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उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम के काम – अद्भुत किंतु सत्य!

Updated: Feb 14, 2021



क्या होता है जब आप सफर पर हों और रेलवे फाटक बंद मिले ?


वो दौर भूले तो नहीं जब नदी को पार करने के लिए स्टीमर या बोट का सहारा लेते थे! नदी के दोनों तरफ बस स्टैंड होते थे।


वो वक्त भी याद होगा जब आपने कहा होगा कि सड़क के ऊपर सड़क बनेगी...नीचे भी लोग चलेंगें और ऊपर से भी...अरे! आपके शहर का पहला फ्लाईओवर।


उत्तर प्रदेश के किसी भी शहर ने जब ऐसे निर्माण पहली बार देखे होंगे वो अब भी यादों में ताजा ही होगा।

तरक्की पसंद जमाने की रफ्तार पर ब्रेक ना लगे इसलिए नदियों पर पुल बनाए गए...आबादी बढ़ी, गाड़ियां बढ़ीं, रास्ते संकरे हुए तो फ्लाइओवर बनाए गए...रेल रुकती नहीं तो सड़क मार्ग पर गाड़ियां भी चलती रहे तो रेल पटरियों के ऊपर पुल बनाए गए।


ये सब कुछ एक दिन में नहीं हुआ और ना ही इसे करना इतना आसान था। इस काम को करने के लिए तकनीकी रुप से सक्षम ऐसे लोगों की पूरी फौज की जरुरत थी जो उत्तर प्रदेश के मार्गों को मिसाल बना दें।



उत्तर प्रदेश का एक ऐसा विभाग जिसने अपनी दक्षता और क्षमता के दम पर सिर्फ उत्तर प्रदेश या देश के अन्य राज्यों में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में नदी पुल, रेलपुल, बैराज और विविध प्रकार के निर्माण कार्यों से विशेष स्थान बनाया और कई राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार भी प्राप्त किये।


वर्तमान में सेतु निगम उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग की एक इकाई है। विभाग के मंत्री उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य हैं। सेतु निगम के प्रबंध निदेशक अरविंद कुमार श्रीवास्तव के कुशल नेतृत्व में प्रतिदिन नए कीर्तिमान गढ़े जा रहे हैं।


आज हम आपको बताने जा रहे हैं उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम की वो कहानियां जो उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद बेमिसाल बन गईं।


बेमिसाल ! लाजवाब ! उत्तर प्रदेश सेतु निगम



उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार बनने के बाद 1 अप्रैल 2017 से अब तक राज्य सेतु निगम 124 नदी पुल, 54 रेलवे ओवर ब्रिज और 8 फ्लाईओवर बना चुका है। बीते तीन वर्ष में 186 परियोजनाओं को पूर्ण कर सेतु निगम ने एक कीर्तिमान स्थापित किया है। ध्यान रहे कि इस बीच कोरोनाकाल के दौरान पूर्ण रुप से लॉकडाउन और फिर चरणबद्ध तरीके से अनलॉक की प्रक्रिया अपनाई गई। इस लिहाज से सेतु निगम ने बेहतरीन मैनेजमेंट और हाई-प्रोफेशनलिज्म का उदाहरण प्रस्तुत किया है।


इस लक्ष्यों को पूरा कराने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्नाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और राज्यमंत्री के द्वारा विभागीय अनुशंसाओं पर त्वरित निर्णय लिए गए।


सेतु निगम के वर्तमान प्रोजेक्ट्स



वर्तमान समय में सेतु निगम कुल 283 प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है जिसमें 170 पुल नदियों पर, 9 फ्लाईओवर और 96 रेलवे फ्लाईओवर शामिल हैं।


मौजूदा वित्तीय वर्ष के लिए सेतु निगम को सरकार की तरफ से पर्याप्त बजट उपलब्ध कराया गया है जिससे प्रदेश के विकास को गति मिल रही है।


