26/11 मुंबई हमला याद है आपको। भारत की खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों की नाक के नीचे हुई सबसे बड़ी आतंकी सेंधमारी जिसमें ना सिर्फ बेगुनाह लोग मारे गए बल्कि भारत के खुफिया सूचना तंत्र की धज्जियां उड़ गईं।
मुंबई पर आतंकी हमला 2008 में हुआ था। आतंकी हमले के बाद 2009 में तत्कालीन गृह मंत्री पी चिदंबरम ने नैटग्रिड बनाने का एलान किया था, लेकिन इसके बाद सब ठंडे बस्ते में चला गया।
2008 के मुंबई में आतंकी हमले के पहले लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी डेविड कोलमैन हेडली ने कई बार मुंबई आकर रेकी की थी। वह पाकिस्तान के रास्ते अमेरिका भी गया था, लेकिन सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों की नजर उस पर नहीं पड़ी, जो एक बड़ी खुफिया चूक थी। इसी के बाद खुफिया व सुरक्षा से जुड़ी सूचनाओं के विभिन्न एजेंसियों के बीच रियल टाइम आदान-प्रदान की जरूरत को महसूस करते हुए नैटग्रिड तैयार करने का फैसला किया गया था।
12 साल के लंबे इंतजार के बाद आखिरकार नेशनल इंटेलीजेंस ग्रिड यानी नैटग्रिड बनकर तैयार हो गया है और जल्द प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसका उद्घाटन करेंगे। यह जानकारी देते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित किए बिना लोकतंत्र की सफलता की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने लोकतंत्र की सफलता में बीट कांस्टेबल की भूमिका को भी अहम बताया।
विभिन्न एजेंसियों के बीच सूचनाओं का वास्तविक समय में होगा आदान-प्रदान
पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो यानी बीपीआरडी के 51वें स्थापना दिवस के अवसर पर गृह मंत्री शाह ने कहा कि देश में शांति और सुरक्षा नरेन्द्र मोदी सरकार की प्रमुखता है। इसे सुनिश्चित करने में नैटग्रिड की भूमिका अहम होगी। नैटग्रिड में देश में 21 एजेंसियों के बीच सूचनाओं का रियल टाइम आदान-प्रदान होगा और उनका विश्लेषण भी किया जा सकेगा। इससे किसी भी तरह की संदेहास्पद गतिविधियों को तत्काल पकड़ा जा सकेगा और उस पर नजर भी रखी जा सकेगी। इस ग्रिड से आतंकरोधी अभियान को नई ऊंचाई मिलेगी।
क्या है नेटग्रिड
नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID) एक शक्तिशाली इंटेलिजेंस एकत्रीकरण मैकेनिज्म है। इस परियोजना की लागत लगभग 3400 करोड़ रुपये है, इसकी परिकल्पना 26 /11 मुंबई आतंकी हमले के बाद की गयी थी।
नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID) एकीकृत इंटेलिजेंस मास्टर डाटाबेस स्ट्रक्चर है। भारत सरकार ने 31 दिसम्बर, 2020 से नेशनल इंटेलिजेंस ग्रिड (NATGRID) को शुरू करने की योजना बनाई थी। इसकी स्थापना रियल टाइम डाटा के साथ संदिग्ध आतंकियों को ट्रैक करने तथा आतंकी हमलों को रोकने के लिए की जा रही है।
NATGRID में आप्रवासन प्रवेश तथा प्रस्थान, हवाई यात्रा, क्रेडिट कार्ड के खरीददारी, बैंकिंग तथा वित्तीय लेनदेन, कर दाता, दूरसंचार तथा ट्रेन यात्रियों से सम्बंधित डाटा एकत्रित होगा।
NATGRID के डाटा रिकवरी केन्द्र का निर्माण बेंगलुरु में किया गया है, जबकि इसके मुख्यालय के निर्माण दिल्ली में लगभग पूरा हो चुका है।
पहले चरण में NATGRID में 10 यूजर एजेंसियां तथा 21 सर्विस प्रोवाइडर शामिल होंगे। बाद में इसमें 950 संगठन इसमें जोड़े जायेंगे।
10 एजेंसियां जो NATGRID से रियल टाइम बेसिस पर डाटा प्राप्त कर सकती हैं -
इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB)
रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW)
केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI)
प्रवर्तन निदेशालय (ED)
राजस्व इंटेलिजेंस निदेशालय (DRI_
फाइनेंसियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU)
केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT)
सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम्स (CBEC)
डायरेक्टर जनरल ऑफ़ सेंट्रल एक्साइज एंड इंटेलिजेंस (DGCEI)
नारकोटिक्स कण्ट्रोल बोर्ड (NCB)
भारत में नेटग्रिड का महत्व
NATGRID ‘वन-स्टॉप डेस्टिनेशन’ (One-Stop Destination) के माध्यम से सुरक्षा एवं खुफिया एजेंसियों से डेटाबेस/सूचनाओं को एकत्र कर उनका उपयोग करने तथा बैंकिंग और टेलीफोन विवरण से संबंधित डेटाबेस/सूचनाओं तक पहुँचने सुनिश्चित करने के लिये एक सुरक्षित प्लेटफॉर्म विकसित करने में मदद करेगा।
NATGRID को ‘अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम’ (Crime and Criminal Tracking Network and Systems- CCTNS) के माध्यम से डेटाबेस/सूचना तक पहुँच प्रदान करने वाला एक ऐसा मंच है जो लगभग 14,000 पुलिस स्टेशनों को आपस में जोड़ता है।
सभी राज्य पुलिस स्टेशनों को ‘अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग नेटवर्क और सिस्टम’(Crime and Criminal Tracking Networks and Systems- CCTNS) में ‘प्रथम सूचना रिपोर्ट’ (First Information Reports-FIR) दर्ज करना अनिवार्य होगा।
NATGRID द्वारा संदिग्ध के विवरण के बारे में जानकारी जैसे-पिता का नाम, टेलीफोन नंबर और अन्य विवरण को प्राप्त किया जा सकेगा।
NATGRID खुफिया और जांच एजेंसियों के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करेगा।
NATGRID आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिये एक कार्यक्रम है
भारत में 26/11 के आतंकवादी हमले के दौरान सूचनाओं के संग्रहण के अभाव की बात सामने आई।
इस हमले का मास्टरमाइंड डेविड हेडली वर्ष 2006 से 2009 के बीच हमले की योजनाओं को मूर्तरूप प्रदान करने हेतु कई बार भारत आया लेकिन उसके आवागमन की किसी भी सूचना का विश्लेषण नहीं किया जा सका।
26/11 के बाद इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिये राष्ट्रीय स्तर पर NATGRID की स्थापना की गई।
यह संदिग्ध आतंकवादियों को ट्रैक करने और आतंकवादी हमलों को रोकने में विभिन्न खुफिया एवं प्रवर्तन एजेंसियों की सहायता करता है।
NATGRID द्वारा बिग डेटा और एनालिटिक्स जैसी तकनीकों का उपयोग करते हुए डेटा का बड़ी मात्रा में अध्ययन एवं विश्लेषण किया जाता है।
यह विभिन्न चरणों में डेटा प्रदान करने वाले संगठनों और उपयोगकर्त्ताओं के समन्वय के साथ ही एक कानूनी संरचना विकसित करता है
NATGRID द्वारा प्राप्त सूचनाओं के माध्यम से कानून प्रवर्तन एजेंसियाँ संदिग्ध गतिविधियों की जाँच करती हैं।
वर्तमान समय में, एयरलाइन या टेलीफोन कंपनी में किसी संदिग्ध सूचना को जानने के लिये सुरक्षा एजेंसियाँ सीधे एयरलाइन या टेलीफोन कंपनियों से संपर्क स्थापित करती हैं।
डेटा को अंतर्राष्ट्रीय सर्वरों जैसे- गूगल (Google) आदि के माध्यम से साझा किया जाता है।
NATGRID यह सुनिश्चित करेगा कि इस तरह की जानकारी एक सुरक्षित मंच के माध्यम से साझा की जाए ताकि डाटा की गोपनीयता सुनिश्चित की जा सके।
टीम स्टेट टुडे
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