सरयू। जो सप्तपुरियोंं (मथुरा, हरिद्वार, काशी, कांची, उज्ज्यनी और द्वारका) में श्रेष्ठतम अयोध्या के वैभव और उस रामराज्य जिसे आज भी आदर्शतम माना जाता है, उसकी युगों-युगों से गवाह रही है। जो अयोध्या के ध्वंस, उदासी और उपेक्षा की भी साक्षी रही है। जिस सरयू की महिमा का बखान करते हुए वेद पुराण कहते हैं, "दरस परस मज्जन अरु पाना। हरइ पाप कह बेद पुराना। नदी पुनीत अमित महिमा अति। कहि न सकइ सारदा बिमल मति।" वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुआई में अपने अयोध्या में जारी कल्पनातीत बदलाव को प्रफुल्लित किंतु शांत होकर देख रही है।
संकल्प को सिद्धि तक पहुंचाने वालों को आशीष
देश की पंचनदियों में शुमार सरयू की कल-कल बहती धारा मानों कह रही हो, मोदी हैं तो मुमकिन है और योगी हैं तो यकीन है। 500 वर्षों के संघर्ष और बलिदान के बाद संकल्प से सिद्धि तक की इस यात्रा को इस मुकाम तक पहुंचाने वालों को आशीष दे रही है। उनके प्रति श्रद्धा जता रही है। खासतौर से एक सदी तक मंदिर आंदोलन में केंद्रीय भूमिका निभाने वाले गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ, महंत अवेद्यनाथ, मौजूदा पीठाधीश्वर और सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राम मंदिर के लिए हर समय कुछ भी करने को तत्पर ब्रह्मलीन महंत रामचन्द्रदास परमहंस, महंत अभिराम दास, देवरहा बाबा, स्वामी करपात्री महाराज, बलरापुर स्टेट के महाराज पाटेश्वरी सिंह, मोरोपंत पिंगले, विशाल हिंदू एकता के पैरोकार और विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष रहे स्वर्गीयअशोक सिंघल, पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह, मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री सुश्री उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, 1949 में अयोध्या में रामलला के प्रकटीकरण के समय वहां के जिलाधिकारी रहे केके नायर, सिटी मजिस्ट्रेट रहे गुरुदत्त सिंह, कन्हैया लाल माणिक मुंशी, गोरखपुर स्थित गीता प्रेस को नई ऊंचाई देने वाले हनुमान प्रसाद पोद्दार (भाईजी), नानाजी देशमुख, बाबा राघवदास, विष्णु हरि डालमिया, दाऊ दयाल खन्ना, इलाहाबाद हाईकोर्ट के सेवानिवृत न्यायाधीश देवकी नंदन अग्रवाल, गोपाल सिंह विशारद, एचवी शेषाद्रि, केएस सुदर्शन, स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती, स्वामी वामदेव, श्रीश चंद दीक्षित, कोठरी बंधु सहित तमाम कार सेवकों के प्रति जिन्होंने रामकाज के लिए खुद का बलिदान दे दिया। उनको भी जिन्होंने इसके लिए तमाम कष्ट सहे, जेल गए। इस भावोक्ति के साथ सरयू मानों यह भी कह रही है, "संभव है कि मैं राम मंदिर आंदोलन में शामिल कई लोगों के नाम भूल रही हूं। क्या करूं। पिछले कुछ वर्षों में अयोध्या में जो रहा है उसके नाते मैं इतनी खुश हूं कि सबकुछ और सबके योगदान को याद रखना फिलहाल अभी संभव नहीं। उम्मीद है कि इस ऐतिहासिक अवसर और सांस्कृतिक पुनरुथान की खुशी के इस क्षण में वे मुझे माफ कर देंगे। माफ करना तो हमारे भारत का चरित्र रहा है।"
अपने राम के सम्मान में मंदिर के विरोधियों से भी शिकायत नहीं
साथ ही अपने राम के उद्दात चरित्र के अनुसार सरयू उनको माफी भी दे रही है, जो उसकी अयोध्या की उदासी और उपेक्षा के लिए जवाबदेह रहे हैं। उसकी माफी की लिस्ट में मुगल आक्रांता जहीरूद्दीन मुहम्मद बाबर, मीर बाकी, बाबर का वह सिपाहसालार जिसने 1528 से 1529 के दौरान रामलला की जन्मभूमि पर बाबरी मस्जिद तामीर करवाई थी। देश के उन सभी अल्पसंख्यकों को जिन्होंने बाबर और मीर बाकी से दूर-दूर तक कोई संबंध न होने के बावजूद कुछ लोगों के बहकावे और उनके राजनीतिक लाभ के लिए समय-समय पर अयोध्या में जन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण को लेकर बहुसंख्यक समाज का विरोध किया।
ऐसा करके सरयू मानों कह रही है, "मेरे राम ने तो मां सीता का हरण करने वाले अत्याचारी रावण सहित, मारीच, सुबाहु, ताड़का, कुंभकरण, मेघनाद, खर दूषण, त्रिशला, जैसे अन्य ऐसे तमाम दुराचारियों का वध करने के बाद उनको न केवल माफ किया बल्कि उनको सद्गति भी दी। इसीलिए वे अमर हो गए। देश दुनियां में सर्वस्वीकार्य हो गए। गोस्वामी तुलसीदास के रामचरित मानस की ये पंक्तियां (हरि अनंत, हरि कथा अनंता) इसकी गवाह हैं।" सरयू का यह मनोभाव बेहद प्रचलित इस लोकोक्ति के अनुरूप है, "अंत भला तो सब भला।"
