लखनऊ, 24 फरवरी 2023 : समाजवादी पार्टी ने वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जातीय जनगणना पर फोकस बढ़ाया है। इस मुद्दे के जरिए सपा पिछड़ी जातियों की गोलबंदी में जुट गई है। विधानसभा में भी गुरुवार को जातीय जनगणना कराने की मांग को लेकर सपा ने पहले हंगामा व नारेबाजी की फिर अखिलेश ने राज्यपाल के अभिभाषण में इस मुद्दे को उठाकर अपनी मंशा साफ कर दी है।
सपा शुक्रवार से जातीय जनगणना कराने की मांग को लेकर जिलेवार संगोष्ठी भी करने जा रही है।दरअसल, जातीय जनगणना के समर्थन और विरोध के पीछे सारा खेल राजनीति से जुड़ा है। जातीय जनगणना के समर्थन के पीछे पिछड़ी जातियों के वोट बैंक का है, जिनकी आबादी करीब 50 प्रतिशत से ज्यादा बताई जाती है। विरोध के पीछे उच्च जातियों का दबाव है। अभी पिछड़ी जातियों को 27 प्रतिशत आरक्षण मिलता है, जबकि पिछड़ी जातियों का कहना कि उनकी आबादी ज्यादा है इसलिए उन्हें इसी अनुपात में आरक्षण दिया जाए।
जातीय जनगणना से यह भी फायदा होगा कि ओबीसी की जिस जाति के जितनी संख्या होगी उसी के अनुपात में उसे आरक्षण का लाभ मिल जाएगा। बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने स्तर से ही बिहार में जातीय जनगणना करानी शुरू कर दी है। अब उत्तर प्रदेश में पिछड़ी जातियों की राजनीति करने वाली सपा के मुखिया अखिलेश यादव भी इस मुद्दे को धार देने में लगे हुए हैं। उन्होंने गुरुवार को सदन में भी भाजपा के सहयोगी दलों अपना दल सोनेलाल व निषाद पार्टी से भी इस मुद्दे पर समर्थन मांग लिया।
अखिलेश यह जानते हैं कि पिछड़ी जातियों की राजनीति करने वाले दल इस मुद्दे का विरोध नहीं कर पाएंगे। सुभासपा भी इस मुद्दे पर उनके पाले में खड़ी हो जाएगी। अखिलेश यह भी जानते हैं कि प्रदेश में भाजपा को हराने के लिए उन्हें वोट प्रतिशत और बढ़ाना होगा। वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा ने अब तक का सबसे अच्छा प्रदर्शन करते हुए सर्वाधिक 32 प्रतिशत वोट प्राप्त किए थे। इसलिए सपा की नजर अब उन पिछड़ी जातियों की ओर है जो उससे अभी दूर हैं। सपा जातीय जनगणना के मुद्दे पर ऐसी जातियों को गोलबंद करने में लगी हुई है।
वहीं, अखिलेश ने इस मुद्दे पर माहौल बनाने का जिम्मा समाजवादी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष राजपाल कश्यप को सौंप दिया है। प्रत्येक जिलों में ब्लाक स्तर पर संगोष्ठी होगी। इसकी शुरुआत शुक्रवार को प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से होगी। 25 फरवरी को भी वाराणसी में संगोष्ठी होगी। इसके बाद 26 व 27 फरवरी को सोनभद्र, 28 फरवरी व एक मार्च को मीरजापुर, दो व तीन मार्च को भदोही में संगोष्ठियां होंगी। चार व पांच मार्च को प्रयागराज में इस कार्यक्रम के पहले चरण का समापन होगा।
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