उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव का अदालती राउंड हारने के बाद योगी सरकार नए सिरे से आरक्षण लिस्ट तैयार कर रही है। अब प्रधानों के लिए आरक्षित पदों की संख्या उस विकास खंड में अलग अलग ग्राम पंच्यतों को उनके प्रादेशिक क्षेत्र की कुल जनसंख्या में अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों और पिछड़े वर्गों की जनसंख्या के अवरोही क्रम में आवंटित होगीं।
यानी अगर किसी विकास खंड में ग्राम पंचायतों में से वह ग्राम पंचायत जिसके प्रादेशिक क्षेत्र में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या का अनुपात सबसे अधिक हो, वह एसटी को आवंटित की जाएगी। वह ग्राम पंचायत जिसके प्रादेशिक क्षेत्र में अनुसूचित जातियों की जनसंख्या का अनुपात सबसे अधिक होगा वह एससी को आवंटित की जाएगी।
इसी प्रकार जिस ग्राम पंचायत के प्रादेशिक क्षेत्र में पिछड़े वर्ग की जनसंख्या का अनुपात सबसे अधिक होगा वह ओबीसी वर्ग को आवंटित की जाएगी। लेकिन इस प्रकार जहां तक हो सके पंचायत के सामान्य निर्वाचन वर्ष 2015 में अनुसूचित जनजातियों को आवंटित ग्राम पंचायत वापस एसटी वर्ग को ही आवंटित नहीं की जाएगी। अनुसूचित जाति को आवंटित ग्राम पंचायत इस बार एससी को ही आवंटित नहीं की जाएगी। पिछड़े वर्ग को आवंटित ग्राम पंचायत इस बार पिछड़े वर्ग को आवंटित नहीं की जाएगी।
ऐसा होगा आरक्षण का क्रम
1. अनुसूचित जनजाति की महिलाएं
2. अनुसूचित जनजाति
3. अनुसूचित जाति की महिलाएं
4 अनुसूचित जाति
5. पिछड़े वर्ग की महिलाएं
6. पिछड़े वर्ग
7. महिलाएं
कैसे होगा प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों का आवंटन
सबसे पहले ग्राम पंचायत क्षेत्र के विभिन्न प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों (वार्डों) को अनुसूचित जनजातियों, अनुसूचित जातियों और पिछड़े वर्गों की जनसंख्या या परिवारों की संख्या और प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र (वार्ड) की कुल जनसंख्या में से आरक्षित श्रेणी की जनसंख्या को घटाकर सामान्य आबादी की जनसंख्या के अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया जाएगा।
यदि एक से अधिक वार्ड में आरक्षित वर्ग या सामान्य आबादी की जनसंख्या समान होगी तो कम संख्या वाले वार्ड अवरोही क्रम में पहले रखा जाएगा। अधिक संख्या वाले वार्ड को अवरोही क्रम में बाद में रखा जाएगा। इसी प्रकार यदि वार्डों में किसी आरक्षित वर्ग या सामान्य आबादी की संख्या शून्य होगा कम क्रमांक वाले वार्ड को अवरोही क्रम में पहले और अधिक क्रमांक वाले वार्ड को बाद में रखा जाएगा।
कुल मिलाकर इतना तय है कि पंचायतों को प्रधान तो मिलेंगे लेकिन अदालती दखल के बाद बहुतायत में जो नए चेहरे आरक्षण व्यवस्था बदलने से देखने को मिलते वो फिलहाल दूर की कौड़ी ही है।
टीम स्टेट टुडे
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