कभी कभी ऐसे वाकये सामने आते हैं जिससे सिस्टम पर यकीन करना मुश्किल हो जाता है। अब तक तो फिल्मों में देखा सुना था कि पुलिस अपराधियों को संरक्षण देती है। अगर अपराधी गिरफ्तार होता है तो सिस्टम में बैठा उसका आका जल्द ही उसे छुड़ा लेता है। अपराधी की काली कमाई से सिस्टम में बैठा कोई एक या बहुत सारे लोग मलाई काटते हैं। ऐसा सिर्फ फिल्मों में नहीं होता। ये असल जिंदगी में भी होता है और ऐसी जगहों पर इतने बड़े पैमाने पर होता है कि आखें फटी की फटी रह जाएं।
उत्तर प्रदेश का जिला बहराइच। यूपी के किसी बड़े शहर के सामने शहर कम देहात ज्यादा लगता है। इस जिले की सीमा लगती है पड़ोसी देश नेपाल से। सीमा पर पुलिस के दो थाने हैं नानपारा और रुपईडीहा।
इन दोनों थानों में तैनात पुलिसकर्मियों और अधिकारियों की आंखे हमेशा चौकन्नी रहनी चाहिए लेकिन ऐसा है नहीं। सीमावर्ती थानों की पुलिस की बंद आंखे जब भी खुलती है तो उनमें सिर्फ चमक दिखाई देती है। ऐसी चमक जो ईमान को चौंधियाती है।
शायद यही वजह है कि करीब चार करोड़ की मार्फीन के साथ तस्कर मेराज को खैरीघाट पुलिस ने अरेस्ट किया तो कहीं मातम छा गया।
थाना खैरीघाट पुलिस ने 450 ग्राम मार्फीन के साथ मेराज तस्कर को जब अरेस्ट किया तो वो कार से माल की डिलवरी करने जा रहा था।
तस्कर मेराज की गिरफ्तारी कितनी बड़ी थी इसका अंदाजा इस बात से लगाईए कि एसपी ने तुरंत टीम को 10 हजार रुपए इनाम देने का ऐलान कर दिया।
खैरीघाट थानाक्षेत्र की पुलिस ने जिस तस्कर मेराज को पकड़ा है वो दरअसल नानपारा इलाके में किराए के मकान में रहता था। इसी मकान से मेराज नशे का होलसेल कारोबार चलाता था। इस काम में तस्कर मेराज का पूरा परिवार शामिल है।
मेराज नानपारा इलाके में बीते कई सालों से रह रहा है। जो काम नानपारा पुलिस को बहुत पहले कर लेना चाहिए था वो उसने नहीं किया बल्कि स्थानीय सूत्रों की माने तो मेराज को थाने से पूरा संरक्षण मिला हुआ था। जाहिर है मेराज के कारनामों से फायदा कहीं और भी जा रहा था।
अब सवाल उठ रहा है कि आखिर कोतवाली नानपारा पुलिस की आंखें अब तक क्यों बंद थी।
दूसरी तरफ रुपईडीहा पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर कस्बे के चकिया मोड़ निवासी रियाज़ पुत्र नज़ीर को नेपाल से भारत मे नेपाली चरस लाते वक़्त गिरफ्तार कर लिया। रियाज़ के हाथ मे काला बैग था। पुलिसकर्मियों ने जब बैग को खोलकर देखा तो उसमें चरस बरामद हुई पुलिस रियाज़ व बरामद चरस को थाने लेकर चली आई जब चरस का वजन किया गया तो 01 किलो दो सौ ग्राम था। पुलिस ने चरस को सीज कर पकड़े गये तस्कर रियाज़ पुत्र नज़ीर के विरुद एनडीपीएस एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जेल भेज दिया है। पुलिस को पूछताछ के दौरान रियाज़ ने बताया कि ये चरस नेपालगंज से लाकर भारत में बेचने की तैयारी थी। रियाज भी अपने घर से नशे का ये कारोबार चलाता था। नशीली दवाओ से लेकर स्मैक,अफीम व चरस का कारोबार इसका मुख्य पेशा था।
नेपाल की जेल में था रियाज
करीब आठ साल पहले नेपालगंज की पुलिस ने रियाज को भारी मात्रा में हीरोइन की खेप के साथ गिरफ्तार कर जिला अदालत नेपालगंज के सामने पेश किया था । इसके बाद कोर्ट ने इसे तीन साल की सज़ा और पांच लाख रुपये जुर्माना लगा कर जेल भेज दिया था। करीब तीन साल यह नेपालगंज की जेल में बंद था। 2011 में इसकी रिहाई हो गई। रुपईडीहा आकर इसने फिर से स्मैक का कारोबार को शुरू कर दिया।
