
नई दिल्ली, 21 सितंबर 2023 : राजद से राज्यसभा सांसद प्रोफेसर मनोज झा ने महिला आरक्षण विधेयक पर संसद में हो रही चर्चा के के दौरान कहा कि हमारी पार्टी के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने एक पत्थर तोड़ने वाली महिला को सांसद बनाया। भगवतिया देवी गया से निकल कर संसद पहुंची। क्या उसके बाद फिर कभी भगवतिया देवी आ पाईं?
राजद नेता मनोज झा ने कहा कि लालू ने भगवतिया देवी को सांसद बनाया। यह बात कई लोग जानते होंगे कि वह पत्थर तोड़ने वाली महिला थी। पत्थर तोड़ने वाली... हम न सहबो गाली भइया... हम न सहबो गाली भइया। गया से लेकर संसद तक पहुंची।
मनोज झा ने पूछा कि क्या उसके बाद भगवतिया देवी सांसद आ पाईं? फूलन देवी संसद आ पाईं? वो इसलिए नहीं आ पाईं कि हम आपको दोष नहीं देते हैं, वो इसलिए नहीं आ पाईं कि हमारी व्यवस्थाएं संवेदन शून्य हैं।
मनोज झा सभी पार्टियों से आग्रह करते हुए कहा कि दलीय व्हिप की चिंता छोड़कर व्यवस्था को बदलें। एक बार अपने दायरों से निकलकर सोचिए।
उन्होंने कहा कि इसको सेलेक्ट कमेटी में भेजकर SC/ST और ओबीसी को इनकॉरपोरेट किया जाए। अगर आज आप और हमने यह नहीं किया तो हम ऐतिहासिक गुनहगार होंगे।
'नाम में कुछ नहीं और सरनेम में सबकुछ'
उन्होंने कहा कि पिछड़ी जाति की महिलाओं को हाथ पकड़ने के लिए कोई नहीं है। न धर्म में न आज की व्यवस्था में। हमारे नाम के पीछे जो सरनेम है, उससे हमको प्रिव्लिज्ड मिला है, लेकिन एससी, एसटी और ओबीसी को यह प्रिव्लिज्ड नहीं मिला है। इसलिए जरूरी है कि महिला आरक्षण बिल में एससी/एसटी और ओबीसी कोटा ताकि संसद सबके प्रतिनिधित्व की संस्था बन सके।
कैनवास बड़ा, लेकिन आकृति बहुत छोटी
राजद नेता मनोज झा ने महिला आरक्षण विधेयक पर बोलते हुए कहा कि यह मसला देश की तारीख से जुड़ा है। यह मसला इस बात से जुड़ा है, जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते दिनों सेंट्रल हॉल में कहा था कि कैनवास बड़ा होगा तो आकृति बड़ी होगी। बड़ा कैनवास है, लेकिन आकृति छोटी गाड़ी जा रही है। यह बात इतिहास स्मरण करेगा। इसलिए प्रधानमंत्री के करनी और कथनी में फासला नहीं होना चाहिए।
विधेयक के नाम पर उठाए सवाल
राजद सांसद मनोज झा ने महिला आरक्षण के नाम पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि नारी शक्ति वंदन अधिनियम ... मुझे तो समझ नहीं आया कि यह किसी तरह का विश्लेषण है या किसी तरह के धार्मिक ग्रंथ का शीर्षक है। उन्होंने कहा कि बचपन से पढ़ता आया, तब भाजपा की सरकार नहीं थी। तब से सुनता आया, 'यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः' यानी जहां नारियों का सम्मान होता है, वहां देवताओं का निवास होता है।
उन्होंने कहा कि पता नहीं देवता निवास करते हैं या नहीं, लेकिन हमने इस श्लोक के बावजूद महिलाओं का शोषण होते देखा। घरेलू हिंसा होते देखी। सबसे ज्यादा शारीरिक शोषण परिवार नाम की संस्था में देखा, जिसका डाटा खुद हमारी सरकार हर साल देती है।
मनोज झा ने संसद में बोलते हुए कहा, ''मुझे लगता है कि ये विरोधाभासी चरित्र है हमारे देश का, इस पर भी बात होनी चाहिए। एक तरफ यह श्लोक पढ़ा जाए और दूसरी तरफ हम उस जुबान को छोड़ दें जो संविधान से आती है। संविधान अधिकार की बात करता है।''
उन्होंने कहा कि हमारे वोकैबलरी को क्या होता जा रहा है, अधिकार दया की श्रेणी में नहीं आएगा, लेकिन पूरा का पूरा जो माहौल देखता हूं वो दया की श्रेणी में बात होती है। अधिकारों की बात कभी दया से नहीं होगी।
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