सरयू को भी है प्राणप्रतिष्ठा की एतिहासिक घड़ी का इंतजार
फिलहाल सरयू को रामलला के प्राण प्रतिष्ठा के ऐतिहासिक दिन 22 जनवरी की शिद्दत से प्रतीक्षा है। उस दिन के सारे उछाह, उमंग का गवाह बनने के साथ वह उनको आंचल में समेट लेना चाहती है ताकि उसके जरिए अयोध्या का यह बदलाव युगों-युगों तक के लिए अमर हो जाय।
रामोत्सव 2024 -राममय माहौल में मां सरयू तीरे मकर संक्रांति पर राम नाम संग लगी आस्था की डुबकी
-श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के पहले प्रदेश भर से आए लाखों श्रद्धालुओं ने किया सरयू स्नान
-अलग ही अनुभूति से परिपूर्ण रहा मकर संक्रांति का यह स्नान, सीएम योगी के निर्देश पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर मुस्तैद रही अयोध्या पुलिस
-एक सप्ताह बाद श्रीरामलला अपने मंदिर में होंगे विराजमान, जयश्रीराम की जयकार से गूंज उठी रामनगरी
-राम मंदिर निर्माण की एक झलक पाने को उत्सुक रहीं आंखें
अयोध्या, 15 जनवरीः आनंद, उमंग और उल्लास संग जेहन में इस बार अलग ही अनुभूति लेकर प्रदेश के कई जनपदों से आए लाखों श्रद्धालुओं ने मां सरयू की जयघोष संग आस्था की डुबकी लगाई। राममय हो चुके माहौल में इस बार मकर संक्रांति का यह स्नान इसलिए भी महत्वपूर्ण हो गया, क्योंकि 140 करोड़ भारतीयों की आस्था के केंद्र श्रीरामलला महज सात दिन बाद अपने दिव्य-भव्य मंदिर में विराजमान होंगे। उत्तर प्रदेश के विकास के नायक योगी आदित्यनाथ की आकांक्षा के अनुरूप सज रही अयोध्या में मां सरयू के तट पर डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालुओं ने हनुमानगढ़ी, रामलला, नागेश्वर नाथ, चंद्रहरि मंदिर, सरयू मंदिर आदि में दर्शन-पूजन भी किए। बाहर से आए श्रद्धालुओं ने गौरव जताते हुए कहा कि हम उस पीढ़ी के हैं, जिसे मोदी-योगी की बदौलत श्रीराम के अपने दिव्य-भव्य मंदिर में विराजमान होने का पल देखने का अवसर प्राप्त होगा। वहीं सुरक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त रखने का काफी पहले से निर्देश दे रहे सीएम योगी आदित्यनाथ की मंशा के अनुरूप इसकी काफी समुचित व्यवस्था की गई थी।
मकर संक्रांति पर लाखों श्रद्धालुओं ने किया सरयू स्नान
अयोध्या तीरे मां सरयू की लहरों में पुण्य की डुबकी लगाने का उत्साह देखते ही बना। संतों की टोलियां भजन-कीर्तन करते हुए निकलीं तो श्रद्धालु जयश्रीराम व मां सरयू के जयकारे लगाते हुए पहुंच रहे थे। मकर संक्रांति को लेकर दूसरे जनपदों व राज्यों से भी श्रद्धालुओं ने रविवार भोर से ही डुबकी लगानी शुरू कर दी। भोर से ही आस्था पथ पर भक्ति की लहरें हिलारें मारने लगीं, जो देर शाम तक चलती रहीं।
राम मंदिर निर्माण की एक झलक पाने को उत्सुक दिखीं निगाहें
श्रद्धालुओं ने भोर से ही सरयू घाट, राम की पैड़ी आदि स्थानों पर स्नान किया गया। राममय हो चुके माहौल में यह स्नान काफी महत्वपूर्ण रहा। रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के पहले मकर संक्रांति का स्नान भी काफी कौतूहल भरा रहा। कौतूहल इसलिए, क्योंकि स्नान के उपरांत श्रद्धालु निर्मित हो रहे राममंदिर की एक झलक पाने को बेताब लोग वहां पहुंचे। स्नान के उपरांत श्रद्धालु श्रीराम मंदिर के आसपास भी पहुंचे और निर्माण को देख प्रफुल्लित हो उठे।
चुस्त-दुरुस्त रही सुरक्षा व्यवस्था
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अयोध्या में प्राण-प्रतिष्ठा के पहले मकर संक्रांति स्नान पर सुरक्षा व्यवस्था काफी चुस्त-दुरुस्त रही। पुलिस महानिरीक्षक अयोध्या रेंज प्रवीण कुमार ने बताया मकर संक्रांति पर सुबह से ही श्रद्धालु स्नान व दर्शन-पूजन कर रहे हैं। जल पुलिस, एसडीआरएफ के लोग भी मुश्तैदी से तैनात रहे। पुलिस की टीमें स्नान के दृष्टिगत भी नियमित निरीक्षण करती रही। मकर संक्रांति का स्नान कुशलता पूर्वक संपन्न हो गया।
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