उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव के दंगल से पहले अदालत में दलीलें सरकार पर भारी पड़ गई। यूपी पंचायत चुनाव 2021 के लिए योगी आदित्यनाथ सरकार में तय की गई आरक्षण व्यवस्था को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पलट दिया।
दरअसल योगी सरकार ने पूर्ववर्ती अखिलेश यादव सरकार के फैसले को पलटा था। योगी सरकार ने 1995 के आधार पर सीटों के आवंटन के लिए आरक्षण की व्यवस्था लागू करने का फैसला किया था। इसे लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी, जिस पर फैसला देते हुए सोमवार को कोर्ट ने साल 2015 को आधार बनाकर आरक्षण प्रणाली लागू करने का निर्देश दिया है।
क्या थी याचिका
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में 11 फरवरी 2021 के शासनादेश को चुनौती दी गई थी। याचिका में कहा गया था कि पंचायत चुनाव में आरक्षण लागू किये जाने सम्बंधी नियमावली के नियम 4 के तहत जिला पंचायत, क्षेत्र पंचायत व ग्राम पंचायत की सीटों पर आरक्षण लागू किया जाता है। कहा गया कि आरक्षण लागू किये जाने के सम्बंध में वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानते हुए 1995, 2000, 2005 व 2010 के चुनाव सम्पन्न कराए गए। याचिका में कहा गया कि 16 सितंबर 2015 को एक शासनादेश जारी करते हुए वर्ष 1995 के बजाय वर्ष 2015 को मूल वर्ष मानते हुए आरक्षण लागू किये जाने को कहा गया था। उक्त शासनादेश में ही कहा गया था कि वर्ष 2001 व 2011 की जनगणना के अनुसार अब बड़ी मात्रा में डेमोग्राफिक बदलाव हो चुका है लिहाजा वर्ष 1995 को मूल वर्ष मानकर आरक्षण लागू किया जाना उचित नहीं होगा।
क्या थी योगी सरकार की आरक्षण की व्यवस्था
योगी सरकार ने पंचायती राज नियमावली में 11वां संशोधन कर अखिलेश यादव सरकार के फैसले को बदल दिया था। योगी ने 10वां संशोधन समाप्त करते हुए पंचायत की सीटों के लिए आरक्षण प्रणाली लागू करने में साल 1995 को आधार बनाया। इस फॉर्म्युले के तहत साल 1995 से जो सीटें कभी भी आरक्षण के दायरे में नहीं आई थीं, उन्हें भी आरक्षित कर दिया गया था। इस प्रणाली के मुताबिक, पंचायत की जो सीटें 1995 से लेकर साल 2015 तक कभी भी अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों, पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के लिए आरक्षित थीं, उन्हें इस बार उसी वर्ग के लिए आऱक्षित नहीं किया जाएगा।
रोटेशन प्रणाली की खास बात
रोटेशन प्रणाली की सबसे प्रमुख बात ये है कि जो भी ग्राम या जिला पंचायत किसी वर्ग के लिए कभी आरक्षित नहीं हुई थीं, उन्हें पहले उसी कैटिगरी के लिए आरक्षित किया जाएगा। हालांकि, हाई कोर्ट ने इस प्रणाली को हटाकर पुरानी पद्धति से ही सीटों के बंटवारे में आरक्षण व्यवस्था लागू करने का निर्देश दिया है।
क्या किया था अखिलेश यादव सरकार ने
अखिलेश यादव की सरकार ने साल 2015 के पंचायत चुनाव के पहले पंचायती राज नियमावली में 10वां संशोधन किया था, जिसके तहत ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत सदस्यों के पदों के पहले की आरक्षण प्रणाली को शून्य कर दिया था और नए सिरे से साल 2011 की जनगणना के आधार पर सीटें तय की गई थीं। इस नियमावली के आधार पर साल 2021 की जनगणना होने के बाद 2025 में होने वाले पंचायत चुनाव में इस साल (2021) के और साल 2015 के आरक्षण की स्थिति को शून्य कर दिया जाएगा।
अब क्या होगा
अब योगी सरकार द्वारा बीते दिनों जारी किए गए आरक्षण की स्थिति का बदलना तय है। योगी सरकार की आरक्षण सूची में पंचायत की ऐसी सीटें भी शामिल हो गई थीं, जहां बीते 25 साल में कभी आरक्षण लागू नहीं हुआ था। कोर्ट का आदेश आने के बाद अब नए सिरे से आरक्षण प्रणाली लागू होगी।
25 मई तक चुनाव पूरा कराने का आदेश
हाई कोर्ट के फैसले के बाद अब यूपी में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर आरक्षण की नई लिस्ट आएगी। यूपी की योगी सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ के सामने आरक्षण में खामी होने की बात स्वीकार कर ली है। ऐसे में हाईकोर्ट ने साल 2015 के आधार पर आरक्षण लागू कर पंचायत चुनाव कराने का आदेश दिया है। वहीं सरकार को 15 मई के बजाय 25 मई तक पंचायत चुनाव पूरा कराने का आदेश दिया गया है।
पंचायत चुनाव की तैयारी पर एक नजर
- 1214 हो गई है अब जिले में ग्राम पंचायतों की संख्या
- 1204 में होंगे पंचायत चुनाव
- 1480 मतदान केंद्र
- 4195 मतदेय स्थल
- 2604708 मतदाता
- 1.80 लाख नाम हटाए गए
- 3.71 लाख नए नाम जोड़े गए
- 64 हजार मतदाताओं के नाम में संशोधन
ब्लॉकवार बूथों और मतदाताओं की संख्या
ब्लॉक---------------- बूथ ------------- मतदाता
मनकापुर------------ 284 ------------ 181567
छपिया-------------- 251-------------- 162362
बभनजोत------------285 ------------- 176558
नवाबगंज------------223 ------------- 143844
बेलसर-------------- 266 ------------ 170108
तरबगंज------------ 241------------- 148747
वजीरगंज ----------246 ------------- 149704
हलधरमऊ -------- 212 ------------- 139435
परसपुर-------------- 310------------- 200126
कटराबाजार----------253 -------------162454
कर्नलगंज------------215 ------------- 137650
पंडरीकृपाल----------171 -------------- 97860
झंझरी----------------360 ------------- 212918
मुजेहना------------272 ---------------- 164045
इटियाथोक------------279 ------------ 162540
रुपईडीह-------------327---------------194790
इसमें दोराय नहीं कि योगी सरकार की आरक्षण व्यवस्था के तहत अगर यूपी में त्रिस्तरीय चुनाव होते तो बहुत सारे जमे जमाए नेताओं की दुकानों पर ताला लगना तय था। यूपी में कई सीटें ऐसी है जहां दशकों से एक ही परिवार का कब्जा चल रहा है। योगी सरकार इस व्यवस्था को बदलना चाहती थी लेकिन शायद योगी सरकार को ये नहीं पता है कि पिछली सरकारों ने इतनी पुख्ता व्यवस्थाएं की हैं कि अगर योगी सरकार कानून में बदलाव भी कर दे, तो भी मामला अदालत में जाकर ना सिर्फ फंस जाएगा बल्कि सरकार को मुंह की खानी भी पड़ेगी।
टीम स्टेट टुडे
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