आखिरकार देर आये दुरुस्त आये की कहावत उत्तरप्रदेश के शिक्षा महकमे पर चरितार्थ हो ही गयी। दरअसल यूपी के बेसिक शिक्षा महकमे में हजारों शिक्षकों की नियुक्तियों में फर्जीवाड़ों की सुर्खियां तो छायी ही थी। अब योगी सरकार को डर सता रहा है माध्यमिक शिक्षा में भी बड़ा शिक्षक भर्ती घोटाला न उजागर हो जाए। इस लिहाज से सरकार ने फैसला किया है वो माध्यमिक स्कूलों में पढ़ाने वाले हजारों शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच करेगी। शुरुआत लखनऊ से हो गयी है। जहाँ चार हजार माध्यमिक शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच के लिए डीआईओएस ने बाकायदा जांच टीम का गठन कर दिया है।
हालाँकि जांच के नाम पर शिक्षकों के मूल दस्तावेज जमा करने के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है उत्तरप्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री को पत्र भेजकर कड़ी आपत्ति जताई है। शिकायती पत्र में साफ़ कहा गया है कि कई जिलों में अभिलेखों की छाया प्रति ही जमा कराई गयी है। मूल अभिलेखों को जमा कराने का कोई औचित्य कुछ भी नहीं है। संघ के प्रवक्ता डॉ महेंद्र नाथ राय के मुताबिक जांच के नाम पर शिक्षकों का उत्पीड़न हो रहा है शिक्षकों में भ्र्म की स्थिति बनी हुई है। इसको दूर करने के लिए एक आदेश निकाला जाए। हाल ही में फर्जीवाड़ों के सबसे पहले कस्तूरबा गांधी में और उसके बाद बेसिक विद्यालयों में कई मामले पकड़े गए हैं। वहीं, राजधानी के बालिका विद्यालयों में भी 98 शिक्षकों की नियम विरुद्ध हुई भर्ती की जांच चल ही रही है।
डीआईओएस डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि दस्तावेजों की जांच के दौरान विद्यालय और शिक्षकों को कोविड-19 के प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करना होगा। सभी शिक्षक मास्क लगाकर पहुंचेंगे। शारीरिक दूरी का पालन करेंगे। विद्यालय में सैनिटाइजर, हैंड वॉश, साबुन और सफाई का ध्यान रखना होगा। इसकी व्यवस्थाएं कराई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि विद्यालयों की क्रम संख्या के अनुसार उनके शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच के लिए समय सुनिश्चित कर दिय गया है। शिक्षकों को नियुक्ति के समय प्रस्तुत किए गए सभी अभिलेख जमा करने होंगे।
जाति प्रमाणपत्र निवास प्रमाणपत्र, शैक्षिक अनुभव प्रमाण पत्र समेत सभी वास्तविक अभिलेखों को फोल्डर में रखकर लाने होंगे। जमा हुए इन अभिलेखों की जांच उनके शैक्षिक बोर्ड से कराई जाएगी। फिलहाल जिलों में शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच से माध्यमिक शिक्षा महकमे में बड़ा हड़कंप मचा हुआ है क्योंकि अगर गहराई से जांच हुई तो माध्यमिक शिक्षा में भी बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा निलने के पूरे आसार हैं यही फर्जीवाड़ा उच्च शिक्षा में भी शिक्षकों की नियुक्तियों में है लेकिन यूपी सरकार ने सिर्फ बेसिक और माध्यमिक शिक्षकों की ही जांच का फैसला लिया है।
टीम स्टेट टुडे
コメント