google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0
top of page

‘ट्विटर’ कई देशों में रच रहा है षडयंत्र– ट्रंप को निपटाने के बाद खुली हिम्मत, नाइजीरिया ने लगाया बैन

Writer's picture: statetodaytvstatetodaytv


सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स दुनिया में वही उत्पात मचाने लगे जिसका डर था। आम जनता के बीच लोकप्रियता का फायदा उठाकर पहले खुद का अर्थतंत्र मजबूत किया। इसके बाद दुनिया के देशों के अर्थतंत्र और अब लोकतंत्र पर जनसमर्थन का भय दिखाकर सरकारों को हिलाने का प्रयास शुरु हो गया है।


ये कहना कदापि उचित नहीं है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक कंपनी के तौर पर निष्पक्ष काम कर रहे हैं। ट्विटर, फेसबुक, वाट्सएप, कू और ऐसे बहुत सारे सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स चलाने वाले दरअसल उद्योगपति हैं। ये ऐसे बिजनेजमैन हैं जो आम लोगों के बीच अपने उत्पाद को मुफ्त देकर उसके डेटा आधारित अरबों-खरबों के व्यवसाय कर रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं बड़ी संख्या में लोगों को संदेश आदान-प्रदान का चस्का लगाकर ये अब राजनीति में भी दखल देने लगे हैं।


निपटा दिया ट्रंप को


इसकी शुरुआत अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप को सत्ता से बेदखल करने के साथ हुई। जब तक ट्रंप और अमेरिकी प्रशासन कुछ समझ पाता तब तक वहां खेल खराब हो चुका था। इस प्रक्रिया में विपक्ष के साथ बड़ी डीलिंग हुई जिसकी पर्ते धीरे धीरे अमेरिका में खुल रही हैं। इस बीच ट्विटर का प्रभाव देख कर दुनिया के कई देशों में ट्विटर समेत ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स का इस्तेमाल सरकारों को अस्थिर करने, अर्थतंत्र को कमजोर करने करने, जन भावनाओं के ज्वार-भाटे को दिशा देने के साथ साथ अलगाववादियों और आतंकी गतिविधियों में भी होने के प्रमाण मिलने लगे हैं।


कैसे बागी बनाता है जनता को ट्विटर


चूंकि किसी भी व्यक्ति की मानसिकता होती है कि उसे अपना नजरिया आमतौर पर सही ही लगता है जिसके लिए वो अपने तर्क-कुतर्क भी गढ़ता है इसका फायदा ये सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स उठाने लगे हैं। किसी भी देश के लोग ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर गुडमार्निंग-गुडनाइट के साथ साथ अपनी रुचि के अनुसार विचारों के प्रवाह को गति देकर समर्थन जुटाने और माहौल बनाने में करने लगे इसलिए लोगों को लग रहा है कि उन्हीं की चुनी हुई सरकारें उनके हितों की चिंता नहीं कर रही। लोगों के अपने ही देश के कानून और सरकारों पर भरोसा डगमगाने की स्थिति आ गई है। ऐसा माहौल विपक्षी सियासत से पैसा पंप होने के साथ हुआ है। जिसके सबूत तत्काल मिलना असंभव है।


नाइजीरिया ने लगाया प्रतिबंध


नाइजीरिया की सरकार ने ट्विटर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की है। सरकार ने ट्व‍िटर को अनिश्चित काल के लिए निलंबित कर दिया है। सरकार ने माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। सरकार का कहना है कि ट्वि‍टर ने पश्चिमी अफ्रीकी देश में अलगाववादियों का समर्थन किया है। सूचना एवं संस्कृति मंत्री लाई मोहम्मद ने माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म को अनिश्चितकालीन निलंबित करने की घोषणा की।

इसके साथ सरकार ने राष्ट्रीय प्रसारण आयोग को नाइजीरिया में सभी ओटीटी और सोशल मीडिया संचालन को लाइसेंस देने की प्रक्रिया तुरंत शुरू करने का निर्देश दिया। सरकार ने देश में ट्विटर के संचालन के बारे में संदेह व्‍यक्त किया।


क्या है नाइजीरिया का मामला


दरअसल ट्विटर ने राष्ट्रपति मुहम्मदु बुहारी के विवादित ट्वीट को हटा दिया जिसमें उन्‍होंने साल 1967 से 1970 में देश के 30 महीने के गृह युद्ध का हवाला देते हुए चेतावनी दी थी कि कुछ लोग चाहते थे कि सरकार विफल हो जाए।


राष्‍ट्रपति ने कहा कि‍ हममें से जो लोग 30 महीने तक मैदान में रहे हैं जो युद्ध से गुजरे हैं, वे उन षणयंत्रकारियों के साथ उसी भाषा में व्यवहार करेंगे जिसे वे समझते हैं। इसके बाद नेटिजन्स सक्र‍िय हो गए और उन्‍होंने राष्‍ट्रपति की आलोचना की जिसके बाद ट्विटर ने बुधवार को राष्ट्रपति के पोस्ट को हटा दिया।


