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दहशत फैला कर खड़ा किया 5200 करोड़ से ज्यादा का साम्राज्य, विकास दुबे की कमाई कहानी


माफिया विकास दुबे की काली कमाई आखिरकार कहाँ कहाँ खपाई गयी है। इसका जवाब सिर्फ साइलेंट इन्वेस्टर ही जानते हैं जिनको तलाशने में ईडी अफसरों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है। माफिया की हैसियत 5200 करोड़ से ज्यादा है। आखिर माफिया विकास दुबे ने कानपुर से बाहर पैर क्यों नहीं पसारे और सैकड़ों करोड़ की काली कमाई का निवेश कहाँ कहाँ किया गया।


माफिया विकास दुबे ने अपने 35 साल के आपराधिक कैरियर में तकरीबन 5200 करोड़ से ज्यादा की मिलकियत खड़ी की है। कानपुर का एक माफिया पांच हजार करोड़ से ज्यादा का मालिक है ये हम नहीं ईडी के एक शीर्ष अफसर का दावा है। सिर्फ यही नहीं नोटबंदी के दौरान विकास दुबे ने कई बैंक अफसरों को दहशत में लेकर अरबों की अवैध करेंसी को बदला भी है। तकरीबन सौ करोड़ के साक्ष्य अफसरों के हाथ लग ही चुके हैं इसका सीधा मतलब है ईडी अफसरों के पास विकास दुबे का पूरा सिजरा मौजूद है। फिर भी ईडी अफसरों को खपाई गयी काली कमाई का कच्चा चिटठा मिलने में पसीने आ रहे हैं विकास दुबे कभी कानपुर से बाहर नहीं गया। जाहिर है विकास की काली कमाई के निवेश के तार भी सबसे अधिक कानपुर से ही जुड़ना तय हैं।

अब खुलासा करते हैं आखिर विकास दुबे ने सैकड़ों करोड़ की काली कमाई कहाँ सबसे ज्यादा निवेश कर रखी है। दरअसल कानपुर के मंधना चौबेपुर इंडस्ट्रियल एरिया की सात कंपनियों के विकास के पीछे ही विकास की काली कमाई का असली विकास छिपा है। ये विकास होना 25 वर्ष पहले शुरू हुआ था। विकास और औद्योगिक गलियारे का गठजोड़ अब ईडी के रडार पर आ चुका है। इस बेल्ट में जिन सात कंपनियों का अस्तित्व कभी लकीर के फ़कीर की तरह था वो पिछले 16 साल में बुलेट ट्रेन सरीखी दौड़ीं और इतनी दौड़ी की इंड्रस्ट्रियल एरिया की पहचान ही इन सात कंपनियों से होने लगी। तीन कंपनियों का साइज तो महज 12 साल में तिगुना बढ़ गया। सिर्फ यहाँ आने के बाद से ही। पनकी दादानगर और फजलगंज में जितनी जमीन नहीं थी। उससे दो सौ गुना ज्यादा बड़ी जमीनों पर इन कंपनियों की फैक्ट्रियां यहाँ लगाई गयीं। वो भी तब जब इस इंड्रस्ट्रियल एरिया में जमीने सोना हो चुकी थी।

ईडी के अफसरों की माने तो आतंक के दम पर कमाई गई रकम का बड़ा हिस्सा आमतौर पर अय्याशी में खर्च किया जाता है। महंगी शॉपिंग, विदेश यात्राएं, हवाई यात्राएं और प्रापर्टी व बैंकों के जरिए लेनदेन होता है। यही गलती ईडी के लिए सॉफ्ट टारगेट बन जाती है और आसानी से काले धंधों की परतें खुलती है लेकिन विकास दुबे के मामले में ऐसा कुछ सामने नहीं आ रहा है। इसलिए उसकी काली कमाई खोजने में खासी मशक्क्त करनी पड़ रही है क्योंकि वो अपने खातों से ज्यादा लेनदेन भी नहीं करता था। ईडी के अफसर उस 'साइलेंट इन्वेस्टर' को खोज रहे हैं, जो विकास के पैसों को ठिकाने लगाता था। इसी साइलेंट इन्वेस्टर ने विकास की अरबों की अवैध कमाई से सात कंपनियों का विकास कराया था। विकास की टीम के मोस्ट वांटेड गुर्गों की बैंक डिटेल, प्रॉपर्टी और निवेश के रास्ते तलाशे जा रहे हैं। हर उस शख्स की फाइल तैयार की जा रही है जो उसके संपर्क में था। उन कारोबारियों का कच्चा चिट्ठा भी तैयार किया जा रहा है, जिनके नाम विकास के साथ जुड़ रहे हैं। बस एक कमजोर कड़ी और पूरा सिजरा बाहर। माफिया विकास एक दर्जन से ज्यादा मंत्रियों के सम्पर्क में था जो अलग-अलग राज्यों में स्थापित है। फिलहाल विकास दुबे के करीबियों की पूरी सूचि ईडी अफसरों के पास आ चुकी है जल्द ही पूछताछ का सिलसिला शुरू होने जा रहा है


टीम स्टेट टुडे



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