कोरोना ने ऐसा मार मारी कि धंधा-पानी चौपट हो गया। लोग दो महीना घर में बैठे रह गए। शुरुआत में मौज लगी लेकिन धीरे धीरे जिंदगी कोरोना की मौजो में घिर गई। अब अनलाक का दौर है। पहले अनलाक 1 हुआ फिर अनलाक 2 हुआ। धीरे धीरे सब कुछ खुल गया। जब खुला तो ऐसा खुला कि कोरोना का कहर भी खुल कर सामने आ गया। यूपी में कोरोना संक्रमण के मामले 50 हजार के पार निकल गए। सरकार के बड़े बड़े मंत्री क्या और शासन के बड़े बड़े अधिकारी क्या सबको छींके आ गईं। कुछ क्वारिंटीन हुए...कुछ का इलाज अस्पताल में हुआ लेकिन अब तक कोरोना का इलाज नहीं मिला।
हालात कुछ ऐसे हैं कि सरकार गरीबों में राशन बंटवा रही है। समाजसेवी भी झोपड़पट्टी के बाहर फोटोसेशन ही सही दो चार पैकेट तो बांट ही रहे हैं। गरीबों को निवाला मिल रहा है। निवाला उन को भी मिल रहा है जो धन्ना सेठ हैं। रखा हुआ काला सफेद सब इस्तेमाल हो रहा है लेकिन फंस गया मध्यमवर्ग का आदमी। जिसकी तनख्वाह हो सकता है कोरोना काल से पहले लाखों में रही हों....उसने बढ़िया घर खरीदा,,,कार खरीदी,,,,बच्चों का एडमीशन कराया और फिर जो कमाया उससे जिंदगी किश्तों में काटने लगा। जब कोरोना आया तो पहले डराया,,,,फिर घर में बंद कराया ,,,,,फिर ठठ्डा लगाया और मध्यम वर्ग को उसकी हैसियत याद दिलाया। कम से कम लखनऊ के इंदिरानगर इलाके से सामने आया मामला तो यही बताता है।
एक शख्स दस लाख की गाड़ी में आया...पूरा दम लगाया...सीसीटीवी पर नजर भी घुमाया लेकिन फिर वही किया जो वो करने आया। छ फुट ऊंची दीवार पर रखा गमला किसी तरह उठाया.....खिसका कर नीचे लाया....लड़खड़ाया....गिरा....उठा और फिर उस वजनदार गमले को उठाकर गाड़ी तक घिसटाया। बंद कार की पहले से खुली डिक्की में गमले को अटाया...पत्तियों शाखाओं को सहेज कर अंदर का डिक्की के भीतर का रास्ता दिखाया....डिक्की बंद करने को जोर लगाया....कामयाब नहीं हुआ तो फिर लौट के आया....उतनी देर में मालिक मकान भी आहट से बाहर आया।
घर में गमले की चोरी देख मालिक मकान का दिमाग चकराया....पूरी ताकत से दौड़ लगाया लेकिन अफसोस गमला चोर ने कार का दरवाजा खोला, चाबी घुमाया....एक्सेलेटर दबाया और फुर्र।
किस्सा देख कर आप मजा ले सकते हैं....उस मालिक मकान को अफसोस भी हुआ होगा....लेकिन क्या पता जो लाखों की गाड़ी से गमला चोरी करने आया उसकी मजबूरी क्या होगी। वो प्रकृति प्रेमी तो होगा नहीं जो किसी के घर में लगे एक मामली गमले पर निगाहों से इश्क लड़ा रहा होगा...मौका देखा तो हुनरमंद आशिक की तरह महबूबा को ले उड़ा । कुछ तो मजबूरियां रही होंगी कोई यूहीं चोर नहीं हुआ करता....मध्यम वर्ग का हाल ना पूछो कोरोना काल में वो जिंदगी की किश्त कहां से भरता।
आपको बताते चले कि गमला चोर ने जो पौधा चुराया वो तीस साल पुराना डेजर्ट रोज का बोनसाई था और उसकी कीमत है रुपए 40000।
टीम स्टेट टुडे
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