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आखिरकार शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चेयरमैन वसीम रिजवी जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी बन गए। गाजियाबाद के डासना शिव धाम में यति नरसिम्हानंद सरस्वती की मौजूदगी में सनातन धर्म अपना लिया।
हिंदू धर्म अपनाने के बाद वसीम रिजवी उर्फ जितेंद्र नारायण ने कहा कि मुझे हिंदुत्व के लिए लड़ना है। जो पार्टी इस्लाम को बढ़ावा देगी, चुनाव में उनका विरोध करूंगा। जो पार्टी हिदुत्व को बढ़ावा देगी, उसके लिए चुनाव प्रचार करूंगा।
उन्होंने कहा कि हम आइएसआइएस जैसे आतंकी संगठन से लड़ना जानते हैं। सनातन धर्म के नौजवानों में इतनी ताकत है। हम उनकी विचारधारा से भी लड़ना जानते हैं। हिदुस्तान से लेकर अफगानिस्तान, सीरिया, ईरान, इराक या सऊदी अरब तक यदि सनातनियों का बदला लेने के लिए हमें वहां जाना पड़ा, बलिदान देना पड़ा तो पीछे नहीं हटेंगे। मैं कत्लेआम का विरोध करता हूं। इसके खिलाफ आवाज उठाता हूं। इस्लाम धर्म में रहकर लोगों को समझा रहा था, लेकिन वे समझे नहीं। मेरा सिर काटने पर वो लोग उतारू हो गए, फतवे जारी करने लगे। सनातन धर्म से जुड़ने से मुझे नई ऊर्जा मिली है।
जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी ने बताया कि अलग-अलग देशों में रह रहे करोड़ों मुसलमान मेरे दुश्मन बन चुके हैं। जब भी उनका दांव लगेगा, वो मेरी हत्या कर देंगे। लेकिन मुझे बचाने के लिए सनातन धर्म के लोग हैं।
हिंदू धर्म अपनाने के बाद वसीम रिजवी से जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी ने एक बार फिर मुस्लिम धर्म की पोल पट्टी खोलना शुरु किया। उन्होंने कहा कि मैंने मुस्लिम धर्म ग्रंथों का अध्ययन किया है और उसी आधार पर कह रहा हूं कि मुस्लिम धर्म छोड़ना ही बेहतर है।
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