लखनऊ, 26 अप्रैल 2022 : अक्षय तृतीय को परशुराम जयंती भी मनाई जाती है। जयंती के दिन मान्यता है कि इस दिन जो भी कार्य किया जाता है। उसका क्षय नहीं होता है। इस दिन शादी विवाह के साथ ही लोग स्वर्ण आभूषणों की खरीदारी करते हैं। इस बार अक्षय तृतीय तीन मई को है। तीन दशक बाद रोहिणी और शोभन योग के चलते यह तृतीय खास होगी। मंगलवार का दिन होने से मंगलकारी होगा।
आचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि बैसाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया अक्षय तृतीया होती है। यह तिथि तीन मई को है। इस दिन रोहिणी नक्षत्र और शोभन योग पूरे दिन भर रहेगा । तृतीया तिथि सूर्योदय के दो घंटे पहले ही लग जाएगी और देर रात्रि तक रहेगी। अक्षय तृतीया को किया हुआ पुण्य अक्षय होता है औरउसका कभी क्षय या नाश नहीं होता है ।
करें भगवान विष्णु की पूजाः आचार्य एसएस नागपाल ने बताया कि इस दिन भागवान विष्णु और मां लक्ष्मी की षोडशोपचार पूजन करें । भगवान विष्णु के नाम जपने से उनकी विशेष कृपा मिलेगी। तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, गुड़, चांदी, नमक, शहद, जल भरा कलश, खड़ाऊं, छाता, सत्तू, ककड़ी , ख़रबूज़ा ब्राह्मणों को दान करना चाहिए। तीन मई को सुबह 5:18 बजे तृतीया का मान शुरू होगा और चार मई को सुबह 7:32 बजे तक रहेगा। इसी दिन परशुराम का जन्म हुआ था तो उनकी पूजा भी करनी चाहिए।
युगादि तिथि है तृतीयाः आचार्य आनंद दुबे ने बताया कि इस दिन को युगादि तृतीय भी कहते हैं। इस तृतीया का विष्णु धर्म सूत्र, भविष्य पुराण, नारद पुराण और मत्स्य पुराण में जिक्र मिलता है। इस बार रोहिणी नक्षत्र सूर्यादय से शुरू होकर रात्रि 2:35 बजे तक रहेगा।
यहां भी होंगे आयोजनः अक्षय तृतीय के दिन ब्राह्मण समाज की ओर से विविध आयोजन होंगे। ब्राह्ममण परिवार के अध्यक्ष शिव शंकर अवस्थी ने बताया कि उत्तम लान में सुबह परशुराम के चित्र पर माल्यार्पण किया जाएगा। भंडारे के साथ समापन होगा। खदरा के शिव मंदिर पार्क में ओम ब्राह्मण महासभा के संस्थापक धनंजय द्विवेदी के सानिध्य में आयोजन होगा।
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