भैया जी ने कहा कि जब एक बार मनुष्य गुरु की शरण में आ जाता है तो गुरु हमेशा सानिध्य बना कर रखता है। अक्सर लोग दुख तकलीफ, बुरे दौर या परेशानी में यह भूल जाते हैं कि जब गुरु ने उनकी जिम्मेदारी ले ली है तो उनका बेड़ा भव से पार होना निश्चित है। काल का चक्र कैसे भी घूमे गुरु के रहते भयभीत होने की जरुरत नहीं।
भैया जी ने कहा कि स्वामी दिव्यानंद जी महाराज कहते थे - मानव सेवा ही प्रभु भक्ति है। हर मनुष्य की आत्मा में परमात्मा का वास है। जिसे आत्मबोध का ज्ञान हो गया समझो वो परमात्मा से जुड़ गया। आत्मबोध, गुरु के द्वारा मिलने वाले ज्ञान से ही संभव है। आत्मा का परमात्मा से मिलन बिना गुरु के संभव नहीं। इसीलिए आध्यामिक गुरु की आवश्यकता होती है।
भक्तिभाव से भरे सत्संगियों के बीच स्वामी जी को याद करते हुए भैया जी ने कहा कि जब कोई इंसान गृहस्थ जीवन में प्रवेश करता है तो सांसारिक कर्मों में फंस जाता है। मन परेशान होता है। बनते काम भी बिगड़ने लगते हैं। ऐसी स्थिति में ध्यान योग साधना के जरिए एक गृहस्थ अपनी शक्तियों को सही दिशा में ला सकता है। परंतु आपके भीतर वो शक्तियां क्या हैं, आपको अपना मन कहां एकाग्र करना है ये ध्यान योग साधना गुरुकृपा से ही संभव है।
भैया जी ने कहा कि गुरु की शिक्षा से ही आत्मिक विकास होता है और हर मनुष्य के आत्मिक विकास से ही सामाजिक विकास भी सुनिश्चित होता है।
इस पूरे कार्यक्रम को भैयाजी के जन्म दिवस भंडारा के रूप में मनाया गया और इसकी पूरी रुपरेखा तैयार करने और आयोजन को सफल बनाने में अनिल कुमार वर्मा जी और पूर्णेंद्र वर्मा जी और पूरे हरदोई जिला की साध संगत और अधिकारियों का बड़ा योगदान रहा।
टीम स्टेट टुडे
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