4 दिसंबर 2021 दिन शनिवार को वर्ष का अंतिम सूर्य ग्रहण पड़ने जा रहा है। जो कि भारत वर्ष में नहीं दिखाई देगा इस कारण भारत में सूतक भी नहीं लगेगा और मंदिर के कपाट भी बंद नहीं होंगे पूजा पाठ यथावत ही चलेगा।
सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में होगा इस ग्रहण में सूर्य का संयोग केतु से बनने जा रहा है साथ ही इस ग्रहण में चंद्रमा और बुध का योग भी होगा सूर्य और केतु का प्रभाव होने से दुर्घटनाएं होने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं इस सूर्य ग्रहण से राजनीतिक उथल-पुथल भी आप लोगों को देखने को मिल सकती हैं। इसके अतिरिक्त आकस्मिक दुर्घटनाएं, बीमारियां होने की (कोरोना का भय भी लोगों के मन में अधिक बढ़ेगा जबकि मृत्यु दर कम रहेगा) संभावनाएं भी बढ़ जाती हैं। जिन जातकों की कुंडली में सूर्य+राहु की युति हो या सूर्य+केतु की युति हो उन्हें विशेष सावधान रहने की आवश्यकता है।
ग्रहण काल
आंशिक सूर्य ग्रहण का समय रहेगा प्रातः 10: 59 से 3:07 तक।
पूर्ण सूर्य ग्रहण का समय रहेगा दोपहर 12:03 से 1:03 तक।
उपाय
सर्वप्रथम तो आपको यह बताते चलें कि भारत में सूर्य ग्रहण नहीं लगने के बाद भी सभी राशियों पर इसके अच्छे और बुरे प्रभाव आपको देखने को मिलेंगे।
1– मिथुन राशि, सिंह राशि, कन्या राशि, और मकर राशि, के जातकों के लिए सूर्य ग्रहण अच्छे परिणाम देने वाला रहेगा।
2– मेष राशि, कर्क राशि, तुला राशि,वृश्चिक राशि, धनु राशि व मीन राशि के लिए यह ग्रहण अशुभ है अतः सावधानी बरतें।
3– वृषभ कुंभ राशि के जातकों के लिए सामान्य फल कारक रहेगा।
ग्रहण काल में गर्भवती महिलाएं विशेष सावधानियां बरतें।
4–ग्रहण प्रारंभ होने से पूर्व ही भोजन कर ले ग्रहण प्रारंभ होने के उपरांत किसी धारदार हथियार का प्रयोग ना करें, सुई का प्रयोग ना करें, धार्मिक पुस्तकों का अध्ययन करें, श्रीमद भगवत गीता का पाठ करें।
ग्रहण काल में बाहर ना निकले। ग्रहण काल में सीधे बैठे या सीधे लेट सकते हैं निद्रा ना लें, ग्रहण समाप्त होने के उपरांत स्नान आदि करने के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
5– जिन जातकों की कुंडली में सूर्य ग्रहण है (सूर्य+राहु, सूर्य+केतु) उन सभी को सूर्य ग्रहण के दौरान आदित्य ह्रदय स्त्रोत का पाठ करना चाहिए वह सूर्य के निमित्त दान करना चाहिए।
6– जिन जातकों की कुंडली में पितृ दोष है उन सभी को पितरों के निमित्त कच्चा या पका हुआ भोजन जरूरतमंद या पुरोहित को दान करना शुभ फल कारक रहेगा।
लेख- ज्योतिषाचार्य मंजू जोशी
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