भारत सरकार की उम्मीदों पर खरा उतरता सेतु निगम


भारत सरकार की महात्वाकांक्षी योजना डेडिकेटेड फ्राइट कॉरिडोर कार्पोरेशन के कुल 54 प्रोजेक्ट वर्तमान समय में प्रदेश में चल रहे हैं। जिसमें 9 रेल उपरिगामी सेतु पूर्व मध्य रेलवे, 33 उत्तर मध्य रेलवे और 12 उत्तर रेलवे के हैं। कुल 54 प्रोजेक्ट्स में सेतु निगम ने अब तक 15 लक्ष्यों को पूर्ण कर लिया है जबकि शेष 39 में दस प्रोजेक्ट्स चालू वित्तीय वर्ष में मार्च 2022 तक जबकि शेष आगामी वित्तीय वर्ष में पूरा करने का लक्ष्य है।


नदियां जहां सेतु निगम जोड़ रहा है दिलों को



उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम इस समय प्रदेश में कुल 66 नदी सेतु परियोजनाओं पर काम कर रहा है। जिसमें यमुना नदी पर 12, घाघरा नदी पर छ, गोमती नदी पर 18, गंगा नदी पर 12, राप्ती नदी पर तीन, चंबल नदी पर एक, वरुणा नदी पर तीन, सोन नदी पर पांच, बेतवा नदी पर दो और रामगंगा नदी पर 4 बड़े पुल बना रहा है। प्रदेश में इन 66 नदी सेतुओं के निर्माण से ना सिर्फ लोगों को आवागमन में सुगमता होगी बल्कि व्यापार को भी बढ़ावा मिलेगा।


अन्य राज्यों में भी निगम ने गाड़े झंडे



सेतु निगम ने उत्तराखंड, महाराष्ट्र, सिक्किम जैसे राज्यों में भी अपनी दक्षता का परिचय दिया है। प्रबंध निदेशक अरविंद कुमार श्रीवास्तव की सूझबूझ एवं विषय विशेषज्ञता के दम पर टेंडर प्रक्रिया में भी सेतु निगम ने बाजी मारी है।


यूपी स्टेट ब्रिज कार्पोरेशन लिमिटेड उत्तराखंड के हरिद्वार-देहरादून में एन.एच -58 पर करीब 15 किलोमीटर में सड़क और 10 सेतुओं का निर्माण कर रहा है।



इसी प्रकार जे.एन.पी.टी. मुंबई के अंतर्गत रेल उपरिगामी सेतु का निर्माण कार्य सेतु निगम करा रहा है।

पूर्वोत्तर राज्य सिक्किम में अत्यंत विषम परिस्थितियों में यूपी सेतु निगम एन.एच.आई.डी.सी. के अन्तर्गत 30 किलोमीटर में रोड और सेतु का निर्माण कार्य करा रहा है। टेंडर प्रक्रिया से निगम ने कुल 2116.55 करोड़ के काम अर्जित किए हैं।


सरकार की प्राथमिकताओं का ख्याल



उत्तर प्रदेश में कुछ कार्य ऐसे भी हैं जिस पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने प्राथमिकताएं तय की हैं। प्रयागराज में टोंस नदी पर बनने वाला पुल इसमें से एक है। दिसंबर में डिप्टी सीएम ने इस पुल का शिलान्यास किया और चौबीस माह में इसे पूर्ण करने की चुनौती रखी। सेतु निगम इस परियोजना पर बहुत तेजी से कार्य कर रहा है। विस्तृत सर्वे कराकर परिकल्पना का कार्य अतिंम चरण में पहुंच गया है। इस कार्य को सेतु निगम एपीसी मोड पर कराएगा जिसमें धरातल पर 45 दिन के भीतर कार्य प्रारंभ हो जाएगा।


सेतु निगम के ठेकों में आरक्षण व्यवस्था



बीते दिनों प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ने ऐलान किया था कि राजकीय निर्माण निगम के अंतर्गत दिए जाने वाले ठेकों को एससी,एसटी,ओबीसी को आरक्षण का प्रावधान किया जाएगा।