रुपईडीहा थाने के तत्कालीन थाना प्रभारी निरीक्षक मधुप नाथ मिश्र ने रियाज़ के मेडिकल स्टोर से करीब 60 ग्राम स्मैक की बरामदी कर जेल भेज दिया था। बहराइच जेल में करीब 33 दिनों तक बंद था। रिहा होने के बाद इसने और बड़े पैमाने पर मादक पदार्थ के कारोबार को बढ़ाया। कुछ ही सालों में मादक पदार्थ के कारोबार करोड़ो रूपये कमाए और काफी संपत्ति अर्जित की। जाहिर है इस खेल में कई बड़े लोगों का उसे वरदहस्त मिला और रियाज की आपराधिक वारदातों पर पुलिस आंखे मूंदे रही।
पंचर बनाता था रियाज
कुछ समय पहले तक तस्कर रियाज़ सेंट्रल बैंक तिराहे के पास एक गुमटी में साइकिल का पंचर बनाता था।
देखते ही देखते ये तस्कर मादक पदार्थों के कारोबार का बड़ा खिलाड़ी बन गया। इसने मेडिकल स्टोर की आड़ में मादक पदार्थो के कारोबार को बड़े पैमाने फैलाया और अपने आकाओं को खुद करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ा।
SP बहराइच विपिन मिश्रा के निर्देशन में नशा तस्करी के गोरखधन्धे से जुड़े दो महातस्कर मेराज और रियाज की गिरफ्तारी के बाद जिले के लोगों ने भी राहत की सांस ली है।
सूत्रों की मानें तो तस्कर मेराज और रियाज का इंटरनल कनेक्शन बार्डर से लेकर कोतवाली नानपारा तक थाने के दामाद की तरह जुड़ा हुआ था। जिसमें सर्किल के बड़े अफसरों से लेकर सिपाही तक का कहीं न कहीं तगड़ा जुड़ाव था। जिसके बल पर नशे का बाजार नानपारा से लेकर रुपईडीहा तक बड़े पैमाने पर फैला हुआ था।
कोतवाली नानपारा और रुपईडीहा में तैनाती पाने वाले स्टेशन अफसरों से लेकर सिपाही तक को चंद दिनों में धन कुबेर बनाने का ठेका लेकर हिस्ट्रीशीटर मेराज और रियाज नशा तस्करी का बिग बाजार चला रहे थे। जिसकी भनक लगते ही SP बहराइच ने दोनों तस्करों को राडार पर लिया। पुलिस टीम लगाकर रँगे हाथ गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा दिया।
वैसे गौर करने वाली बात है कि कोविड 19 को लेकर भारत नेपाल सीमा सील है। दोनों देशों के बीच केवल माल वाहक गाड़ियां आती जाती है। चप्पे-चप्पे पर दोनों देशों की सुरक्षा एजेंसियां तैनात हैं। बावजूद इसके बॉर्डर पर मादक पदार्थो की तस्करी रुकने का नाम नही ले रही है।
सिर्फ इतना ही नहीं भारत और नेपाल के बीच सीमा विवाद चल रहा है। नेपाल की सश्स्त्र सेना भारत के आम लोगों पर गोलियां बरसा रही है। लेकिन सीमा पर बने कुछ थाने और उन थानों में तैनात कुछ पुलिसकर्मी ऐसे भी हैं जिन्हें देशहित की जरा भी परवाह नहीं।
मेराज और रियाज जैसे तस्कर ना सिर्फ नशे का कारोबार करके भारत की नस्लों को बर्बाद करते हैं बल्कि कई बार नेपाल से संचालित आईएसआई की मदद करके देश की सुरक्षा को भी खतरे में डाल देते हैं।
अफसोस है कि भारत और भारतीय कानून का पालन करवाने के लिए जिन्होंने वर्दी पहनी है वो चंद टुकड़ों के लिए अपना ईमान बेच देते हैं।
जबकि रियाज और मेराज जैसे तस्कर ना सिर्फ भारत की नस्लों, अर्थव्यवस्था और कानून का खुलेआम धज्जियां उड़ाते हैं बल्कि अपनी कारगुजारियों से सिद्ध करते हैं कि उनके दिल में अपनी कौम और पाकिस्तान परस्त आईएसआई के लिए कितनी जगह है।
टीम स्टेट टुडे
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