कोरोना संक्रमण के इस दौर में बीते एक महीने में अचानक बहुत कुछ ध्वस्त हो गया। कहां तो जनवरी-फरवरी में लोग बच्चों को स्कूल भेज रहे थे। उनकी कापी-किताब, ड्रेस खरीद रहे थे। स्कूल में भी 2020 के लॉकडाउन के बाद 2021 में बच्चों का स्वागत ढोल नगाड़ों से हो रहा था। बच्चे भी खुश थे स्कूल पहुंच कर। जिन स्कूलों में नए सेशन की फीस बढ़ी तो वो भी अभिभावकों ने दबे मन से ही सही लेकिन स्वीकार की। अचानक 2021 के मार्च मध्य में कोरोना की दूसरी लहर उठी और एक तरह से तबाही मचाती चली गई। ऐसे में एक बार फिर बच्चों की पढ़ाई , स्कूल की फीस और घटती कमाई के बीच रस्साकशी शुरु हो गई है।
स्कूल लंबे समय से बंद है और पढ़ाई और फीस को लेकर अभिभावक परेशान हैं। स्कूलों के अपने तर्क हैं फीस को लेकर कई जगहों पर स्कूलों की ओर से ही राहत दी गई। पिछले साल कई राज्यों में फीस का मामला कोर्ट में पहुंचा। अलग - अलग राज्य सरकारों की ओर से फीस को लेकर आदेश दिए गए जिसको लेकर कहीं स्कूल प्रशासन तो कहीं अभिभाभवक ही कोर्ट पहुंचे। फीस का मामला देश की सर्वोच्च अदालत में पहुंच गया और अब इस पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश भी जारी कर दिए हैं।
कोरोना की पहली लहर में साल भर स्कूल बंद रहने के बाद मार्च में एक फिर खुले ही थे कि बंद करना पड़ा। कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद स्कूलों को फिर बंद करना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार राजस्थान के शैक्षणिक सत्र 2020-21 स्कूल फीस के मसले पर सुनवाई हुई स्कूल प्रशासन और अभिभावकों को कोर्ट की ओर से कई निर्देश दिए गए। फीस को लेकर सुप्रीम कोर्ट की ओर से जो प्रमुख बातें कही गई उसमें -
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के 36,000 गैर सहायता प्राप्त निजी स्कूलों को सोमवार को निर्देश दिया कि वे शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए छात्रों से सालाना 15 प्रतिशत कम फीस वसूल करें।
फीस का भुगतान न होने पर किसी भी छात्र को वर्चुअल या भौतिक रूप से कक्षा में शामिल होने से न रोका जाए और न ही उनका परिणाम रोका जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा जिसमें राजस्थान विद्यालय शुल्क नियमन कानून 2016 और स्कूलों में फीस तय करने से संबंधित कानून के तहत बनाए गए नियम की वैधता को दी गई चुनौती को खारिज कर दिया गया था।
शैक्षणिक सत्र 2020-21 के लिए छात्रों या अभिभावकों द्वारा शुल्क का भुगतान छह बराबर किस्तों में किया जाएगा।
महामारी की वजह से लागू पूर्ण लॉकडाउन की वजह से एक अभूतपूर्व स्थिति उत्पन्न हो गई है। इसका व्यक्तियों, उद्यमों, उपक्रमों और राष्ट्र पर गंभीर असर पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि स्कूल अपने छात्रों को और छूट देना चाहें तो दे सकते हैं।
राजस्थान हाई कोर्ट ने हाल ही में फैसला दिया था कि निजी स्कूल ट्यूशन फीस 70 फीसदी ही लें। हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ निजी स्कूल सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे और पूरी फीस लिए जाने की अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट की ओर से राजस्थान हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगा दी गई है साथ कोर्ट ने पैरेंट्स की याचिकाओं को भी खारिज कर दिया है।
आपको बताते चलें की ये मामला भले राजस्थान की तरफ से सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हो लेकिन जब सुप्रीम कोर्ट कोई फैसला देता है तो अदालती प्रक्रिया में किसी भी राज्य के लिए वो मुकदमें की स्थिति में बड़ी दलील के काम आता है। चूंकि शिक्षा का विषय राज्य सरकार के अन्तर्गत आता है इसलिए अलग अलग राज्यों में थोड़ा बहुत फेरबदल हो सकता है लेकिन सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला अन्य मामलों में नजीर के रुप में देखा जाएगा।
टीम स्टेट टुडे
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