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ट्विटर की भारत में गतिविधियां संदिग्ध, कभी भी हो सकती है बड़ी कार्रवाई



ट्विटर की गतिविधियां संदिग्ध तो थी हीं अब जनता की आड़ लेकर ये निजी कंपनी भारत की अदालतों और सरकार को चुनौती दे रही है।


भारत में ट्विटर का जिस तरह से और जितने लोग प्रयोग कर रहे हैं उससे शायद कंपनी को भ्रम हो गया है कि वो जनभावना की आड़ में कुछ भी कर सकती है।


अमेरिका की निजी कंपनी ट्विटर ना सिर्फ भारत के नियम कानून मानने से इंकार कर रही है बल्कि वो अब खुद ही अपनी अदालत चलाकर फैसला भी देना चाहती है। सुनने में आपको ये भले अटपटा लगे लेकिन 26 जनवरी को हिंसक आंदोलन के बाद कोरोना की दूसरी लहर में जिस तरह सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स की गतिविधियां रही हैं उससे सभी संदेह के घेरे में हैं।



केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने जो कहा


केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'कू' पर एक बयान जारी कर ट्विटर के बयान की आलोचना की है। एमईआईटी ने कहा कि ट्विटर का बयान विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र पर अपनी शर्तें थोपने की कोशिश है।


सरकार ने कहा कि ट्विटर उन नियमों का पालन करने से इनकार कर रहा है, जिनके आधार पर वह भारत में किसी भी आपराधिक जिम्मेदारी को लेने से बचता है। भारत में अभिव्यक्ति की आजादी की गौरवशाली परंपरा है और वह सदियों से इस परंपरा का पालन कर रहा है। भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा करना केवल ट्विटर जैसी निजी, लाभकारी, विदेशी संस्था का विशेषाधिकार नहीं है।


अपने कार्यों और जानबूझकर अवहेना के माध्यम से भारत की कानूनी प्रणाली को ट्विटर कमजोर करना चाहता है।


सरकार ने आश्वासन दिया कि ट्विटर सहित सोशल मीडिया कंपनियों के प्रतिनिधि भारत में हमेशा सुरक्षित हैं और रहेंगे। उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए कोई खतरा नहीं है।


सरकार ने ट्विटर के बयान की निराधार, झूठा और भारत को बदनाम करने की कोशिश के रूप में निंदा की है और इसके जरिए ट्विटर ने अपनी मूर्खता को छुपाया है। ट्विटर को देश के कानूनों का पालन करने की जरूरत है।

केंद्र सरकार ने साफ कहा है कि कानून बनाना और नीतियों को लागू करना पूरी तरह से एक संप्रभु सरकार का काम है और ट्विटर सिर्फ एक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। उसका इसमें कोई दखल नहीं होना चाहिए कि आखिर भारत का कानूनी फ्रेमवर्क क्या होना चाहिए।


यही नहीं, सरकार ने ट्विटर के दावों पर सवाल खड़ा करते हुए कहा, 'ट्विटर दावा करता है कि वह भारत के लोगों के साथ है। लेकिन यह विडंबना ही है कि बीते कुछ समय में ट्विटर ऐसा नहीं दिखा है।' मंत्रालय ने कहा कि ट्विटर ने उन रेग्युलेशंस को मानने से इनकार कर दिया है और भारत में किसी आपराधिक गतिविधि के लिए एक सुरक्षित ठिकाना बनने जैसा काम किया है।


इस बीच, सूचना और प्रसारण मंत्रालय (एमआईबी) के डिजिटल मीडिया विभाग ने डिजिटल मीडिया के प्रकाशकों को सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 के नियम 18 के तहत जानकारी प्रस्तुत करने के लिए कहा है। लगभग 60 डिजिटल मीडिया प्रकाशकों और उनके संघों ने मंत्रालय को सूचित किया है कि उन्होंने नियम के तहत स्व-नियामक निकायों के गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है।प्रकाशकों को इस नोटिस के जारी होने के 15 दिनों के भीतर लागू प्रारूप में मंत्रालय को सूचना देनी होगी। उन्हें बताना होगा कि नए नियमों व गाइडलाइन के पालन के लिए उनके द्वारा अब तक क्या कदम उठाए गए।



ट्विटर की गतिविधियों पर दिल्ली पुलिस का बयान


दिल्ली पुलिस ने गुरुवार को कहा कि ‘टूलकिट’ मामले में चल रही जांच पर ट्विटर का बयान झूठा है और यह कानूनी जांच में बाधा का प्रयास है। दिल्ली पुलिस का यह सख्त बयान ऐसे वक्त आया है जब ट्विटर ने ‘पुलिस की तरफ से डराने-धमकाने की रणनीति के इस्तेमाल’ पर चिंता जताते हुए कहा है कि वह भारत में अपने कर्मचारियों की सुरक्षा और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए संभावित खतरे के बारे में चिंतित है।


दिल्ली पुलिस के जन संपर्क अधिकारी चिन्मय बिस्वाल की तरफ से जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘पहली नजर में ये बयान ना केवल मिथ्या हैं बल्कि निजी उद्यम की तरफ से कानूनी जांच को बाधित करने का भी प्रयास है। सेवा की शर्तों की आड़ में ट्विटर इंक ने सच का निर्णय करने का खुद फैसला कर लिया।


पुलिस के बयान के मुताबिक ट्विटर जांच प्राधिकार और फैसला सुनाने वाला प्राधिकार, दोनों बनना चाहता है लेकिन इनमें से किसी के लिए भी कानूनी स्वीकृति नहीं है। बयान में कहा गया कि जांच करने का अधिकार केवल पुलिस के पास है और फैसला अदालतें सुनाती हैं।


टीम स्टेट टुडे


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