भारत में ट्विटर षडयंत्र


अगर आप गौर करेंगे तो पाएंगे यही काम भारत में भी बीते एक साल के भीतर तेजी से हुआ है। किसान आंदोलन के नाम पर 26 जनवरी को दिल्ली में अराजकता में टूलकिट का मिलना, सही या गलत से आगे संबित पात्रा के द्वारा खोजी गई टूलकिट पर कंपनी की तरफ से टिप्पणी का आ जाना, भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैंया नायडू का ट्विटर एकाउंट संस्पेंड करना, बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के तमाम लोगों का ट्विटर एकाउंट से वेरिफिकेशन टिक हटाकर छेड़छाड़ करना इसके सबसे ताजा उदाहरण है।


ऐसा कैसे संभव है कि ये ट्विटर की तरफ से ये सारी कार्रवाई सिर्फ एक ही विचारधारा या सत्ता में बैठे लोगों के साथ की गई।


राहुल गांधी ने ट्विटर पर क्यों बनाया दबाव!


दूसरी तरफ राहुल गांधी ने बीते दिनों खुद ही ट्विटर से अनफालो करने का अभियान छेड़ा। जिस सफाई देते हुए कांग्रेस की तरफ से कहा गया कि ये राहुल के एकाउंट में सफाई अभियान चलाया गया है। जबकि हकीकत ये है कि राहुल ने जिन लोगों को अनफॉलो किया वो सभी अब तक उनके सबसे विश्वस्त सिपहसालार रहे हैं जिसमें कांग्रेस पार्टी के नेताओं के साथ साथ कई पत्रकार और अन्य महत्वपूर्ण लोग हैं जिनके साथ राहुल रणनीतियां बनाते रहे हैं।


इस घटना का दूसरा पक्ष ये भी है कि विपक्ष या राहुल की तरफ से ट्विटर पर दबाव बनाया गया कि बीते दिनों की गतिविधियां का डेटा सरकार को देने से पहले उसे कंपनी की तरफ से ही नष्ट कर दिया जाए या ना दिया जाए। ये भी हो सकता है कि अनफॉलो करने के लिए ट्विटर अपनी कोई ऐसी पालिसी बता दे जिसमें सबूत के तौर पर सामने आने वाले तथ्य कंपनी की तरफ से ही नष्ट करने का प्रावधान हो।


मौके का फायदा उठाने की तैयारी


कोरोनाकाल की त्रासदी में अपनों को खोने का गम लोगों के दिलों में है। सरकार से एक हद तक नाराजगी भी है। बावजूद इसके ये भी हकीकत है कि सरकार चुनी हुई सरकार है और सिस्टम में बैठे लोग हमारे और आपके परिवार के लोग भी हो सकते हैं। कोई डॉक्टर होगा, कोई आईएएस होगा, कोई अस्पताल का स्टाफ होगा और छोड़िये आपदाकाल में कालाबाजारी करने वाले भी इसी समाज के बीच के लोग हैं। कहने का अर्थ है कि हर स्तर पर झोलझाल का फायदा अवसाद और पीड़ा के समय उठा कर सत्तातंत्र को कमजोर करने का द्रोही प्रयास किया जा रहा है।


ऐसे में किसी भी देश के नागरिकों को अतिरिक्त सतर्क रहने की आवश्यकता है।

केंद्र सरकार से टकराया ट्विटर


केंद्र सरकार और सोशल मीडिया दिग्गज ट्विटर के बीच जारी विवाद अब और बढ़ता नजर आ रहा है। केंद्र सरकार ने ट्विटर को नए डिजिटल नियम लागू करने को लेकर अंतिम चेतावनी दी है। आईटी मंत्रालय की तरफ से भेजे गए नोटिस में साफ-साफ कहा गया है कि कंपनी जल्द से जल्द नए नियम लागू करे नहीं तो उसे गंभीर परिणाम भूगतना पड़ सकता है। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद की अध्यक्षता में आईटी के प्रमुख वरिष्ठ अधिकारियों के साथ 4 जून को हुई बैठक में ये फैसला लिया गया है।


सरकार ने कहा कि ट्विटर को नए आईटी नियमों का पालन करने के लिए आखिरी नोटिस दिया जा रहा है। अगर नियमों का पालन नहीं हुआ तो आईटी एक्ट 2000 की धारा 79 के तहत मिली छूट को खत्म कर दिया जाएगा और ट्विटर को आईटी एक्ट और अन्य दंडात्मक प्रावधानों के तहत कार्रवाई के लिए तैयार रहना होगा।


मंत्रालय ने कहा कि ये नियम 26 मई, 2021 से प्रभावी हैं, लेकिन सद्भावना के तहत टि्वटर इंक को एक आखिरी नोटिस के जरिये नियमों के अनुपालन का अवसर दिया जाता है। उसे तत्काल नियमों का अनुपालन करना है। यदि वह इसमें विफल रहती है, तो उसे जो छूट मिली है, वह वापस ले ली जाएगी।