सेतु निगम से सरकार की इस मंशा को पहले से भांप कर अपने अधीन दिए जाने वाले ठेकों में इस व्यवस्था को पहले ही लागू कर रखा है। निगम के प्रबंध निदेशक अरविंद श्रीवास्तव के अनुसार पीआरडब्लू (छोटी निविदाएं) के कार्य आरक्षित वर्ग के लोगों को पर्याप्त मात्रा में दिया जा रहा है। इससे साथ ही जैसे ही पीडब्लूडी में शासकीय आरक्षण व्यवस्था लागू होगी सेतु निगम भी इसे लागू कर देगा।


कौशल विकास और रोजगार को बढ़ावा देता सेतु निगम



कौशल विकास और रोजगार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने फैसला लिया था कि प्रदेश के डिप्लोमा सिविल इंजीनियर्स को दस लाख तक के ठेके देने का प्रावधान किया जाएगा।


इस पर निगम के प्रबंध निदेशक का कहना है कि चूंकि सेतु निर्माण विशिष्ट प्रकृति का कार्य है इसलिए ऐसे लोग जो ग्रेजुएट हैं इंजीनियर हैं वो विभाग में आएं, ट्रेनिंग लें और किसी प्रोजेक्ट से जुड़ कर दक्षता हासिल करें। इसके बाद निगम में उनका रजिस्ट्रेशन कर दिया जाएगा फिर वो ठेके के माध्यम से भी काम प्राप्त कर सकते हैं। केंद्रीय बजट में भी इंफ्रास्ट्रक्चर पर खासा प्रावधान किया गया है। इसलिए प्रदेश के युवा इंजीनियर्स के लिए ये एक अच्छा मौका है कि वो सेतु निगम से जुड़ कर ना सिर्फ अपना प्रैक्टिकल एक्सपीरियंस बढ़ा सकते हैं बल्कि काम कर रही कंपनी या प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेंट्स से जुड़ कर रोजगार भी हासिल कर सकते हैं।


दुर्लभ मशीन का स्वामी सेतु निगम



उत्तर प्रदेश सेतु निगम के लिए ये गर्व का विषय हो सकता है कि उसके पास मोबाइल ब्रिज इंस्पेक्शन यूनिट अब पूरी तरह से काम करने लायक हो चुकी है जो पूरे देश में गिनीचुनी ही हैं। दरअसल ये यूनिट बीते बीस वर्ष से खराब पड़ी थी। जिसे उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के विशेष सहयोग और निगम के प्रबंध निदेशक के विशेष अनुरोध के बाद ठीक करा लिया गया है।


मोबाइल ब्रिज इंस्पेक्शन यूनिट विशिष्ट प्रकार की यूनिट है। जिसका प्रयोग ब्रिज बनने के बाद निरीक्षण के लिए किया जाता है। उदाहरण के लिए अगर नदी पर बने पुल का निरीक्षण करना है तो नदी में नाव पर खड़े होकर पुल की सही स्थिति का आंकलन नहीं हो सकता। इसी जगह पर ब्रिज इंस्पेक्शन यूनिट काम आती है जो ब्रिज के प्वाइंट ज़ीरो तक ना सिर्फ तकनीकी विशेषज्ञों को ले जा सकती है बल्कि आवश्यक उपकरणों के साथ मरम्मत का काम भी हो सकता है।


ऐसे काम जो पूरा होने का नहीं लेते थे नाम


उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनने के बाद 2017 से दिसंबर 2020 के बीच सेतु निगम ने कई ऐसे कार्य पूरे किए जो बीते दशक से ज्यादा समय से सियासी भंवर में फंसकर पूरा होने की बाट जोह रहे थे।


इसमें वाराणसी में गंगा नदी पर घानपुर चहनिया मार्ग का पुल 2005 से पेंडिंग था जिसे 2017 में पूरा किया गया।

मिर्जापुर जिले में गंगा नदी पर भटोली घाट और बालू घाट का निर्माण कार्य 2006 से चल रहा था जिसे निगम ने 2018 में पूरा किया।



