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लखनऊ में अलकायदा के आतंकवादी गिरफ्तार किए हैं। आतंकियों की गिरफ्तारी से बहुत बड़ी साजिश अंजाम तक पहुंचने से पहले नेस्तानाबूद हो गई।
इन आतंकियों की प्लानिंग इतनी खतरनाक थी कि अगले तीन दिन में एक सांसद को बम से उड़ाने की साजिश थी। प्रदेश के कई जिलों में सीरियल ब्लास्ट की योजना थी। ये सब कुछ 15 अगस्त से पहले अंजाम देने की योजना थी। एटीएस ने गिरफ्तार आतंकियों के पास से भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद किया है।
यूपी के एडीजी प्रशांत कुमार ने बताया कि लखनऊ में एटीएस की कार्रवाई में गिरफ्तार किए गए दोनों आतंकवादी अलकायदा समर्थित गजवातुल हिंद संगठन से जुड़े हुए थे। यह संगठन उमर नामक एक व्यक्ति द्वारा संचालित किया जा रहा था।
गिरफ्तार आतंकियों के नाम मिनहाज अहमद और मशीरुद्दीन उर्फ मुशीर इस संगठन के सदस्य हैं।
एडीजी प्रशांत कुमार के मुताबिक एटीएस ने बेहद गोपनीय तरीके से पूरी योजना को अंजाम तक पहुंचाया। एटीएस की एक टीम ने मिनहाज के घर पर धावा बोला जहां से पिस्टल और आईईडी बरामद हुई। आईईडी को बीडीडीएस की मदद से निष्क्रिय किया गया है।
दूसरी टीम ने मशीरुद्दीन के लखनऊ के घर पर दबिश दी। यहां भी भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद हुआ।
एटीएस की पूछताछ में अब तक जो सामने आया है उसके मुताबिक इनके और भी साथी हैं जिनकी तलाश में अब अलग अलग स्थानों पर दबिश दी जा रही है।
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क्या थी आतंकियों की प्लानिंग
एडीजी ने बताया कि आतंकी मिनहाज अहमद और मसरुद्दीन ने 15 अगस्त से पहले लखनऊ सहित उत्तर प्रदेश के आधा दर्जन शहरों को दहलाने की साजिश रची थी।
आतंकियों ने लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, आगरा, मेरठ, बरेली व अयोध्या को दहलाने की योजना बना ली थी। यह लोग मानव बम बनकर ब्लास्ट करने की तैयारी में थे।
आतंकियों की हिट लिस्ट पर भारतीय जनता पार्टी के कुछ बड़े नेता भी थे। बीजेपी के स्थानीय सांसद को तीन दिन के अंदर ही उड़ाने की योजना थी। इस काम में उनके कब्जे से बरामद दो प्रेशर कुकर बमों का प्रयोग होना था।
इन दोनों का हैंडलर पाकिस्तान के पेशावर में बैठा अल-जैदी है। लखनऊ और कानपुर के लोग भी इन आतंकियों के मददगार हैं। इनके तार पाकिस्तान से जुड़े हैं। यह दोनों धमाके के लिए विस्फोटक जमा कर रहे थे।
इनके पास से दो प्रेशर कुकर बम के साथ एक अर्धनिर्मित टाइम बम, असलहे और विस्फोटक सामग्री मिली है।
आतंकी मिनहाज के घर से गाड़ी बरामद हुई है। घर से बाहर से UP32-FJ 7244 नंबर की गाड़ी मिली है। गाड़ी पर इंटीग्रल यूनिवर्सिटी का पास लगा है। गाड़ी मिनहाज के पिता सिराज से नाम से है।
एटीएस के आइजी डॉ. जीके गोस्वामी ने बताया कि ये आतंकी पहले स्लीपर सेल में थे, बीते कई दिनों से कश्मीर में एक्टिव होने के बाद लखनऊ पहुंचे थे।
सीरियल ब्लास्ट का प्लान पाकिस्तान के हैंडलर ने बनाया था जबकि इसको अंजाम देने के तरीके पर अफगानिस्तान में शोध किया गया।
अल कायदा के सरगना अल जवाहिरी ने भारत, पाकिस्तान, म्यांमार और अफगानिस्तान के लिए अल कायदा इन इंडियन सबकांटिनेंट की स्थापना की थी।
इस संगठन के कई आतंकी हाल के वर्षों में गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
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कैसे पकड़े गए आतंकी
एटीएस ने बेहद गोपनीय तरीके से लखनऊ में दो टीमें बनाकर आतंकियों के ठिकानों की घेराबंदी की।
ऑपरेशन को अंजाम देने से पहले आसपास के मकानों को खाली कराया।
तीन घरों में छापेमारी कर आतंकियों को धर दबोचा गया।
लखनऊ के काकोरी थाना क्षेत्र के दुबग्गा इलाके में एटीएस पांच घंटे सर्च ऑपरेशन चलाया। इसमें एटीएस कमांडो भी शामिल थे।
पक्के इनपुट के आधार पर एटीएस ने एक मकान में बने गैराज को चारों तरफ से घेर लिया।यहीं अलकायदा के आतंकियों के छिपे होने का इनपुट मिला था। एटीएस की कार्रवाई में दो आतंकी पकड़े गए।
जिस आतंकी को एटीएस ने पकड़ा है वो करीब एक दशक पहले सऊदी अरब से लौटा था। स्लीपर सेल के रुप में वो बहुत खामोशी से मोटर गैराज चलाता रहा और जब पाकिस्तान में बैठे उसके हैंडलर ने उसे आदेश दिया तो वो एक्टिव हो गया। पकड़ा गया दूसरी आतंकी बैट्री का काम करता है।
आपको बताते चलें कि इन आतंकियों के कई साथी अभी भी प्रदेश के अलग अलग इलाकों में स्लीपर सेल के रुप में मौजूद होने की संभावना है। कई जिलों में दबिश का काम जारी है। आने वाले दिनों में इस बात की संभावना बढ़ गई है कि आप के आस-पास जिसे आप अपना पड़ोसी समझते हों वो स्लीपर सेल का सदस्य निकले।
स्लीपर सेल के आतंकी आमतौर पर तब तक डिएक्टिव पड़े रहते हैं जब तक उनका हैंडलर उन्हें एक्टिव होने का प्लान ना दे। स्लीपर सेल के ऐसे सदस्य पूरी तरह ट्रेंड आतंकी होते हैं। ये बरसों बरस ऐसे जीवन चलाते हैं कि इन पर किसी को शक नहीं होता।
टीम स्टेट टुडे
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