अपनी ही पॉलिसी पर दोगला व्यवहार रखता है ट्विटर


ट्विटर की ही पॉलिसी की करें तो एक्टिव ना होने की वजह से ब्लू टिक हटाया जा सकता है तो फिर दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के अकाउंट से ब्लू टिक अभी तक क्यों नहीं हटाया गया है। यही हाल दिवंगत कांग्रेस नेता अहमद पटेल, एक्टर इरफान खान समेत कई लोगों के ट्विटर हैंडल का है। इसके अलावा कई लोगों के अकाउंट ऐसे भी हैं जिनकी मृत्यु के बाद उनके अकाउंट को उनके परिवार वाले संभाल रहे तो क्या इसके लिए ट्विटर की कोई पॉलिसी है?


गृह मंत्री अमित शाह का अकाउंट


पिछले साल नवंबर में गृह मंत्री अमित शाह के ट्विटर अकाउंट से प्रोफाइल फोटो गायब हो गई थी जिसके बाद ट्विटर का काफी विरोध हुआ था। यह फोटो री-स्टोर कर दी गई है। गृह मंत्री की प्रोफाइल फोटो हटाने को लेकर ट्विटर के एक प्रवक्ता ने कहा, 'हमारी ग्लोबल कॉपीराइट पॉलिसी के तहत यह गलती अनजाने में हुई थी, इसकी वजह से प्रोफाइल फोटो लॉक हो गई थी, हालांकि अब इस गलती को सुधार दिया गया है और प्रोफाइल फोटो री-स्टोर कर दी गई है।


पॉलिसी हेड महिमा कौल का इस्तीफा


इसी साल फरवरी में भारत सरकार ने ट्विटर को 250 ऐसे अकाउंट्स को ब्लॉक करने का आदेश दिया था जो प्रधानमंत्री के विरोध में एक आपत्तिजन हैशटैग के साथ ट्वीट कर रहे थे। ट्विटर ने इन अकाउंट को पहले ब्लॉक तो कर दिया लेकिन महज 24 घंटे के अंदर ही इनमें से कई अकाउंट्स एक्टिव हो गए जिसके बाद ट्विटर पर सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 (ए) के उल्लंघन का आरोप लगा और सरकार ने नोटिस जारी किया। जिस सप्ताह यह विवाद हुआ था उसी सप्ताह के अंत में ट्विटर इंडिया की पब्लिक पॉलिसी डायरेक्टर (इंडिया एवं साउथ एशिया) महिमा कौल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। इस इस्तीफे के बाद से ही भारत सरकार और ट्विटर की अनबन लगातार बढ़ती ही गई।


नेताओं के अकाउंट वेरिफाई


ट्विटर एक अच्छे-खासे फॉलोअर्स वाले और शख्सियत के अकाउंट के वेरिफाई करने में कई महीने लगा देता है, लेकिन जब बात किसी राजनीतिक पार्टी के अकाउंट या फिर किसी पार्टी के नेता की आती है तो रातों-रात अकाउंट वेरिफाई हो जाते हैं। ये वेरिफिकेशन किस आधार पर होते हैं, यह एक राज ही है। यदि आप ट्विटर पर सर्च करेंगे तो पाएंगे कि तमाम राजनीतिक पार्टियों के राज्यवार अकाउंट वेरिफाई मिलेंगे। इसी तरह अधिकतर नेताओं के अकाउंट आपको वेरिफाई मिलेंगे, वहीं जब कोई सामाजिक संस्था अपने ट्विटर हैंडल को वेरिफाई कराना चाहे तो उसे लंबे समय तक पापड़ बेलने पड़ते हैं।


ट्विटर भारत में राजनीतिक और सामाजिक रुप से बड़ी संख्या में लोगों के जुड़े होने के कारण भारत की केंद्रीय सरकार से लोगों की निजता और विचार की अभिव्यक्ति की आड़ लेकर अपने और भारत विरोधी तत्वों के हित साध रहा है।


केंद्र सरकार ने एक नीति बनाकर किसी भी फर्जी सन्देश की ट्रेलिंग बताना अनिवार्य कर दिया है। गूगल और फेसबुक ने सरकार की इस नीति से सहमति जताई है तो ट्विटर ने इसे लोगों की निजता का हनन बताकर अदालत का दरवाजा खटखटाया है। इसी बीच उपराष्ट्रपति और आरएसएस के शीर्ष नेताओं के एकाउंट्स के साथ हुई छेड़छाड़ को इसी सन्दर्भ में देखा जा रहा है।


टीम स्टेट टुडे



विज्ञापन
विज्ञापन

Comments


bottom of page
google.com, pub-3470501544538190, DIRECT, f08c47fec0942fa0