं। वर्ष 2016 में यहां के विधायकों के वेतन में डेढ़ सौ फीसद से अधिक की तेजी की गई थी।
विधायकों के वेतन के मामले में दूसरे नंबर पर उत्तराखंड का आता है। यहां पर विधायकों को मिलने वाले कुल भत्तों के साथ उनका वेतन 1.98 लाख तक होता है। इसके बाद हिमाचल प्रदेश का आता है, जहां पर विधायकों को मिलने वाला वेतन 1.90 लाख है। इसमें इन्हें मिलने वाले विभिन्न भत्ते भी शामिल हैं। ऐसे ही हरियाणा में निर्वाचित विधायकों का वेतन 1.55 लाख रुपये तक है। राजस्थान की बात करें तो यहां पर निर्वाचित विधायकों का वेतन 1.42 लाख तक है। ऐसे ही बिहार में विधायकों का वेतन 1.30 लाख है। आंध्र प्रदेश में विधायकों का वेतन सवा लाख रुपये तक है।
पीएम नरेन्द्र मोदी के गृह राज्य गुजरात में विधायकों का वेतन 1.05 लाख है। देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में विधायकों का वेतन 95 हजार रुपये है। ये आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं कि पुराने और बड़े राज्यों में विधायकों का वेतन छोटे और नए बने राज्यों की तुलना में कम है। ये अपने आप में काफी दिलचस्प है।
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