इसी प्रकार गाजीपुर में गंगा नदी पर ककड़हवा घाट सेतु और वाराणसी में बीएचयू के सामने घाट पर रामनगर मार्ग पर सेतु निर्माण कार्य 2006 से बाधित था जिसे विभाग ने 2017 और 2018 में पूरा किया।



मेरठ में गंगा नदी और बिजनौर के भीमकुंड के पास चेतवाला घाट सेतु का निर्माण 2008 से अधूरा था जिसे निगम ने 2019 में पूर्ण कर दिया।



सुल्तानपुर में गोमती नदी पर बरनाव के पास धोपाप घाट सेतु का निर्माण कार्य और गोरखपुर में राप्ती नदी पर बढ़वा ठाठर घाट पर सेतु का निर्माण कार्य 2009 से रुका पड़ा था जिसे निगम ने 2019 में पूरा कर दिया। इसी प्रकार लखनऊ में लोहिया पथ पर गोमती बैराज से रिंगरोड पर खुर्रम नगर -कुकरैल नाले पर 6 लेन मार्ग और लखनऊ-बादशाहनगर बाराबंकी लाइन रा.मा. 28 के ऊपर संयुक्त उपरिगामी सेतु का निर्माण कार्य 2010 से रुका पड़ा था। जिसे निगम ने 2019 में पूरा किया और आम जनता के लिए खोल दिया।


लखनऊ में ही गोमती नदी पर पिपराघाट सेतु का निर्माण 2015 से अटका पड़ा था जो 2018 में आम जनता के लिए पूरा कर चालू कर दिया गया।


सेतु निगम का अविस्मरणीय ऐतिहासिक कार्य


गंगा नदी पर प्रतापगढ़ और कौशांबी को जोड़ने वाला क्रांति घाट सेतु निर्माण निगम के लिए बहुत खास है। 262 करोड़ की लागत के इस प्रोजेक्ट में सेतु निगम सिर्फ चार स्पैन में गंगा नदी पर 1254 मीटर की लेंथ कवर करेगा। ये कार्य दो साल से कम की अवधि में पूर्ण होगा। ऐतिहासिक दृष्टि से भी ये पुल बहुत महत्वपूर्ण होगा। प्रभु श्रीराम का जिस रास्ते से वनगमन हुआ था ये पुल उस मार्ग को भी अपने भीतर समेट रहा है। इस लिहाज से ये सेतु आवश्यकता के साथ साथ ऐतिहासिक रुप से महत्वपूर्ण होने जा रहा है जो मौजूदा सरकार के कार्यकाल में सेतु निगम की विशेष उपलब्धि होगी। इस पुल का शिलान्यास उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने अगस्त क्रांति के अवसर पर किया था। कौशाम्बी में बनने वाला यह पुल खूबसूरत होगा। इस सेतु का ऐसा निर्माण होगा, जिसके नीचे से पानी का जहाज भी आसानी से गुजर सकेगा। पुल की डिजाइन इतनी खूबसूरत होगी कि लोग इसे सेल्फी पुल के नाम से भी जानेंगे। इस पुल का नाम वीरांगना दुर्गा भाभी के नाम किए जाने का प्रस्ताव है।


उत्तर प्रदेश राज्य सेतु निगम का इतिहास



उत्तर प्रदेष राज्य सेतु निगम लिमिटेड का गठन कम्पनी एक्ट में अक्टूबर,1973 में हुआ था। निगम की शुरुआती पूंजी थी सिर्फ 50 लाख रुपए जो आज 1500 करोड़ से ज्यादा हो चुकी है। सेतु निगम अब तक लगभग 2500 से अधिक विभिन्न नदी सेतु, उपरिगामी सेतु, फ्लाईओवर एवं अन्य हाइड्रोलिक स्ट्रक्चर, बैराज, एक्वेडक्ट एवं स्टेडियम आदि का निर्माण कार्य करा चुका है।


रिपोर्ट - शेखर त्रिवेदी

टीम स्टेट टुडे

शेखर त्रिवेदी
शेखर त्रिवेदी


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