जम्मू कश्मीर में जो एक दूसरे का चेहरा तक देखना पसंद नहीं करते थे वो एक छत के नीचे आ गए हैं। अब्दुल्ला परिवार और मुफ्ती परिवार की सियासी अदावत किसी से छिपी नहीं है। कश्मीर की जनता के मुताबिक राज्य को लूटने, आतंक फैलाने, पाकिस्तान परस्त होने की होड़ में दोनों दलों ने अपने अपने शासनकाल में सभी सीमाएं लांघी हैं। अब जब जम्मू कश्मीर के दिन बदले हैं तो भारतीय संसद के फैसले के खिलाफ दुश्मन का दुश्मन दोस्त बन रहा है।
केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा खत्म कर दिया साथ ही अनुच्छेद 35ए और अनुच्छेद 370 को भी खत्म कर दिया। इनको खत्म किए जाने के बाद सरकार ने अपनी नीतियों को सख्त करके इसका पालन कराया, जिन नेताओं के इसके विरोध में खड़े होने की उम्मीद थी उनको नजरबंद कर दिया गया। साथ ही नेताओं से सहयोग की अपील की गई। अब स्थितियां सामान्य हो गई हैं, नेताओं को आने-जाने की छुट मिल गई है, वो बैठकें कर रहे हैं।
लगभग साल भर की नजरबंदी से रिहाई के बाद नेशलन कॉन्फ्रेंस के फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, पीडीपी की महबूबा मुफ्ती समेत तमाम नेताओं के गुपकार समूह की बैठक हुई थी। इसमें अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग की गई।
गुपकार समूह में पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती और सज्जाद लोन के साथ ही जम्मू कश्मीर के उन सभी राजनीतिक दलों के नेता शामिल हैं जिन्होंने 4 अगस्त को साझा बयान जारी किया था।
क्या है गुपकार समूह
गुपकार समूह छह राजनीतिक दलों का वह समूह है जो जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए लड़ाई लड़ रहा है। इस समूह का गठन 22 अगस्त 2019 को फारूक अब्दुल्ला के गुपकार रोड स्थित आवास पर हुई बैठक में किया गया था। गुपकार समूह ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 को निरस्त किए जाने को असंवैधानिक करार देते हुए इसकी बहाली के लिए संघर्ष करने का ऐलान किया था। कश्मीर की 6 प्रमुख पार्टियों ने मिलकर अगस्त 2019 में एक मुहिम तैयार की थी। जब इस अभियान की घोषणा की गई थी तब इसका लक्ष्य पूर्ववर्ती जम्मू और कश्मीर राज्य के विशेष दर्जे और अनुच्छेद 35 ए और अनुच्छेद 370 को बचाना और राज्य के विभाजन को रोकना था।
कुछ दिन पहले एक बार फिर कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी की बैठक हुई जिसमें एक बार फिर इस मुद्दे को उठाने की रणनीति बनाई गई है।
एक बात ये भी हुई कि जिस दिन इन दलों ने गुपकार गठबंधन की घोषणा की उसके अगले ही दिन सरकार ने अपनी घोषणा कर दी। इसके बाद भी अब इन पार्टियों ने अपनी 2019 की गुपकार घोषणा को बरकरार रखा है और इस गठबंधन को नाम दिया है "पीपल्स अलायंस फॉर गुपकार डेक्लेरेश"। एनसी और पीडीपी के अलावा इसमें सीपीआई(एम), पीपल्स कांफ्रेंस (पीसी), जेकेपीएम और एएनसी शामिल हैं।
अभियान की घोषणा करते हुए जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला ने कहा कि हमारी लड़ाई एक संवैधानिक लड़ाई है, हम चाहते हैं कि भारत सरकार जम्मू और कश्मीर के लोगों को उनके वो अधिकार वापस लौटा दे जो उनके पास पांच अगस्त 2019 से पहले थे। अब्दुल्ला ने यह भी कहा कि जम्मू, कश्मीर और लद्दाख से जो छीन लिया गया था हम उसे फिर से लौटाए जाने के लिए संघर्ष करेंगे। 2019 की 'गुपकार घोषणा' वाली बैठक की तरह यह बैठक भी अब्दुल्ला के श्रीनगर के गुपकार इलाके में उनके घर पर हुई।
क्यों रखा गया गुपकार नाम
जम्मू और कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला श्रीनगर के गुपकार इलाके में रहते हैं। उन्होंने ही प्रमुख रूप से इस तरह का एक गठबंधन बनाने की बात सभी दलों के सामने रखी, उसके बाद सभी दल तैयार हुए, फिर ये बात हुई कि ऐसी मीटिंग कहां रखी जाए तब उसके लिए भी अब्दुल्ला ने अपना घर पर रखने का सुझाव दिया। अब चूंकि सभी दलों को एक साथ लाने और साझा मीटिंग करने का सुझाव अब्दुल्ला के श्रीनगर के गुपकार इलाके में तय किया गया इस वजह से इस मीटिंग का नाम ही गुपकार मीटिंग पड़ गया, तभी से इसे गुपकार मीटिंग या गठबंधन के नाम से जाना जाता है।
एक बात ये भी कही जा रही है कि इस अभियान के तहत ये राजनीतिक दल एक साथ आएंगे और एक लक्ष्य के लिए अपने मतभेदों को भूलाकर एक साथ काम करेंगे मगर ये भी तय मना जा रहा है कि ये अभियान अधिक समय तक टिकेगा नहीं, मगर राजनीतिक दलों को एक साथ आने का मौका जरूर देगा। इससे ये बात भी पता चल जाएगी कि भविष्य में ये दल किस तरह से गठबंधन बनाकर काम कर सकेंगे।
सतर्क है सरकार
भारतीय जनता पार्टी ने गुपकार समूह को मुखौटा करार दिया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता राम माधव ने शनिवार को ट्वीट किया, 'गुपकार 2 सिर्फ एक मुखौटा है। हर कश्मीरी जानता है कि विशेष दर्जा वापस नहीं होने जा रहा है, और गुप्कारियों की यह एक चाल भर है, लेकिन मोदी सरकार के लिए अच्छा यह रहा कि 2019 ने 1953 को बदल दिया है. वेलकम टू रियलपोलिटिक'।
टीम स्टेट टुडे
Comments