उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनावों की सरगर्मियां तेज हैं। मंगलवार को जारी नई आरक्षण सूची के बाद सबसे बड़ा झटका समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव के परिवार को लगा है। पिछले 25 वर्षों से लगातार जिस सैफई ब्लॉक प्रमुख सीट पर यादव परिवार का कब्जा था, वह नए परिसीमन में आरक्षित हो गई है।
सैफई की गिनती देश के सबसे आधुनिक गांवों में होती है। यहां अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम, अंतरराष्ट्रीय स्विमिंग पूल, एस्ट्रो टर्फ हॉकी स्टेडियम, सैफई चिकित्सा विश्वविद्यालय और साफ-सुथरी लम्बी चौड़ी सड़कें हैं। मुलायम के नाती और 2014 में मैनपुरी से सांसद रहे तेज प्रताप यादव का आरोप है कि प्रदेश की बीजेपी सरकार ने सैफई को पूरी तरह नजरअंदाज किया है। हालांकि यहां पिछली सरकारों में ब्लॉक प्रमुख पद के लिए आरक्षण लागू नहीं हुआ है।
नई आरक्षण सूची में एससी (महिला) हुई सीट
नई आरक्षण सूची में सैफई सीट को अनुसूचित जाति महिला के लिए रिजर्व कर दिया गया है। तेज प्रताप ने कहा कि एक बार फिर से सैफई ब्लॉक प्रमुख की सीट पर उनके परिवार का न सही उनकी पार्टी का कोई व्यक्ति ही चुन कर आएगा। उनके इस दावे में दम भी दिखता है क्योंकि मुलायम परिवार की तरफ से सैफई से जिस एससी व्यक्ति को खड़ा किया जाएगा वह आसानी से जीतकर आ जाएगा। सैफई पंचायत से 55 बीडीसी सदस्य एक ब्लॉक प्रमुख चुनते हैं और इन 55 में से आमतौर पर सभी समाजवादी पार्टी के ही बीडीसी सदस्य होते हैं।
1995 में बना ब्लॉक, तबसे मुलायम कुनबे का कब्जा
सैफई ब्लॉक 1995 में बना था। यहां से पहली बार मुलायम के सबसे बड़े भाई रतन सिंह के बेटे रणवीर सिंह ब्लॉक प्रमुख बने। 5 साल बाद भी 2000 में रणवीर ही दोबारा ब्लॉक प्रमुख बने, लेकिन 2002 में रणवीर सिंह की अचानक मौत हो जाने के बाद यह जिम्मेदारी मुलायम के बेहद करीबी चौधरी नत्थू सिंह के बेटे अरविंद को दी गई। 2005 में ब्लॉक प्रमुख की जिम्मेदारी मुलायम के छोटे भाई अभयराम के बेटे धर्मेंद्र यादव को दी गई। बदायूँ के सांसद बनने से पहले धर्मेंद्र यादव 2005 से 2010 तक ब्लॉक प्रमुख रहे।
टीम स्टेट टुडे
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